रूपकुंड मार्ग पर ही एक अन्य सुंदर झील होमकुंड है। यह कुंड भी नन्दा की विदाई से जुड़ा है। वहां हिमालय के परवारी जन और प्रजा बार-बार घूम-घूम कर नंदा से मिले तो वह स्थान होमकुंड या घुमकी कहलाया। उस समय की स्मृति में शिवजी ने शिला पर एक श्री यंत्र बनाया, जिसकी पूजा भाद्रपद अष्टमी को की जाती है। बसंत पंचमी के दिन नंदा को बुलाने के लिए न्यौता भेजा जाता है। नंदा की मनौती के साथ ही उस राज में चार सींग का मेढ़ा पैदा होता है तब समझ लिया जाता है कि नंदा मायके पहुंच गई। उस मेढ़े का पूजन होता है। उस मेढ़े का पूजन होता है। उसे मेढ़े को लेकर यात्रा प्रारम्भ होती है। नंदु घुंघटी पहुंचा जाता है। अष्टमी के दिन यात्रा होमकुंड पहुंचती है और नंदा के श्री यंत्र की पूजा की जाती है।
Hindi Title
होमकुंड झील
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