हिरोशिमा जापान के हांशू द्वीप के दक्षिणी तट पर स्थित यह नगर हिरोशिमा परफेक्चर की राजधानी, एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र एवं बंदरगाह है। यह ओसाका के 180 मील पश्चिम में आंतरिक समुद्रतट पर हिरोशिमा खाड़ी पर सघन जनसंख्यावाले क्षेत्र के मध्य में स्थित है। इस नगर के समीप में ही इसूकू या इताकू शिमा का पवित्र स्थान है। इताकू शिमा का अर्थ प्रकाश द्वीप है जो बेंटेन नामक देवी को समर्पित है। इस द्वीप के कारण हिरोशिमा संपूर्ण जापान में विख्यात है। यह हांशू के अन्य भागों में नदी, रेल एवं नहरों से मिला हुआ है। सिल्क, सूती वस्त्र, यंत्र, जलयान, मोटर, रबर, फी एवं मत्स्य उद्योग उल्लेखनीय हैं। हिरोशिमा द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व एक महत्वपूर्ण औद्योगिक, रेलमार्ग केंद्र, बंदरगाह एवं सैनिक केंद्र था। 6 अगस्त, 1945 को संयुक्त राज्य की सेनाओं ने इस नगर पर पहला परमाणु बम गिराया जिससे दो तिहाई भवन नष्ट हो गए एवं लगभग 80 हजार लोगों की मृत्यु हुई। इसके तीन दिन बाद नागासाकी पर बम गिराया गया और शीघ्र ही 14 अगस्त, 1845 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। मृतकों की संख्या के बराबर ही घायल, पंगु, रुग्ण एवं बीमारों की संख्या थी।
बम गिरने के स्थान पर एक अंतर्राष्ट्रीय शांति चैत्य बनाया गया है। मिसेन (Misen) 540 मी सर्वोच्च बिंदु हैं। यहाँ से नगर का दृश्य बहुत ही मनोहर लगता है। बहुत से मंदिर, चैत्य तथा पगोडा यहाँ हैं। हिरोशिमा में विश्वविद्यालय एवं संग्रहालय हैं। इस नगर की जनसंख्या 4,31,285 (1960) है। (राजेंद्र प्रसाद सिंह)
बम गिरने के स्थान पर एक अंतर्राष्ट्रीय शांति चैत्य बनाया गया है। मिसेन (Misen) 540 मी सर्वोच्च बिंदु हैं। यहाँ से नगर का दृश्य बहुत ही मनोहर लगता है। बहुत से मंदिर, चैत्य तथा पगोडा यहाँ हैं। हिरोशिमा में विश्वविद्यालय एवं संग्रहालय हैं। इस नगर की जनसंख्या 4,31,285 (1960) है। (राजेंद्र प्रसाद सिंह)
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संदर्भ
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