गोविंद घाट से भ्यूदर होकर घाघरिया से दाहिने जाने वाला मार्ग हेमकुंड की ओर जाता है। 16 कि.मी. पैदल रास्ता पारकर 14, 590 फुट की ऊंचाई पर हेमकुंड नामक हिमानी झील है। इस रास्ते पर एक छोटा-सा ग्लेशियर भी देखा जा सकता है। हेमकुंड के आस-पास का क्षेत्र पहले लोकपाल के नाम से जाना जाता था। प्राचीन मान्यता है कि यहीं पर लक्ष्मणजी ने लंका विजय के बाद कठोर तप किया था। लक्ष्मणजी की स्मृति में यहां एक छोटा सा लक्ष्मण मंदिर भी दर्शनीय है। संयोग की बात है कि इस स्थल के सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह के पूर्व जन्म की तपस्थली होने की मान्यता है, इसलिए यह झील सिख और हिन्दू दोनों के लिए पवित्र है। यहां सिखों ने विश्व का सबसे ऊंचा गुरुद्वारा बनवाया है। इसी सरोवर से लक्ष्मण गंगा निकलती है।
सन् 1930 में हवलदार मोहन सिंह ने इस सरोवर का पता लगाया। गुरु गोबिंदसिंह ने विचित्र नाटक में एक स्थान का उल्लेख किया है, जहां उन्होंने तप किया था। विश्वास किया जाता है कि गुरुग्रंथसाहिब में वर्णित सरोवर यही है-
“हेमकुंड पर्वत है जहां
सपतश्रंग शोभित है तहां
सपतश्रंग तिह नामु कहावा
पंडराज जहां जोग कमावा
तहं हम अधिक तपस्या साधी
महाकाल कालिका आराधी”
(अर्थात् हेमकुंड पर्वत एक ऐसी पर्वत चोटी है जिस पर सात पर्वत श्रृंखलाएं आकर मिलती हैं। उन्हीं श्रेणियों के मध्य पांडव राज पांडु ने तप किया था। उसी हेमकुंड पर्वत के प्रसिद्ध कुंड के किनारे मैंने पूर्व जन्म में तपस्या की तथा महाकाल और काली की आराधना की।)
इस झील के चारों ओर सात छोटे-छोटे हिमाच्छादित पर्वत शिखर हैं। इन्हें सप्त श्रृंग कहा जाता है। हिमगंगा नदी की यह झील उद्गम स्रोत है। इसे लक्ष्मण गंगा भी कहा जाता है। आगे चलकर यह पुष्पावती नदी में मिल जाती है। घाघरिया के पास लक्ष्मण प्रयाग में मिलती है। यहां पहुंचने के लिए घाघरिया से प्रातः काल चलना चाहिए।
सन् 1930 में हवलदार मोहन सिंह ने इस सरोवर का पता लगाया। गुरु गोबिंदसिंह ने विचित्र नाटक में एक स्थान का उल्लेख किया है, जहां उन्होंने तप किया था। विश्वास किया जाता है कि गुरुग्रंथसाहिब में वर्णित सरोवर यही है-
“हेमकुंड पर्वत है जहां
सपतश्रंग शोभित है तहां
सपतश्रंग तिह नामु कहावा
पंडराज जहां जोग कमावा
तहं हम अधिक तपस्या साधी
महाकाल कालिका आराधी”
(अर्थात् हेमकुंड पर्वत एक ऐसी पर्वत चोटी है जिस पर सात पर्वत श्रृंखलाएं आकर मिलती हैं। उन्हीं श्रेणियों के मध्य पांडव राज पांडु ने तप किया था। उसी हेमकुंड पर्वत के प्रसिद्ध कुंड के किनारे मैंने पूर्व जन्म में तपस्या की तथा महाकाल और काली की आराधना की।)
इस झील के चारों ओर सात छोटे-छोटे हिमाच्छादित पर्वत शिखर हैं। इन्हें सप्त श्रृंग कहा जाता है। हिमगंगा नदी की यह झील उद्गम स्रोत है। इसे लक्ष्मण गंगा भी कहा जाता है। आगे चलकर यह पुष्पावती नदी में मिल जाती है। घाघरिया के पास लक्ष्मण प्रयाग में मिलती है। यहां पहुंचने के लिए घाघरिया से प्रातः काल चलना चाहिए।
Hindi Title
हेमकुंड झील
अन्य स्रोतों से