एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने सोमवार को केन्द्र सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी देने को कहा है। ट्रिब्यूनल ने इस बाबत केन्द्रीय कृषि मंत्रालय को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के खतरे को देखते हुए ट्रिब्यूनल ने इस पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
ट्रिब्यूनल के प्रमुख जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने मंत्रालय को पराली जलाने के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट 30 अप्रैल तक पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन मंत्रालय ने अब तक कोई रिपोर्ट नहीं दी। पीठ ने मंत्रालय को अब ई-मेल के जरिए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी। मंत्रालय ने सचिव को निजी रूप से पेश होने को कहा है।
पराली क्या है?
पराली फसल के बचे हुए हिस्से को कहते हैं जिसकी जड़ें धरती में होती हैं। किसान फसल पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वही काम का होता है बाकी का हिस्सा जो होता है वह किसान के लिए किसी काम का नहीं होता। अगली फसल बोने के लिए खेत खाली करने होते हैं तो इसलिए किसान फसल के बाकी हिस्से को यानी सूखी पराली को आग लगा देते हैं।
क्यों जलाते हैं पराली?
हरियाणा और पंजाब के किसान गेहूं और धान की खेती करते हैं। इस दौरान एक फसल की कटाई के बाद खेत को साफ करने के लिए वह पराली जलाते हैं। पराली जलने के बाद उठने वाले धुएं से वायू प्रदूषण होता है। दिल्ली में प्रदूषण के बहुत से कारण है, लेकिन उनमे से एक कारण खेतों में जलाई जाने वाली पराली भी है। ज्यादातर किसान पराली को खेत मे ही जलाते हैं। खासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा जलाए गई पराली से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है।