हरगोविंद गुप्त

Submitted by admin on Sun, 12/15/2013 - 12:18

(चैत्र शुक्ल सं. 1964 वि.)


जन्म स्थान :


चिरगांव से सात किलोमीटर दूर घमना ग्राम में।

माता पार्वती देवी के जाने पर पर्वतीय नदी बेतवा ने ही मां का स्थान ग्रहण कर लिया। पिता श्री मोहनलाल का पैतृक व्यवसाय कृषि था, जिसे कुल पांचवी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त हरगोविंद जी ने पितृदाय मानकर स्वीकर किया और किसी न किसी रूप में गांव की धरती से वे पत्नी के देहावसान के बाद तक जुड़े रहे, फिर चिरगांव में बस गए। 1923 से 1925 तक अध्यापन कार्य। 1928 में कांग्रेस में प्रवेश किया। 1930 के ‘नमक सत्याग्रह’ में 6 महीने का कारावास। अनंतर भी समाज सेवा और साहित्य सेवा के कई कार्य।

प्रमुख कृतियां :


‘अदभुत फाग’, ‘हृदय तरंग’, ‘मुक्ता’, ‘अथाई की बात’, ‘अर्चना’, ‘गांव का मैरूदंड किसान’, ‘उजयारी’, ‘श्रम की सिद्धि’, गांव के गीत, ‘बुंदेली कहानियां’, ‘गणेशशंकर विद्यार्थी की लेखनी का संकलन’, ‘लक्ष्मी’, ‘बेतवा की निजवार्ता’। दिवंगत।