गोकाक आधुनिक मैसूर राज्य के बेलगाँव जनपद में गोकाक तालुके का प्रधान नगर है। यह दक्षिणी रेलमार्ग (पहले का दक्षिण मराठा रेलमार्ग) पर स्थित गोकाक स्टेशन से आठ मील दूर स्थित है और राजमार्ग द्वारा उससे जुड़ा हुआ है। पहले यहाँ कपड़ों की बुनाई तथा रँगाई का व्यवसाय बहुत उन्नत था जो बाद में अवनत हो गया। पुन: सरकारी प्रयत्नों से इन उद्योगों का विकास हो रहा है। हल्की लकड़ी तथा स्थानीय क्षेत्र में प्राप्य एक विशेष प्रकार की मिट्टी से निर्मित खिलौने तथा चित्रादि बनाने का व्यवसाय प्रसिद्ध है।
गोकाक प्राचीन कस्बा है। इसका प्रथम उल्लेख 1047 ई. के एक अनुलेख (Inscription) में 'गोकागे' (Gokage) नाम से प्राप्य है। संभवत: यह हिंदुओं का पवित्र स्थल रहा है जो गऊ (गो) से संबंधित है। 1685 ई. में यह 'सरकार' (मध्यकालीन जनपद) का प्रधान केंद्र था। 1717-1754 काल में यह सबानूर के नवाबों के अधीन रहा जिन्होंने यहाँ मस्जिद तथा गंजीखाने का निर्माण कराया। पुन: यह हिंदुओं के अधीन हुआ। सन् 1836 में गोकाक तालुका तथा नगर अंगरेजों के अधीन हो गए।
नगर की जनसंख्या 21,584 (1961) है और नगर से मील पश्चिमोत्तर तथा दक्षिण रेलमार्ग पर स्थित ध्रुपदल स्टेशन से तीन मील दूर स्थित गोकाक प्रपात है जहाँ घाटप्रभा नदी बलुआ पत्थर के शीर्ष से 170 फुट गहराई में गिरती है। प्रपात के बाद एक सुंदर खड्डमय घाटी (gorge) का निर्माण करती है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। प्रपात के समीप ही नदी के दाएँ तट पर 1887 ई. में सूती कपड़े का कारखाना निर्मित हुआ। कारखाने को बिजली देने तथा आसपास के क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये 'गोकाक जलाशय' का निर्माण हुआ। गोकाक नगरपालिका का क्षेत्र (22.5 वर्ग मील) प्रशासकीय सुविधा के लिये पाँच भागों में बँटा है। (काशी नाथ सिंह)
गोकाक प्राचीन कस्बा है। इसका प्रथम उल्लेख 1047 ई. के एक अनुलेख (Inscription) में 'गोकागे' (Gokage) नाम से प्राप्य है। संभवत: यह हिंदुओं का पवित्र स्थल रहा है जो गऊ (गो) से संबंधित है। 1685 ई. में यह 'सरकार' (मध्यकालीन जनपद) का प्रधान केंद्र था। 1717-1754 काल में यह सबानूर के नवाबों के अधीन रहा जिन्होंने यहाँ मस्जिद तथा गंजीखाने का निर्माण कराया। पुन: यह हिंदुओं के अधीन हुआ। सन् 1836 में गोकाक तालुका तथा नगर अंगरेजों के अधीन हो गए।
नगर की जनसंख्या 21,584 (1961) है और नगर से मील पश्चिमोत्तर तथा दक्षिण रेलमार्ग पर स्थित ध्रुपदल स्टेशन से तीन मील दूर स्थित गोकाक प्रपात है जहाँ घाटप्रभा नदी बलुआ पत्थर के शीर्ष से 170 फुट गहराई में गिरती है। प्रपात के बाद एक सुंदर खड्डमय घाटी (gorge) का निर्माण करती है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। प्रपात के समीप ही नदी के दाएँ तट पर 1887 ई. में सूती कपड़े का कारखाना निर्मित हुआ। कारखाने को बिजली देने तथा आसपास के क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये 'गोकाक जलाशय' का निर्माण हुआ। गोकाक नगरपालिका का क्षेत्र (22.5 वर्ग मील) प्रशासकीय सुविधा के लिये पाँच भागों में बँटा है। (काशी नाथ सिंह)
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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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