आग्नेय शैलः
गलित मैग्मा के पिंडन (जमने) से निर्मित शैल।
शैलों के तीन वृहत् समूहों में से एक जिसकी रचना तप्त तरल मैग्मा के शीतल तथा ठोस होने से होती है। आग्नेय शैल कठोर और सामान्यतः अप्रवेश्य होती है तथा इसमें जल केवल जोड़ों या संधियों के सहारे कठिनाई से प्रविष्ट हो पाता है। यह रवेदार होती है और इसमें परतें नहीं पायी जाती हैं। इसमें जीवावशेष (fossils) भी नहीं मिलते हैं। स्थिति के अनुसार आग्नेय शैलें मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं- बाह्य आग्नेय शैल और आंतरिक आग्नेय शैल। जब भूगर्भ से निकला हुआ तप्त तरल मैग्मा धरातल पर पहुँच कर शीतल होता है, बाह्य (extrusive) आग्नेय शैल का निर्माण होता है किन्तु जब वह भूपृष्ठ तक नहीं पहुँच पाता है और उसके नीचे ही ठंडा होकर ठोस हो जाता है, तब आंतरिक (intrusive) आग्नेय शैल का निर्माण होता है। भूपृष्ठ के नीचे निर्मित आग्नेय शैल अधिवितलीय शैल (hypabyssal rock) कहलाती है जिसके विभिन्न रूप हैं- बैकोलिथ, फैकोलिथ, लोपोलिथ, डाइक, सिल आदि। अधिक गहराई में निर्मित आग्नेय शैल को पातालीय शैल (plutonic rock) अथवा वितलीय शैल (abyssal rock) कहा जाता है।
अन्य स्रोतों से
भूपर्पटी में पाए जाने वाले तीन प्रमुख शैलों में से वह शैल जो गलित (molten) मैग्मा के जम जाने के परिणामस्वरूप बनता है।