गोमती नाम से कई नदियां पाई जाती हैं जैसे कि एक द्वारिका में तो एक डेरा इस्माइलखां (सिंध) तथा पहाड़पुर के पास सिंध नदी में मिलती है। इसी प्रकार एक शाहजहांपुर, बालामऊ, नैमिषारण्य, लखनऊ, सुल्तानपुर, जौनपुर आदि स्थलों से होती हुई मार्कण्डेयश्वर के पास वाराणसी से 50 किलोमीटर पूर्व गंगा में मिल जाती है। तात्पर्य यह है कि गंगा की सात धाराओं में से एक गोमती नैमिषारण्य वाली है। जहां भगवान श्रीराम ने सैंकड़ों अश्वमेध यज्ञ किए थे। नैमिषारण्य की भांति जारोथी नगर तो अश्वमेध यज्ञों का ही सूचक हो गया था। वायुपुराण अध्याय 91/26 के अनुसार काशिराज दिवोदास ने क्षेमक राक्षस से पीड़ित होकर काशी को त्याग दिया और गोमती तट पर यहीं आकर रहने लगे थे।
Hindi Title
गोमती
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
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