घरेलू नलकूप अन्वेषण(खोज़) के लिए प्रयोग की जाने वाली सर्वाधिक सामान्य भू-भौतिक विधियों में से एक उर्ध्वाधर (लम्बवत्) विद्युतीय ध

Submitted by Hindi on Tue, 12/08/2009 - 16:05
नाम
इंडिया वाटर पोर्टल
ईमेल
water.community@gmail.com
Tel/ Mo No
9250725116
घरेलू नलकूप अन्वेषण(खोज़) के लिए प्रयोग की जाने वाली सर्वाधिक सामान्य भू-भौतिक विधियों में से एक उर्ध्वाधर (लम्बवत्) विद्युतीय ध्वनीकरण विधि है। हालॉंकि, इस सर्वेक्षण विधि में उपरोक्त अवस्थिति के आसपास पर्याप्त खुला स्थान होना चाहिए। भूगर्भशास्त्री नलकूप हेतु उपयुक्त स्थान की पहचान करने के लिए 1,500 से 5,000 तक का शुल्क लगाते हैं। भू-भौतिक सर्वेक्षण की अन्य विधियां भी विशेष मामलों में उपयोग में लाई जाती हैं, परन्तु वे बहुत ही खर्चीली होती हैं। लकड़ी की छड़ी अथवा चुम्बकीय पिण्डकों को उपयोग में लाने वाले स्थानीय कूपअनुमानकर्ता भी कुछ हद तक नलकूप हेतु उपयुक्त स्थान का पता लगाने में सफल होते हैं। परन्तु इस विधि की विश्वसनीयता विशेषकर कठोन भूगार्भिक संरचना वाले क्षेत्रों मे संदेहास्पद है।क्या नलकूप छिद्रण (खुदाई) हेतु कोई विशेष समय होता है?यदि किसी स्थान पर पर्याप्त जल संभावना हो, तो नलकूप छिद्रण के लिए कोई निर्धारित समय नहीं होता है। हालांकि, कहीं कहीं पर गर्मियों में जलस्तर बहुत नीचे पहुंच जाता है, इसलिए कई विशेषज्ञ ग्रीष्मऋतु को नलकूप छिद्रण हेतु सर्वाधिक उपयुक्त समय मानते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रीष्मकाल में कृषियोग्य भूमि पर खेती आदि नहीं किया जा सकता, अत: इस भूमि पर भी नलकूप छिद्रण इसी मौसम में उपयुक्त होगा।नलकूप छिद्रण (खुदाई) हेतु कौन सी सामान्य विधियां अपनाई जाती हैं।छिद्रण की विधियां, किसी विशिष्ट भूगार्भिक संरचना के प्रकार (जैसेःजलोढ, विशालखण्ड युक्त, कठोर चट्टान) के आधार पर विधि की उपयुक्तता, लागत, नलकूप का व्यास एवं गहराई,उद्देश्य,आदि जैसे कारकों द्वारा निर्धारित होती हैं। मुख्य रूप से प्रयोग में आने वाली विधियां हैं- • तीव्र जलघारा द्वारा- जलोढ संघटन वाले क्षेत्रों में छिछले छेद • वेधनी छिद्रण- जलोढ संघटन वाले क्षेत्रों में छिछले छेद • पुटक छिद्रण- दोनों प्रकार अर्थात् कठोर चट्टानी एवम् जलोढ संघटन वाले क्षेत्रों में छिछले छेद • प्रघात छिद्रण- गोलाश्मयुक्त संघटन वाले क्षेत्रों में गहरे छेद • परिभ्रामी छिद्रण- जलोढ संघटन वाले क्षेत्रों में बडडे एवम् गहरे छेद हेतु प्रयुक्त सबसे प्रचलित विधि • छिद्र में नीचे के ओर हथौड़े के प्रहारवाला(डीटीएच)छिद्रण- कठोर चट्टानी संघटन वाले क्षेत्रों में बड़े एवम् गहरे छेद हेतु प्रयुक्त सबसे प्रचलित विधिघरेलू उद्देश्य से छिद्रित नलकूप का मानक व्यास क्या होता है? घरेलू उद्देश्य हेतु छिद्रित नलकूप का व्यास समान्यत: 4.5 और 6 इंच हेाता है। वैसे तो समान्यत: 4.5 इंच व्यास वाले नलकूप घरेलू उद्वेश्य हेतु छिद्रित किये जाते हैं, परन्तु अघिक मात्रा में जल की आवश्यकता वाले बड़े अपार्टमेंट्स (आवासीय परिसर) अथवा ईमारतों एवं कृषि कार्यों हेतु 6 ईंच व्यास वाले नलकूप छिद्रित किए जाते हैं। कठोर चट्टानों वाले क्षेत्र में विशिष्ट आकार के नलकूपों के छिद्रण से पहले बड़े व्यास वाला छिद्र बनाया जाता है, जिसमें बाद में मुख्य पाइप डाला जाता है। नलकूप छिद्रण हेतु सामान्यत: शुल्क कैसे परिकलित किया (निकाला) जाता है?किसी विशिष्ट आकार वाले नलकूप के छिद्रण हेतु शुल्क निर्धारण निम्न आधारों पर किया जाता है 1. प्रति फीट छिद्रण लागत, 2. प्रति फीट आवरण पाइप में लागत, 3. छिद्रण की लागत और प्रति फीट आवरण पाइप लगाने में हुआ खर्च,4. छिद्रण के पश्चात् नलकूप का प्रति घंटा प्रक्षालन शुल्क, और5. निकटतम नगर से साज़ो-सामान लाने में लगा प्रतिकिलोमीटर खर्च।कई बार छिद्रण दर कुछ खास श्रेणी हेतु निर्धारित मूल्यपट्टियों द्वारा भी तय होता है, ऐसा विशेषकर गहरे नलकूप के मामले में होता है। साज़ो-सामान की उप्लब्धता, स्थानीय मांग ओैर निर्धारित स्थान की स्थिति के आधार पर छिद्रण दर में अन्तर पाया जाता है, अत: प्रतिस्पर्धी एवं उचित भाव हेतु यह अच्छा होगा कि कुछ छिद्रकर्ताओं से पूछताछ कर ली जाए। नलकूप हेतु किस प्रकार का आवरण पाइप प्रयुक्त हेाता है?आवरण पाइप के रूप में वर्तमान में सर्वाघिक मात्रा में पीवीसी पाइप का प्रयेाग किया जाता है। पहले उपयेाग किए जानेवाले जीआइ/हल्के इस्पात के पाइप अब अच्छे नहीं माने जाते क्योंकि इसमे जंग लगने की समस्या होती है। नलकूप हेतु उपयेाग में लाये जाने वाले पाइप आइएसओ 12818:1992 मानकों के अनुरूप होने चाहिए जो नलकूप हेतु प्लास्टिक विहीन पीवीसी चदरों एवं आवरण पाइपों हेतु भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्दिष्ट मानदण्डों पर आधारित हैं। यह मानक, नलकूप जलापूर्ति हेतु प्लास्टिकविहीन पॉलीविनाइल क्लोराइड से निर्मित पट्टीदार चादरों, समतल चादरों एवं 40 से 400 मिमी के नाममात्र व्यास वाले समतल आवरण पाइपों पर लागू होते हैं।जल प्राप्ति यदि रेतीले क्षेत्रों मे हो रही हो तो नलकूप के बगल की दीवार को गिरने से बचाने तथा नलकूप मे रेत के महीन कणों के प्रवेश को रोकने तथा नलकूप अवरूद्ध होने से बचाने के लिए झिरीदार पीवीसी आवरण पाइफ का प्रयोग किया जाता है। झिरी के आकार तथा आवरण पाइप के चारो ओर बजरीयुक्त थैली सहित इसे लगाए जाने की गहराई के निर्धारण हेतु भूगर्भशास्त्रियों द्वारा विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता होती है।