राजभाषा के रूप में हिंदी
भारत के संविधान में देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है (अनुच्छेद 343(1))। हिंदी की गिनती भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल पच्चीस भाषाओं में की जाती है। भारतीय संविधान में व्यवस्था है कि केंद्र सरकार की पत्राचार की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यह विचार किया गया था कि 1965 तक हिंदी पूर्णतः केंद्र सरकार के कामकाज की भाषा बन जाएगी (अनुच्छेद 344 (2) और अनुच्छेद 351 में वर्णित निदेशों के अनुसार), साथ में राज्य सरकारें अपनी पंसद की भाषा में कामकाज संचालित करने के लिए स्वतंत्र होंगी। लेकिन राजभाषा अधिनियम (1963) को पारित करके यह व्यवस्था की गई कि सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग भी अनिश्चित काल के लिए जारी रखा जाए। अतः अब भी सरकारी दस्तावेजों, न्यायालयों आदि में अंग्रेजी का इस्तेमाल होता है। हालांकि, हिंदी के विस्तार के संबंध में संवैधानिक निदेश बरकरार रखा गया।
राज्य स्तर पर हिंदी भारत के निम्नलिखित राज्यों की राजभाषा है: बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली। ये प्रत्येक राज्य अपनी सह-राजभाषा भी बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में यह भाषा उर्दू है। इसी प्रकार कई राज्यों में हिंदी को भी सह-राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।
वैश्विक भाषा के रूप में हिंदी
यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि विदेशियों में भी भारत की धनी संस्कृति को समझने की रुचि बढ़ी है। यही वजह है कि कई देशों ने अपने यहां भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षण केंद्रों की स्थापना की है। भारतीय धर्म, इतिहास और संस्कृति पर विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित करने के अलावा इन केंद्रों में हिंदी, उर्दू और संस्कृत जैसी कई भारतीय भाषाओं में भी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। वैश्वीकरण और निजीकरण के इस परिदृश्य में अन्य देशों के साथ भारत के बढ़ते व्यापारिक संबंधों को देखते हुए संबंधित व्यापारिक साझेदार देशों की भाषाओं की अन्तर-शिक्षा की जरूरत महसूस की जाने लगी है। इस घटनाक्रम ने अन्य देशों में हिंदी को लोकप्रिय और सरलता से सीखने योग्य भारतीय भाषा बनाने में काफी योगदान किया है। अमरीका में कूछ स्कूलों ने फ्रेंच, स्पेनिश और जर्मन के साथ-साथ हिंदी को भी विदेशी भाषा के रूप में शुरू करने का फैसला किया है। हिंदी ने भाषा-विषयक कार्य-क्षेत्र में स्वयं के लिए एक वैश्विक मान्यता अर्जित कर ली है।
तकनीकी भाषा के रूप में हिंदी
भाषाओं और विशेष रूप से हिंदी में भाषा प्रौद्योगिकी में विकास की शुरुआत 1991 में इलेक्ट्रॉनिकी विभाग के अधीन भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी विकास मिशन (टीडीआईएल) की स्थापना के साथ हुई। इसके उपरांत मिशन के तहत बड़ी संख्या में गतिविधियां संचालित की गईं। भारतीय भाषाओं की स्मृद्धि को ध्यान में रखते हुए 1991 में हिंदी सहित संवैधानिक रूप से स्वीकार्य प्रत्येक भाषा में तीन लाख शब्दों का संग्रह विकसित करने का फैसला किया गया। तदनुसार हिंदी शब्द संग्रह विकसित करने का काम आईआईटी दिल्ली को सौंपा गया। हिंदी संग्रह के 1981-1990 के दौरान मुद्रित पुस्तकें, जर्नल्स, पत्रिकाएं, समाचार पत्र और सरकारी दस्तावेज हैं। इन्हें छः मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है; समाज विज्ञान, भौतिक एवं व्यावसायिक विज्ञान, सौन्दर्य-विषयक, प्राकृतिक विज्ञान, वाणिज्य, सरकारी और मीडिया भाषाएं तथा अनुदित सामग्री। शब्द स्तरीय टैगिंग, शब्द गणना, अक्षर गणना, फ्रीक्वेन्सी गणना के लिए सॉफ्टवेयर टूल्स भी विकसित किए गए। विभिन्न संस्थानों द्वारा करीब तीस लाख शब्दों को मशीन से पढ़ने योग्य संग्रह विकसित किया गया है।
इसके अलावा, विभिन्न संगठनों ने हिंदी शब्द संसाधक विकसित किए हैं और सिद्धार्थ (डीसीएम, 1983 में) से लेकर लिपि (हिंदी ट्रॉनिक्स 1983), आईएसएम, आईलीप, लीप ऑफिस (सी डैक, पुणे), जिस्ट, श्रीलिपि, सुलिपि, एपीएस, अक्षर आदि तक हिंदी में और भी कई अन्य वर्ड-प्रोसेसर उपलब्ध हैं। सीडैक पुणे ने जिस्ट टेक्नोलॉजी विकसित की है, जिससे सूचना प्रौद्योगिकी में भारतीय भाषाओं का प्रयोग सुविधाजनक हुआ है। यह सूचना अन्तर-परिवर्तन, स्क्रीन और प्रिन्टर पर उनके प्रदर्शन के लिए विशेष फॉन्ट्स (आईएसएफओसी), विभिन्न लिपियों के लिए संयुक्त की-बोर्ड लेआउट (इनस्क्रिप्ट) आदि का प्रयोग करते हुए भारतीय लिपि कोड का इस्तेमाल करता है।
दी भाषा में रोज़गार के अवसर
हमारी राष्ट्रीय भाषा की अत्यधिक लोकप्रियता और बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय महत्व के साथ-साथ, हिंदी भाषा के क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों में भी जबर्दस्त प्रगति हुई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों (हिंदी भाषी राज्यों में) के विभिन्न विभागों में, हिंदी भाषा में काम करना अनिवार्य है। अतः केंद्र/राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों और इकाइयों में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक, प्रबंधक (राजभाषा) जैसे विभिन्न पदों की भरमार है। निजी टीवी और रेडियो चैनलों की शुरुआत और स्थापित पत्रिकाओं/ समाचार-पत्रों के हिंदी रूपान्तर आने से रोजगार के अवसरों में कई गुणा वृद्धि हुई है। हिंदी मीडिया के क्षेत्र में संपादकों, संवाददाताओं, रिपोर्टरों, न्यूजरीडर्स, उप-संपादकों, प्रूफ-रीडरों, रेडियो जॉकी, एंकर्स आदि की बहुत आवश्यकता है। इनमें रोजगार की इच्छा रखने वालों के लिए पत्रकारिता/जन-संचार में डिग्री/डिप्लोमा के साथ-साथ हिंदी में अकादमिक योग्यता रखना महत्वपूर्ण है। कोई व्यक्ति रेडियो/टीवी/सिनेमा के लिए स्क्रिप्ट राइटर/डॉयलाग राइटर/गीतकार के रूप में भी काम कर सकता है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक और कलात्मक रूप में सृजनात्मक लेखन आवश्यक होता है। लेकिन किसी व्यक्ति के लेखन के स्टाइल में सृजनात्मक लेखन में डिग्री/डिप्लोमा निश्चित तौर पर निखार ला सकता है।
इसमें प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय लेखकों के कार्यों का हिंदी में अनुवाद तथा हिंदी लेखकों की कृतियों का अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद कार्य करना भी सम्मिलित होता है। फिल्मों की स्क्रिप्टों/विज्ञापनों को हिंदी/अंग्रेजी में अनुवाद करने का भी कार्य होता है। परंतु इस क्षेत्र के लिए द्विभाषी दक्षता होना महत्वपूर्ण है। कोई व्यक्ति एक स्वतंत्र अनुवादक के तौर पर अपनी आजीविका संचालित कर सकता है और अपनी खुद की अनुवाद फर्म भी स्थापित कर सकता है। ऐसी फर्में अनुबंध आधार पर कार्य प्राप्त करती हैं तथा बहुत से पेशेवर अनुवादकों को रोज़गार उपलब्ध कराती हैं। विदेशी एजेंसियों से भी अनुवाद परियोजनाओं के अवसर प्राप्त होते हैं। यह कार्य आसानी से इंटरनेट के जरिए किया जा सकता है। विश्वभर में सिस्ट्रॉन, एसडीएल इंटरनेशनल, डेट्रॉयर ट्रांसलेशन ब्यूरो, प्रोज आदि असीमित संख्या में भाषा कम्पनियां हैं। इनमें से ज्यादातर भाषाई-उन्मुख कम्पनियां हैं जो कि बहुभाषी सेवाएं उपलब्ध कराती हैं और इनमें से एक भाषा हिंदी भी है। अन्य कम्पनियां इन कम्पनियों से अनुबंध आधार पर भाषा सेवाएं प्राप्त करती हैं। सामान्यतः इन फर्मों में रोज़गार के अवसर स्थाई या स्वतंत्र अनुवादकों तथा भाषान्तरकारों के रूप में उपलब्ध होते हैं।
अब हम हर वैश्विक प्रकाशन घटाने को बहुसंख्यक लोगों के बीच, विशेषकर हिंदी क्षेत्र में अपना स्थान बनाने के लिए संघर्षरत पाते हैं। आश्चर्यजनक रूप से प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन घरानों ने न केवल हिंदी प्रकाशन की शुरुआत की है बल्कि श्रेष्ठ बिक्री लक्ष्य प्राप्त करने वाली पुस्तकों के बड़े पैमाने पर अनुदित रूपान्तर (हिंदी में) प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। अतः प्रकाशन घरानों में अनुवादक, संपादक और कम्पोजर के रूप में व्यापक अवसर मौजूद हैं। हिंदी भाषा में स्नातकोत्तरों, विशेषकर जिन्होंने अपनी पीएचडी पूरी कर ली है, के लिए विदेशों में भी रोजगार के अवसर हैं। कुछ देशों द्वारा हिंदी को बिजनेस की भाषा स्वीकार किए जाने के फलस्वरूप विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा और भाषा-विज्ञान के शिक्षण की जबर्दस्त मांग बढ़ी है। भारत में स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक के तौर पर भी परंपरागत शिक्षण व्यवसाय को चुना जा सकता है।
हिंदी भाषा में कालेजों/विश्वविद्यालयों द्वारा सचांलित किए जाने वाले पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय/कालेज संचालित पाठ्यक्रम
विश्वविद्यालय/कॉलेज | संचालित पाठ्यक्रम |
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय पंचटीला, वर्धा (महाराष्ट्र) | एम.ए., एम.फिल, पीएचडी (भाषा प्रौद्योगिकी |
हिंदी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय हैदराबाद-46 | हिंदी भाषा में एम.ए., एम.फिल और पीएचडी. कार्यात्मक हिंदी, हिंदी अनुवाद में स्नाकोत्तर डिप्लोमा। |
उच्चतर शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, विश्वविद्यालय स्कंध, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, टी.नगर, चेन्नई-17 (तमिलनाडु) | हिंदी साहित्य और भाषा में एम.ए., एम.फिल और पीएचडी, हिंदी अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा |
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली | हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर प्रमाण पत्र |
पुणे विश्वविद्यालय, पुणे (महाराष्ट्र) | कार्यात्मक हिंदी में एम.ए. |
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी-05 (उ.प्र.) | कार्यात्मक हिंदी में एम.ए. (पत्रकारिता) |
अविनाशलिंगम डीम्ड यूनिवर्सिटी फॉर वूमैन, कोयम्बटूर (तमिलनाडु) | कार्यात्मक हिंदी में एम.ए. |
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) | हिंदी पत्रकारिता में एम.ए. |
आंध्र विश्वविद्यालय, विशाकापत्तनम (आ.प्र.) | हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा अनुवाद (हिंदी) में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। |
चौ चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ (उ.प्र.) | कार्यात्मक हिंदी में एम.ए. |
दूरस्थ शिक्षण संस्थान, केरल विश्वविद्यालय, त्रिवेंद्रम-695581 (केरल) | कार्यात्मक हिंदी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा |
दूरस्थ शिक्षा, बंगलौर यूनिवर्सिटी, सेंट्रल कॉलेज कैम्पस, अम्बेडकर विथि, बंगलौर (कर्नाटक) | अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हिन्दी) |
एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई | अनुवाद (हिंदी) में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। |
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ (उ.प्र.) | अनुवाद (हिंदी) में स्नातकोत्तर डिप्लोमा |
इग्नू, नई दिल्ली | अनुवाद (हिंदी) में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हिंदी में सृजनात्मक लेखन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। |
(उपर्युक्त सूची सांकेतिक है)
लेखक सेना कैडेट कालेज, भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून-248007 में हिंदी विभाग के अध्यक्ष हैं