गारो

Submitted by Hindi on Wed, 08/10/2011 - 16:12
गारो (पहाड़ी) (स्थिति : 250 9’ से 260 1’ उ. अ. तथा 890 49’ से 910 2’ पू. दे.; क्षेत्रफल 3,119 वर्ग मील)।

भारत के असम राज्य में एक पहाड़ी है तथा इसी के नाम का जिला भी है। इसके पूर्व में खासी और जयंतिया पहाड़ियाँ, उत्तर में ग्वालपाड़ा जिला और पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में बँगलादेश है। इस पहाड़ी की सर्वाधिक ऊँचाई 4,652’ (नोकरेक चोटी की) है जो असम श्रेणी के बिल्कुल पश्चिम में, तुर्रा स्टेशन के पूर्व में है। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों द्वारा जल निकासी होती है; इनमें मुख्य सोमेश्वरी नदी है। इस जिले का अधिकांश भाग क्रिटेशियस प्रणाली के बालुकाप्रस्तर तथा काँग्लोमरेट से बना हुआ नीस चट्टान का है।

यहाँ औसत वर्षा 125', तुर्रा में, अभिलिखित है। संपूर्ण जिला मलेरिया से आक्रांत तथा अस्वास्थ्यकर है। इसका नामकरण तिब्बती तथा बर्मी उत्पत्ति की जनजाति गारो पर हुआ है और यही यहाँ मुख्यत: आबाद हैं। गारो जनजाति के लोगों के बाल घँुघराले होते हैं तथा ये आत्मा के पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं।

यहाँ की कृषि स्थानपरिवर्तन करनेवाली (Shifting) है। जंगल का कुछ भाग जला देते हैं और वहीं फसलें उगाई जाती हैं। कुछ साल के बाद फिर दूसरे भागों को इसी प्रकार साफ करके कृषि करते हैं। जंगलों में साल और बाँस के पेड़ बहुतायत से मिलते हैं। यहाँ लाख का उत्पादन भी होता है। कृषि उपज में धान, कपास, सरसों, जूट, ईख तथा तंबाकू मुख्य हैं।

आवागमन के साधनों का अभाव है। यहाँ तेल, चूना पत्थर तथा कोयले के निक्षेप मिलते हैं। कोयले के निक्षेप तक रेलमार्ग गया हुआ है। सभी भागों में बैलगाड़ी के मार्ग हैं।

मुख्य गाँव तुर्रा, गारोबाधा तथा फूलबाड़ी हैं। (राजेंद्रप्रसाद सिंह)

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