चंडीगढ़ से 108 कि.मी. दूर सतलुज नदी पर भाखड़ा-नांगल बांध से बनी यह झील भारत के नक्शे पर सर्वोच्च स्थान पर पहुंच गई है, जिससे एक बहुत बड़े भू-भाग को सिंचाई आदि की सुविधा मिलने लगी है। यहां का भू-भाग एक परी लोक में परिवर्तित हो गया है। सतलुज पर बने बांध के छिद्रों से झरने के रूप में झरता स्वच्छ पानी नयनों को बहुत भला लगता है। इससे बीस कि.मी. दूर नयना देवी का मंदिर है तथा पहाड़ी पर स्थित आनंद पुर साहिब नामक सिखों का तीर्थ स्थान है। हिन्दू और सिख दोनों ही इसे पवित्र मानते हैं। अगस्त माह में नयना देवी के मंदिर पर मेला लगता है। हजारों भक्त यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। अब गोविंद सागर झील जैसी वहां चार बड़ी झीलें बन चुकी हैं और उनके विकास की परियोजना चल रही है।
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