1. गैस और द्रव के अंतरापृष्ठ पर बनने वाली वह तरंग जो प्राथमिक रूप से गुरुत्व बल पर निर्भर करती है और जिसके बनने में पृष्ठ-तनाव और श्यानता का महत्त्व गौण होता है।
2. किसी तरल माध्यम में बनने वाली वह तरंग जिसका पुनः स्थापक बल संपीडन की अपेक्षा मुख्यतः उत्प्लावकता बल (अर्थात गुरुत्व बल) द्वारा प्राप्त होता है।
तरल माध्यम में उपस्थित वे लहरें जो प्रत्यानयन बल द्वारा संपीड़न के बजाय उत्प्लावक क्षमता प्रदान करती है, गुरुत्व लहरें कहलाती हैं।
2. किसी तरल माध्यम में बनने वाली वह तरंग जिसका पुनः स्थापक बल संपीडन की अपेक्षा मुख्यतः उत्प्लावकता बल (अर्थात गुरुत्व बल) द्वारा प्राप्त होता है।
तरल माध्यम में उपस्थित वे लहरें जो प्रत्यानयन बल द्वारा संपीड़न के बजाय उत्प्लावक क्षमता प्रदान करती है, गुरुत्व लहरें कहलाती हैं।