गोवा के बाद गुजरात को भी 'हर घर जल' राज्य घोषित किया गया है जिसका मतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में नल के माध्यम से स्वच्छ पेयजल पहुंच गया है।सरकारी आकड़ो के अनुसार राज्य के सभी 91,73,378 घरों में नल से जल की पहुंच हैं यानी गुजरात के हर घर में अब नल के पानी का कनेक्शन है।
इस लक्ष्य को हासिल करने के बाद गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने ट्वीट करते हुए कहा कि
"नए साल के शुभ अवसर पर गुजरात को एक और उपलब्धि मिली है राजय को 100% हरघर जल राज्य घोषित किया गया है । पीएम नरेंद्र मोदी , सीएम भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व और ऋषिकेश पटेल जी के प्रयास से गुजरात के हर घर में अब "जल" पहुंच रहा है ।"
वही जल आपूर्ति विभाग,गुजरात सरकार की और से भी इस पर प्रतिक्रिया दी गई और ट्वीट करते हुए कहा
"आज गुजरात के इतिहास में एक अद्भुत दिन है क्योंकि राज्य 100% नल के पानी से जुड़ गया है। प्रदेश का हर ग्रामीण परिवार अब व्यक्तिगत रूप से एफएचटीसी से जुड़ा है जो उन्हें सुरक्षित, पर्याप्त और नियमित पेयजल प्रदान करता है।"
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, जल संसाधन और जल आपूर्ति मंत्री ऋषिकेश पटेल ने इस उपलब्धि की सराहना की और ट्वीट करते हुए कहा
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में सरकार ने विकास में एक और मील का पत्थर जोड़ा है। "
बता दे जल जीवन मिशन भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसकी घोषणा 15 अगस्त, 2019 को प्रधान मंत्री द्वारा लाल किले से की गई थी। इस मिशन का उद्देश्य पर्याप्त मात्रा में, निर्धारित गुणवत्ता और नियमित रूप से पीने योग्य नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के साथ 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार नल से जल उपलब्ध कराना है। केंद्र सरकार की और से इस मिशन के तहत 3.60 लाख करोड़ रुपये के बजट का अनुमान लगाया गया है, जिसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 2.08 लाख करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट जारी किया था।
केंद्र सरकार की और से मार्च में बताया गया था कि उसने वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान जल जीवन मिशन के तहत 60 हजार करोड़ रुपये जारी किए हैं, जो हर घर जल योजना के महत्व को दर्शाता है। इससे पहले सरकार ने बताया था कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन और अन्य व्यवधानों के बावजूद 2.06 लाख करोड़ ग्रामीण घरों में नल का पानी पहुंच गया है।
सरकार के मुताबिक इस योजना में महिलाओं की भूमिका सबसे अहम है। महिलाएं जल समिति और निगरानी समिति का हिस्सा हैं। 31 मार्च 2022 तक 4.78 लाख जल समितियों का गठन किया जा चुका है।
जल जीवन मिशन को संयुक्त रूप से केंद्र और राज्य सरकारों को वित्त पोषित करने का प्रावधान है, जिसमें केंद्र सरकार उन केंद्र शासित प्रदेशों में 100% हिस्सा देगी जहां विधान सभा नहीं है, जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधान सभा के साथ, केंद्र और राज्य का हिस्सा 90:10 और अन्य राज्यों का हिस्सा 50:50 होगा।