
पीठ ने समिति को आदेश दिया कि वह राज्यों के हिस्से में बिना किसी बदलाव के हथनीकुण्ड में छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा पर विचार करें ताकि नदी का पर्यावरणीय बहाव बनाए रखा जा सके। इसके अलावा पीठ ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि समिति विकास गतिविधियों और अन्य कारकों पर विचार करेगी लेकिन साथ ही इन राज्यों से नदी के पर्यावरणीय बहाव के लिये सिफारिशें देते हुए इन सभी राज्यों में यमुना के प्रदूषण को भी पूरा महत्व दिया जाए।’
हरित पैनल ने समिति को इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशें सौंपने का आदेश भी दिया है जिसमें औद्योगिक यूनिट के ‘जीरो डिस्चार्ज’ को प्रोत्साहन देना, शोधित अपशिष्ट पानी का पुन:चक्रण, नदी के तट पर जलाशयों का निर्माण तथा मैदानी इलाकों में बाढ़ के सम्बन्ध में जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिये कदम उठाना शामिल है।
यह निर्देश इसके ‘मैली से निर्मल यमुना रीवाइटलाजेशन प्रोजेक्ट’ के कार्यान्वयन की निगरानी करते हुए दिये गए। हरित न्यायाधिकरण ने हरियाणा सरकार को हथनीकुण्ड बैराज से यमुना नदी में 10 क्यूमेक्स पानी छोड़ने और वजीराबाद तक नदी का पर्यावरणीय प्रवाह बनाए रखने के आदेश दिये थे। जनवरी में न्यायाधिकरण ने समिति को और सम्बद्ध राज्यों के मुख्य सचिव को न्यूनतम पर्यावरणीय बहाव के बारे में अपने सुझाव देने का भी आदेश दिया था जो यमुना में, खासकर उसके दिल्ली से गुजरते समय बनाए रखा जाना चाहिए।
यमुना को प्रदूषित करने वालों पर नाराजगी जाहिर करते हुए पीठ ने कुछ निर्देश भी दिये जिनमें कचरा या धार्मिक सामग्री फेंकते देखे गए व्यक्ति पर 5,000 रुपए का जुर्माना करना और नदी में निर्माण सामग्री गिराते हुए पकड़े जाने पर 50,000 रुपए का जुर्माना शामिल है।