प्रास्ताविक
गांधी मानव संस्कृति के एक सीमाचिन्ह से थे। गांधी की विरासत पूरे देश की, पूरी दुनिया की थी। उन्होंने न सिर्फ लम्बे अर्से से गुलामी में फंसे और निःशस्त्र बनाए गए इस देश को जागृत कर शातिमय मार्ग से आज़ादी दिलाई, बल्कि आत्मघाती हिंसा की कगार पर पहुंचे जगत को सत्य-अहिंसा का तरणोपाय बताया।
विरासत कई प्रकार की हो सकती है - स्थूल से स्थूल से लेकर सूक्ष्म से सूक्ष्म तक। वह जितनी अधिक सूक्ष्म एवं शुद्ध होगी उतनी अधिक चिरजीवी व लाभकारी होगी। स्थूल स्मारक अल्पजीवी होते हैं। गांधी की उत्तम विरासत उनके उन अनमोल एवं अमर विचारों में है जो उन्होंने जीवन में शब्दबद्ध किए थे।
गांधी हेरिटेज पोर्टल गांधी की सूक्ष्मतम विरासत - गांधी विचारों को यथासंभव अधिकृत रूप से तथा समग्रता से दुनिया की सेवा में पेश करने का एक नम्र प्रयास है। ‘मेरा जीवन ही मेरी वाणी’ कहने वाले गांधी का जीवन उनकी वाणी द्वारा प्रकट करने की यह कोशिश है।
आरंभ बुनियादी सामग्री से किया गया है। बाद में उन्हीं ‘ओशियनिक सर्कल्स’ (क्रमशः विस्तृत होने वाले वर्तुल) जिनकी उपमा गांधी को प्रिय थी, की तरह इस बुनियाद को अधिक विस्तृत एवं गहरा करने की योजना है।
आशा है इस पोर्टल का विश्व भर में स्वागत होगा और इसी सेवाओं का लाभ सामान्य जिज्ञासु से लेकर गहन से गहन अनुसंधान करने वाले विद्वान उठाएंगे। हर प्रकार के रचनात्मक सुझाव का हार्दिक स्वागत है।
नारायण देसाई
प्रस्तावना
श्री गोपालकृष्ण गांधी की अध्यक्षता में बनी ‘द गांधी हेरिटेज समिति’ ने सिफारिश की कि गांधी जी की रचनाओं की हिफाजत करने, उन्हें संजोकर रखने, और उनका प्रबोधन करने तथा गांधीजी के जीवन और विचार का समग्र अभ्यास करने के लिए आवश्यक गांधी जी के द्वारा एवं उनके बारे में रचे हुए बुनियादी रचना-कार्यों का वृहद अक्षरदेह लोगों को उपलब्ध कराने हेतु ‘गांधी हेरिटेज पोर्टल’ की स्थापना की जाए। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस सिफारिश पर अमल करते हुए गांधी हेरिटेज पोर्टल के विचार की कल्पना, रूपरेखा, विकास और रखरखाव की जवाबदारी निभाने का कार्यभार साबरमती आश्रम सुरक्षा एवं स्मारक ट्रस्ट, अहमदाबाद को सौंपा।
इस कार्य के प्रारंभिक स्वरूप को हम आपके साथ बांट रहे हैं। द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी (100 खंड), गांधीजीनो अक्षरदेह (82 खंड) तथा संपूर्ण वांग्मय (97 खंड) बुनियादी ढाँचा है जिसके आसपास गांधी हेरिटेज पोर्टल का विकास और विस्तार किया गया है।
बीज पाठ (की टेक्स्ट) का विभाग गांधीजी द्वारा लिखित पुस्तकें हैं जो संभवतः पहले संस्करण के स्वरूप में उपलब्ध कराए गए हैं। यह पुरस्तकें हैं; हिंद स्वराज, दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह, आत्मकथा अथवा मेरे सत्य के प्रयोग, मंगल प्रभात, आश्रम ओब्सेर्वेशन्स इन एक्शन, रचनात्मक कार्य उनका अर्थ व स्थान, आरोग्य की चाबी, और गांधी द्वारा किया गया गीता का अनुवाद अनासक्ति योग।
बुनियादी रचनाएं वे हैं जिनके सहारे ‘संपूर्ण वांग्मय’ का निर्माण किया गया है, उदाहरण के तौर पर, महादेवभाई की डायरी। हमारी कामना हैं कि हम संपूर्ण वांग्मय के निर्माण में लगे हर स्रोत और सामग्री समयांतर में सभी को उपलब्ध कराएं।
इंडियन ओपिनीयन, नवजीवन, यंग इंडिया, हरिजन, हरिजन बंधु, और हरिजन सेवक पत्रिकाएं इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में उपलब्ध हैं। इस विभाग की एक प्रशाखा में उन पत्रिकाओं के कुछ अंक रखे गए हैं जिनसे गांधी जी के विचार आधारित सृजनशील एवं बौद्धिक परिकल्पनाओं के लेखागार का संग्रह समृद्ध होगा। फिलहाल प्रतिनिधि संग्रह के तौर पर रखी गयी पत्रिकाएँ हैं, ‘गांधी मार्ग’(हिंदी व अंग्रेजी), ‘भूमिपुत्र’, ‘प्यारा बापू’, और सत्याग्रह आश्रम एक बेजोड़ हस्तपत्रिका ‘मधपुडो’ है, जिसमें और सामग्री के अलावा प्रभुदास गांधी की ‘जीवननुं परोढ़’ और काका साहेब कालेलकर की ‘स्मरण यात्रा’ के अंश प्रकट होते थे।
अतिरिक्त रचनाओं के संग्रह में उस सामग्री का समावेश होगा जिसमें गंभीर टीकाएं, समालोचना और स्मरण साहित्य होगा।
गांधी जीवन और कालचक्र के विभाग विकासाधीन है, जिसमें ऐसी जानकारियों के तागे हैं जो पोर्टल के मुलाकातिओं को विशाल और गहरे खोज की ओर अग्रसर कर सकेंगे। दर्शक दीर्घा से पोर्टल देखने वालों को गांधीजी की आवाज (श्राव्य माध्यम), उनकी छवियां, चलचित्रों के कुछ अंश, चित्र, व्यंग्य चित्र, डाक टिकट, वगैरह मिलेंगे। फिलहाल इनके चुने हुए नमूने पोर्टल में शामिल किए गए हैं।
द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी
सन 1956 में भारत सरकार ने एक नई पहल की जो एक अनोखी अभिलाषा का परिणाम थी। गांधीजी की जितनी भी लिखित सामग्री थी उसका आधिकारिक दस्तावेजीकरण करने का आयोजन किया गया। ‘द कलेक्टेड वर्क्स’ ऑफ महात्मा गांधी (द सी.डब्ल्यू.एम.जी) के नाम से जाने वाले ग्रंथ शुद्ध अंतःकरण एवं अति सतर्कता से किए यज्ञ की फलश्रुति है जो 1994 में संपन्न हुई यह तय हुआ था कि गांधीजी का अक्षरदेह तीन भाषाओं में प्रकट होना चाहिए, अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती । द सी.ड्ब्ल्यू.एम.जी के लिए निश्चित किए गए ढांचे और संपादन के अनुशासन में ही गुजराती में गांधीजी नो अक्षरदेह और हिंदी में संपूर्ण वांग्मय प्रकाशित किए गए।
इन खंडों की विशेषता यह है कि इसमें हरेक सामग्री का मूल स्रोत और जिस भाषा में पहले लिखा गया था उसकी जानकारी मिलती है। द सी.डब्ल्यू.एम.जी. के एक से नब्बे खंड कालक्रम में संपादित है, 91 से 97 खंड निरंतर जुटती हुई नई सामग्री प्रस्तुत करते हैं, 98 तथा 99वें खंड क्रमशः विषय और व्यक्तिओं की सूची के लिए समर्पित हैं और 100वां खंड हरेक खंड से दी हुई प्रस्तावनाओं का संग्रह है।
गांधी हेरिटेज पोर्टल उपरोक्त तमाम ग्रंथों को अक्षरशः एवं बिना काट-छांट के प्रस्तुत करता है। यह सामग्री लेखागार स्वरूप (मूल की छवि) और स्वच्छ किए गए छवि स्वरूपों में दी गई है जो श्याम और श्वेत रंगों में दिखती हैं। सभी भाषाओं के खंड पोर्टल निर्माताओं के बनाए गए एक सूचना-आधार (डेटाबेज) से जुड़ी हैं जिसके कारण दर्शक और खोजी आसानी से एक भाषा से दूसरी भाषा में प्रवेश कर सकता है और एक ही वस्तु तीनों भाषाओं में देख-पढ़ सकता है। पोर्टल का अभ्यासी आसानी से तीन भाषाओं में प्रकट होती सामग्री का तुलनात्मक अभ्यास कर सकता है और अनुवाद के तरीकों से परिचित हो सकता है। इस प्रावधान के नियम 98 और 99 खंडों में दिए गए हैं। द सी.डब्ल्यू.एम.जी. की पहली आवृत्ति के आधार पर सभी खंडों को इलेक्ट्रॉनिक - ई बुक के स्वरूप में प्रकट करने को पोर्टल प्रतिबद्ध है।
बीज पाठ (की टेक्स्ट)
गांधीजी ने पुस्तकें लिखीं और भगवद्गीता का अनुवाद किया। यह आठ पुस्तकें पोर्टल में बीज पाठ के तौर पर शामिल की गईं हैं। यह हैं, हिंद स्वराज, दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह, आत्मकथा अथवा मेरे सत्य के प्रयोग, मंगल प्रभात, आश्रम ऑब्सर्वेन्सस इन एक्शन, रचनात्मक कार्य: उनका अर्थ व स्थान, आरोग्य की चाबी और गांधी द्वारा किया गया गीता का अनुवाद अनासक्ति योग। इन्हें कालक्रम में प्रस्तुत किया गया है। इस विभाग में उनकी छपाई व अनुवाद के इतिहास का वर्णन भी है जैसे हिंद स्वराज, जिसे गांधीजी ने अपने दर्शन का बीज पाठ माना था, उसके उदाहरण से दर्शाया गया है। यह पाठ 1909 के वर्ष में नवंबर 13 से 22 के बीच किल्डोनन कॅसल नामक जहाज पर लिखा गया था। उस हस्तलिपि की छवि पोर्टल में दी गई है। पहले गुजराती संस्करण का मुद्रण इंडियन ओपिनियन के 11 और 18 दिसंबर 1909 के अंकों में हुआ, जिनकी छवियां भी पोर्टल में दी गई हैं। मार्च 1910 में अंग्रेज सरकार ने भारत में हिंद स्वारज के गुजराती संस्करण पर प्रतिबंध लाद दिया इसलिए हिंद स्वराज का अंग्रेजी अनुवाद गांधीजी ने स्वयं 1910 में इंडियन होम रूल के शीर्षक से किया था। उसके बाद इसका हिंदी अनुवाद हुआ। बाकी पुस्तकों में भी लेखन और अनुवाद का यही क्रम रहा सिर्फ एक अपवाद के साथ। कन्स्ट्रक्टिव प्रोग्राम्सः देयर मीनिंग एंड प्लेस पहले अंग्रेजी में लिखी गई। दुर्भाग्य से सभी पुस्तकों की हस्तलीपियों की छवियां उपलब्ध नहीं हैं।
सभी पुस्तकों के पहले संस्करणों तथा उनके अनुवाद को ही पोर्टल में शामिल किया जाए ऐसा सनिष्ठ प्रयास किया गया है। अनुवाद के मुद्दे पर गांधी जी अत्यंत सतर्क थे। उनके सभी पुस्तकों का अनुवाद उनके अति निकट साथी-सहयोगियों ने ही किया था जिनमें महादेव देसाई और वालजी गोविंदजी देसाई शामिल थे। गांधीजी अनुवाद पढ़ते, संशोधन करते-सुझाते और शुद्ध करार देते थे।
पोर्टल में मूल पुस्तकों की कुछ दुर्लभ प्रतियों की छवियां हम डाल पाए हैं। 29 नवंबर, 1925 के नवजीवन के अंक में गांधीजी की आत्मकथा सत्यना प्रयोगो की पहली प्रति छपी और अंतिम अध्याय पूर्णाहुति 3 फरवरी, 1929 के अंक में प्रकाशित हुआ। महादेव देसाई द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद की पहली किश्त यंग इंडिया के 3 दिसंबर, 1925 को छपी और अंतिम किश्त 3 फरवरी, 1929 को प्रकाशित हुई। अंग्रेजी अनुवाद द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ का पहला संस्करण दो खंडों में प्रकाशित हुआः पहला खंड जो तीन भागों में था वह 1927 में प्रकाशित हुआ और दूसरा खंड जिसमें भाग चार और पांच थे वह 1929 में प्रकाशित हुआ। आत्मकथा का दूसरा संशोधित संस्करण 1940 में नए शीर्षक एन ऑटोबायोग्राफी और द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रूथ के साथ प्रकाशित हुआ। पोर्टल पर रखी गई अंग्रेजी में अनुदित आत्मकथा की प्रति सिर्फ पहले संस्करण की नहीं बल्कि वह प्रति है जिसमें राइट ऑनरेबल सर वी. एस. श्रीनिवास शास्त्री के द्वारा ध्यान से किए गए भाषा संबंधी सुधार साथ है।
बीज पुस्तकों के साथ उनके उपलब्ध अनुवादों को भी पोर्टल पर रखा गया है। फिलहाल, आत्मकथा का अनुवाद तेरह भाषाओं में उपलब्ध है और उन्हें रखा गया है। हमारी यह अभिलाषा है कि गांधीजी के सभी पुस्तकों के विभिन्न भाषाओं में हुए अनुवाद हम पोर्टल पर रखें। अगर यह संभव नहीं हुआ तो उनकी विशद अनुसूचि जरूर रखी जाएगी।
बुनियादी रचनाएं
जैसा कि पहले कहा जा चुका है, बुनियादी रचनाएं वे हैं जो द सी.डब्ल्यू.एम.जी. के मूल स्रोत हैं। इनमें संस्मरण, डायरियां, जीवन वृत्त, तथा चिट्ठी पत्रों में से चुने हुए संकलन शामिल हैं। इन सभी में सिरमौर में 1927 से 1942 तक गांधी जी ने निकटतम साथी महादेव देसाई की असाधारण डायरियां। इनके तो द सी.डबल्यु.एम.जी. का निर्माण अकल्पनीय हो जाता। मनुबेन गांधी की प्रकाशित डायरियां भी पुख्ता स्रोत रही हैं।
गांधीजी के जीवन की कहानी कहने की परंपरा बहुत पहले से ही रही। यह सिलसिला रेवरेंड फादर जोसेफ डोक के एम.के. गांधीः एन इंडियन पॅट्रीयट इन साउथ आफ्रिका से हुई। प्यारेलाल के द अर्ली फेज और द लास्ट फेज, डी.जी. तेंदुलकर के महात्मा के आठ भागों वाली जीवन कथा और नारायण देसाई रचित मारुं जीवन एज मारी वाणी इस श्रृंखला के कुछ उत्कृष्ट उदाहरण हैं जिनका समावेश पोर्टल में किया गया है। दीनबंधु.सीएफ.एन्ड्रूज और मीराबेन की रचनाओं को भी बुनियादी रचनाओं की श्रेणी में शामिल किया गया है।इसी विभाग में बीज पुस्तकों के अनुवाद भी रखे गए हैं। हमारी यह इच्छा है कि गांधीजी की रचनाओं के विभिन्न भाषाओं के अनुवादों में से कुछ आधिकारिक रचनाओं को पोर्टल पर लाएं। इनमें द सी.डब्ल्युप.एम.जी. के अनुवाद भी शामिल हैं। फिलहाल मराठी में यह उपलब्ध है और कन्नड़ में कुछ काम हो रहा है।
पत्रिकायें
गांधीजी आला दर्जे के संप्रेषक थे। उनका प्रयास अधिक से अधिक लोगों और विचारों तक अपनी बात पहुंचाने का रहता था। उनके संचार का एक माध्यम अनेक भाषाओं में एक ही साथ प्रकाशित होने वाली पत्रिकाएं थीं। हमने यह प्रयास किया है कि गांधीजी के द्वारा शुरू किए गए और उनके द्वारा ही संपादित और प्रकाशित पत्रिकाओं के सभी सेट पोर्टल पर रख दिए जाएं। इनमें इंडियन ओपिनियन, नवजीवन, यंग इंडिया, हरिजन, हरिजन बंधु, और हरिजन सेवक शामिल हैं। आज शायद पोर्टल ही ऐसा स्थल है जहां यह सभी पत्रिकाएं एक साथ ही उपलब्ध हैं।
गांधीजी के विचार और व्यवहार ने बड़े पैमाने पर आंदोलनों और विद्याकीय प्रयासों को अपनी ओर आकृष्ट किया है। अन्य पत्रिकाओं के विभाग में आंदोलनों और संस्थाओं को कुछ ऐसी पत्रिकाओं को हमने पोर्टल पर रखने की कोशिश की है जो गांधीजी के विचारों पर प्रश्न उठाते हैं या उनके विचारों और व्यवहारों का ब्योरा देते हैं, या दस्तावेजीकरण करते हैं, या उनके आंदोलनों का इतिहास लिखते हैं। गांधी मार्ग (हिंदी और अंग्रेजी) भूमिपुत्र, प्यारा बापू, कस्तूरबा दर्शन उसके कुछ उदाहरण हैं। साथ में साबरमती सत्याग्रह आश्रम में प्रकाशित एक बेजोड़ हस्त पत्रिका मधपुडो तो शामिल है ही। पत्रिकाओं की सभी सामग्री बिना किसी काटछांट के रखी गई है। हम चाहते हैं कि यह विभाग गांधीजी की कल्पनाओं और उनकी विद्वता का लेखागार बने। हम इस विभाग में हमेशा बढ़ती हुई पत्रिकाओं की फेहरिस्त देते रहेंगे।
अन्य रचनाएं
अन्य रचनाओं का विभाग गांधीजी पर हुए बृहद कार्यों का संक्षिप्त अथवा पूरी रचनाओं का संग्रह होगा। यह विद्याकीय कार्य एक यज्ञ की तरह चलता रहा है और आने वाले समय में चलता ही रहेगा। इसके उपरांत गांधी विचार और व्यवहार की संस्थाएं व आंदोलनों के बारे में भी चुनी हुई जानकारियाँ रखने का आयोजन है। गांधीजी को समझने में उनके कुछ साथियों के अनुभव व रचनाएं बहुत ही महत्वपूर्ण रही हैं, ऐसे संलापकों को रचनाएं भी इसी विभाग में रखी जाएगी। इस श्रेणी में सी.एफ.एन्ड्रूज और किशोरलाल मशरुवाला पहले आते हैं।
यह विभाग अपने पूर्ण स्वरूप में तब होगा जब इसमें गांधीजी पर हुए कामों की पूर्ण रचनाएं अथवा पूरी अनुसूचियां शामिल होगी। गांधीजी की रचनाएं जो अन्य पत्रिकाओं में प्रकट हुई थीं उनका समावेश भी इसमें होगा। गांधी विचार के आसपास बढ़ती हुई पर्वतमान चर्चाएं और विमर्श भी इस विभाग में समाविष्ट होंगे।
जीवन एवं काल
यह विभाग सरल और त्वरित संदर्भ के लिए विकसित किया जा रहा है। इसका मुख्य स्रोत उनके जीवन पर बनी हुई दिनवारियां हैं जो बुनियादी रचनाओं में अलग से दी गयी है। इस विभाग उनकी यात्राएं, कूच, सत्याग्रह, कारावास, उपवास तथा उन पर हुए हमले सरल कोष्टकों में दिए गए हैं। उदाहरण के तौर पर दांडी कूच चार भागों में दर्शाया गया है, पूर्वभूमिका, कूचाकार, कूच और कूच के बाद की घटनाएं। कूच का काल्पनिक चित्रण भी दर्शाया गया है। इन जानकारियों की संपूर्ण वांग्मय की योग्य प्रविष्टियों के साथ जोड़ा गया है ताकि कोई जिज्ञासु गहरी खोज कर सके।
इस विभाग की कल्पना और प्रस्तुति सारग्रही विभाग की तरह की गई है जहां संपादन टीम की मदद से संपादित जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
दर्शक दीर्घा
दर्शकदीर्घा में गांधीजी के जीवन और काल पर दृश्य –श्राव्य सामग्री का संग्रह है। इनकी प्रस्तुति फोटो, फिल्म, पोस्टर, श्राव्य और व्यंग्य चित्र इस श्रृंखला में की गई है। अन्य माध्यमों के विभाग में डाक टिकटों का संग्रह है और आशा करते हैं कि यहां शिल्प और चित्रों का संग्रह भी दिया जाएगा।
श्राव्य माध्यम विभाग में मुख्य तौर पर गांधीजी के 1 अप्रैल 1947 से 29 जनवरी 1948 में दिल्ली में दिए गए प्रार्थना प्रवचन हैं। देश आजादी की तरफ बढ़ा और आज़ादी हासिल की उस दौरान यह उपमहाद्वीप हिंसा में बुरी तरह लिप्त हो गया था। अपने प्रार्थना प्रवचनों के माध्यम से गांधीजी अपना दुःख और सहानुभूति व्यक्त करते हुए लोगों से शांति और स्वस्थ मानस की अपील करते थे। ऑल इंडिया रेडियों ने इन प्रवचनों को पूरे उपमहाद्वीप में प्रसारित किया। हर श्राव्य प्रवचन को संपूर्ण वांग्मय में मुद्रित स्वरूप में प्रस्तुत प्रवचन के साथ जोड़ा गया है ताकि दर्शक एक साथ ही सुन और पढ़ पाएं।
दृश्य विभाग में गांधीजी पर बनी फिल्में हैं। विठ्ठलदास झवेरी की ‘महत्मा’ जो साढे पांच घंटे की डॉक्यूमेंटरी थी वह शामिल है। इसी तरह जितनी फिल्में और दृश्य सामग्री मिली है उसे प्रस्तुत किया गया है और सामग्री जुटाने का कार्य जारी है।
गांधी विरासत स्थल
गांधी जीवन भर देश और उपमहाद्वीप और दुनिया के विभिन्न देशों में जाते रहे और पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, स्वदेशी, समता और समानता तथा स्वतंत्रता का संदेश देते रहे। देश भर में रहने और अन्य लोगों के बीच अपनी उपस्थिति बनाए रखने का यह उनका तरीका था।
गांधी विरासत स्थल समिति ने 39 स्थलों को मूल्य या हार्द स्वरूप चिन्हित किया है। इन स्थलों के बारे में जानकारियाँ एकत्रित की जा रही हैं। स्थल, समय, घटना, लोभ व सिद्धांत जैसे विषयों पर जानकारी एकत्र करने का कार्य प्रगति पर है। इन्हें मूल्य स्रोतों के साथ जोड़ा जाएगा और यह जानकारी पोर्टल का हिस्सा होगी।
गांधी हरिटेज पोर्टल आज
फिलहाल पोर्टल ने लगभग 5,00000 पृष्ठों की सामग्री इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में उपलब्ध है अंग्रेजी, हिंदी और गुजराती संपूर्ण वाग्मय मूल्य लेखागार संग्रह के स्वरूप और स्वच्छ किए गए स्वरूप में प्रस्तुत है। दृश्य श्राव्य सामग्री में 1000 फोटो, 21 फिल्म व अंश और 78 आडियो रिकार्डिंग रखे गए हैं खोजी जिज्ञासु के लिए जानकारी खोजने की कुछ सुविधा है पर अभी वह अंग्रेजी खंड द सी.डब्ल्यू.एम.जी. के 98 व 99 खंडों में तैयार विषय और व्यक्ति की सुचियों पर आधारित हैं। संपूर्ण खोज के लायक यानी पूरा सर्चेबल बनाने में समय लगेगा।
मोड़ से आगे
मोड़ से आगे लंबा रास्ता तय करना बाकी है। पोर्टल की तमाम सामग्री पूर्णरूपेण सर्चेबल इलेक्ट्रॉनिक संस्करण के स्वरूप में आए। इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इसका मूलाधार द सी.डब्ल्यू.एम.जी का पहला संस्करण होगा समग्र गांधी विरासत स्थलों पर भी कार्य चलेगा और यह जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी। हमारी अभिलाषा है कि विभिन्न भाषाओं में मिलकर 10,00000 पृष्ठों को जनकारी परोसी जाए। जिनमें बुनियादी रचनाएं, अन्य रचनाएं और पत्रिकाएं हों।
साबरमती आश्रम सुरक्षा एवं स्मारक ट्रस्ट गांधी जी के हस्तलिपियों के एक ऑनलाइन टिकायुक्त (वेरोरियम) संस्करण प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में है अनुमान है कि मूल्य हस्तलिपियों के करीब 150,000 पृष्ठ पोर्टल पर रखे जाएंगे ये सर्चेबल होंगे जो साबरमति आश्रम सुरक्षा एवं स्मारक ट्रस्ट लेखागार की वर्गीकृत सूची के मुताबिक होंगे। हम आशा करते हैं कि इस प्रयास में हम राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली और नेहरु स्मारक संग्रहालय तथा ग्रंथालय नई दिल्ली के साथ जुड़ेगे और इस हस्तलिपि विभाग को यथासम्भव सर्वसमावेशी बनायेंगे।
ऋण स्वीकार
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार
सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
पर्यावरण शिक्षणकेंद्र
प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली
गूजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद
राष्ट्रीय गांधी संग्राहलय, नई दिल्ली
नवजीवन ट्रस्ट, अहमदाबाद
मणीभवन ट्रस्ट, मुंबई
एन.एफ.डी.सी.
नेशनल फिल्म आर्काइव्स ऑफ इंडिया
श्री गोपालकृष्ण गांधी
श्री एन.नारायण मूर्ति
श्री सैम पित्रोदा
हमारी टीम
साबरमती आश्रम सुरक्षा एवं स्मारक ट्रस्ट
श्री श्रेणिक के.लालभाई (अध्यक्ष)
श्री कार्तिकेय साराभाई
श्री नारायणदेसाई
डॉ. सुदर्शन आयंगार
श्री अब्दुल हमीद कुरैशी
श्री अमृत मोदी, सेक्रेटरी
स्थाई समिति, साबरमती आश्रम सुरक्षा एवं स्मारक ट्रस्ट
श्री कार्तिकेय साराभाई (अध्यक्ष)
डॉ. सुदर्शन आयंगार
श्री अशोक चेटर्जी
सुश्री दिना पटेल
श्री अमृत मोदी
श्री त्रिदिप सुहृद
सुश्री किन्नरी भट्ट, सेक्रेटरी
पोर्टल टीम
श्री बी.एस.भाटिया (परियोजना निदेशक)
श्री आइ.सी.माटीएडा
श्री विराट कोठारी
सुश्री जैनी परीख
सुश्री मनीषा पाल
सॉफ्टवेयर विकास टीम सिल्वर टच टेक्नॉलॉजीस लिमिटेड
श्री मिनेश शाह
श्री पलक शाह
श्री विराट कोठारी
श्री मनन मोदी
श्री देवर्षि पटेल
विषय सलाहकार समिति
श्री नारायण (मार्गदर्शक)
डॉ. सुदर्शन आयंगार (संयोजक)
श्री प्रकाश शाह
श्री रमन मोदी
डॉ. रीटा कोठारी
श्री नचिकेदा देसाई
सुश्री दिना पटेल
टेक्नोलॉजी सलाहकार समिति
श्री सैम पित्रोदा (मार्गदर्शक)
प्रो. संजय वर्मा, आईआईएम अहमदाबाद
श्री राघवन सुब्रमण्यन, संबंध उपाध्यक्ष, इंफोसिस लैब्स
श्री नचिकेता देसाई, पत्रकार
श्री विरत याज्ञिक, एमबी. बीइयुअल क्वेस्ट
विषय वस्तु टीम
सुश्री किन्नरी भट्ट (संयोजक)सुश्री दर्शना सोनारा
श्री हसमुख प्रजापति
सुश्री हेतल राठौर
सुश्री किरण डोडिया
सुश्री मेघा तोरी
श्री मुर्तुजा गांधी
सुश्री सुरभि दुबे
श्री सुरेश पिल्लाई
परियोजना निदेशक
श्री बी.एस. भाटिया
मुख्य संपादक
श्री त्रिदिप सुहृद