गैंडा

Submitted by Hindi on Wed, 08/10/2011 - 17:23
गैंडा (Rhinoceros) शफगण (Order ungulata) राइनोसरोटिडी कुल (Family rhinocerotidae) का प्रसिद्ध स्तनपोषी, अपने कुल का अकेला और अनोखा प्राणी है। संसार में इसकी चार जातियाँ पाई जाती हैं, किंतु भारत में केवल एक ही जाति के गैंडे पाये जाते हैं। इसकी एक पाँचवी जाति भी यूरोप में एक समय फैली हुई थी पर अब वह सदा के लिए लुप्त हो गई है। वर्तमान चार जातियाँ इस प्रकार हैं :

1.

एक खाँगवाले गैंडे-


इनकी कंधे और घुटने की मोटी खाल सिकुडनदार होती है। ये फिर दो जातों में बँटे हैं : (1) भारतीय गैंडा (Rhinoceros unicornis), जो असम में पाया जाता है। नर और मादा दोनों के खाँग रहता है। यह 5-6 1/2 फुट ऊँचा होता है। इसके निचले जबड़े में दो तेज दाँत रहते हैं। (2) जावा का गैंडा (R. Sondaicus), जो भारतीय गैंडे से छोटा होता है। इसकी मादा के प्राय खाँग नहीं रहता। यह बंगाल, बर्मा, मलाया, सुमात्रा, जावा तथा बोर्नियो के पहाड़ी जंगलों का निवासी है।

2.

दो खाँगवाले गैंडे-


इनमें अगला खाँग पिछले से छोटा होता है। इनकी खाल में सिकुड़न नहीं रहती।

सुमात्रा का गैंडा-


यह 41/2 फुट ऊँचा होता है और इसके कान पर बाल रहते हैं।

3.

दो खाँग और सादी खालवाले गैंडे-


ये काले और सफेद दो प्रकार के होते हैं और अफ्रीका के जंगलों के निवासी हैं। काला गैंडा (Diceros bicornis)-ऐबीसीनिया के दलदली जंगलों में अधिक संख्या में मिलता है। यह छोटा और इसका ऊपरी ओठ नोकीला होता है। इसका रंग वस्तुत गाढ़ा सिलेटी होता है। इसका अगला खांग 3 फुट लंबा और पीछे का 1 फुट से 11/2 फुट तक रहता है। सफेद गैंडा (Ceratotherium simus) अफ्रीका का निवासी है, जो जुलूलैंड और लैडो एन्कलेव (Lado Enclave) में पाया जाता है। इसकी ऊँचाई लगभग 7 फुट और लंबाई 15 फुट तक पहुँच जाती है। यह बहुत तेज भाग लेता है। इसका रंग वस्तुत हलका सिलेटी होता है।

4.

दो खाँग वाले गैंडे-


इनकी खाल बालदार होती है। इस जाति का केवल एक बौना गैंडा (Pigmy Rhinoceros) ईस्ट इंडीज़ के जंगलों में पाया जाता है, जिसे चटगाँव या चिटागाँग (Chitagong) कहा जाता है। इसकी खाल चिकनी या सिकुड़नदार न होकर पतले रोओं से ढकी रहती है। यह तीन फुट ऊँचा होता है और इसके थूथन पर दो छोटे छोटे खाँग रहते हैं। यह शरमीला जीव है, जो आहट पाते ही छिप जाता है।

गैंडा शाकाहारी जीव है। इसकी नाक के ऊपर जो एक या दो सींगनुमा खाँग रहते हैं उन्हीं से यह अपनी आत्मरक्षा करता है और शेर और हाथी तक का पेट फाड़ डालता है। घायल हो जाने पर यह भयंकर होता हैं। इसका मुख्य भोजन घास पात है। इसका मांस स्वादिष्ट होता है। इसकी दृष्टि कमजोर, लेकिन सुनने और सूँघने की शक्ति बहुत तेज होती है। यह रात्रिचारी जीव है। गैंडे की उम्र लगभग 100 वर्ष तक की होती है और इसकी मादा करीब 11/2 वर्ष पर एक बच्चा जनती है। (सुरेश सिंह कुँअर.)

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संदर्भ
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