भारत में लगभग ५०,००० जाति के पुष्पधारी पौधे पाए जाते हैं। इनकी विभिन्न जातियाँ जलीय, मरुस्थलीय, नम, पर्वतीय तथा शीत वातावरण में वितरित हैं। इनमें से कुछ पौधे मौसमी हैं, जो किसी विशेष मौसम में ही फूलते हैं, परंतु कुछ ऐसे भी हैं जो प्राय: साल भर फूलते हुए पाए जाते हैं (देखें फूल)।
निम्नलिखित फूलों का वर्णन यथास्थान किया गया है : अड़ूसा, कचनार, कमल, केवड़ा, खजूर, गुलमेंहदी, गुलदाउदी, गुलाबी, गेंदा, चंपक, चंपा, चमेली, नागफनी, नीम, मेंहदी, तथा सूर्यमुखी। वातावरण के अनुसार पुष्पों का वर्णन निम्नलिखित है:
बुल्फिया एराइजा (Wolffia arrhiza)- यह एक बीजपत्री वर्ग का बहुत छोटा पुष्पधारी पौधा है, जो तालाबों में हरी काई बनाता है। इसके पुष्प बालू के कण के बराबर होते हैं। नर पुष्प में केवल एक पुंकेसर और पुष्प में केवल अंडप (carpel) होता है। पंखुड़ियाँ नहीं पाई जाती हैं, अत: पुष्प नग्न और एकलिंगी होता है। इन पुष्पों में मादा पुष्प नर से पहले पूर्ण विकसित हो जाते हैं।
नील कुमुद या निंफीया स्टेलेटा (Nymphaea stellata)- यह द्विबीजपत्री वर्ग का पौधा है। इसकी कई जातियाँ भारत में पाई जाती हैं। यह बारहों महीने फूलता है, पर इसमें वर्षाऋतु मेें अधिक फूल लगते हैं। इसका पुष्प भी कमल ही की भाँति दिखाई देता है, पर बनावट में भिन्न प्रकार का होता है। प्राय: फूल सफेद, पीला, बैंगनी, अथवा गुलाबी होता है।
नैस्टर्शियन ऑफिसिनैल (Nasturtium officinale)- यह क्रुसिफेरई (cruciferae) कुल का पौधा है। इसक फूल सफेद रंग का होता है।
काठसोला या एस्किनॉमिनी इडिका (Aeschynomene indica)- यह लेग्यूमिनोसी कुल का पौधा है और तालाब के किनारों पर पाया जाता है फूल पीले रंग के होते हैं और पंखुड़ियों पर लाल धारी होती है। फूल बारहों महीने लगता है।
जसिया रिपेंस (Jussiae repens)- यह ऑनाग्रेसिई (Onagrceae) कुल का पौधा है। पानी में पाया जाता है। फूल सफेद या पीले रंग के होते हैं और अक्टूबर से जून तक फलता फूलता है।
सिंघाड़ा या ट्रेपा बाइस्पाइनोसा (Trapa bispinosa)- यह ट्रापेसिई (Trapaceae) कुल का पौधा है। इसे तालाबों में फल के लिये लगाया जाता है, जो खाने के काम आता है। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और दोपहर के बाद खिलते हैं। परागण के बाद फूल का डंठल मुड़ जाता है और फल पानी के अंदर बनता है। यह पौधा वर्षाऋतु में फूलता है और फल जाड़े तक तैयार हो जाते हैं।
निंफाइडीज इडिंकम (Nymphoides indicum)- यह जेशिआनेसिई (Gentianaceae) कुल का पौधा है। फूल सफेद तथा पंखुड़ियों का भीतरी भाग पीला होता है जाड़े में फूल लगता है।
नारी का साग या आइपोमीया ऐक्वैटिका (Ipomoea aquatica)- यह कॉन्वॉवुलेसिई (Convolvulaceae) कुल का पौधा है। तालाब के किनारे पर, अथवा पानी के ऊपर तैरता हुआ, पाया जाता है। फूल सफेद तथा बैंगनी रंग के होते हैं और वर्षा तथा शीतकाल में पाए जाते हैं।
लिम्नोफिला इंडिका (Limnophila indica)- यह स्क्रॉफुलेरिएसिई (Scrophulariaceae) कुल का पौधा है। यह पौधा तालाब के किनारे से लेकर छिछले पानी तक तथा धान के खेतों में भी पाया जाता है। फूल सफेद तथा गुलाबी रंग के होते है और वर्षा तथा जाड़े में फूलते हैं।
युट्रिकुलेरिया क्लेवसुओसा (Utricularia clexuosa)- यह कीटभक्षी जलीय पौधा है। इसकी पत्तियों में छोटे छोटे थैले होते हैं, जिनमें कीड़े फँस जाते हैं। फूल पानी के ऊपर डंठ में लगता है और पीले रंग का होता है। शीतकाल मेंश् यह फूलता है।
नीलकाँटा या हाइग्रोफिला स्पाइनोसा (Hydrophila spinosa)- यह एकैंथेसिई कुल का पौधा है। तालाब के किनारे अथवा धान के खेतों में पाया जाता है। फूल नीले रंग के होते हैं तथा शीतकाल में खिलते हैं।
सलिल कुंतल या वेलिसनीरिया स्पाइरैलि (Vallisneria spiralis)- यह हाइड्रोकेरिटेसिई (Hydrocaritaceae) कुलका पौधा है और पानी के अंदर, किनारे पर पाया जाता है। इसकी पत्ती लंबे फीते की भाँति होेती है और उसमें केवल पाँच शिराएँ (Veins) होती हैं। नर तथा मादा पुष्प अलग होते हैं। यह अक्टूबर से मार्च तक फूलता है। इन फूलों में परागण की क्रिया विचित्र है, जिसमें नर पुष्प टूटकर पौधे से अलग हो जाता है और पत्ती के सतह पर बहता हुआ मादा पुष्प के पास आ जाता है। मादा पुष्प एक बड़े डंठल से पौधों में लगा रहता है। और पानी की सतह पर परागण की प्रक्रिया सम्पन्न होती है, जिसमें नर पुष्प का पुंकेसर मादा के वर्तिकाग्र से होकर अंडाशय तक पहुँचता है।
ओटीलिया एलिसमॉयडिस (Ottelia alismoides)- यह धीमे बहते हुए पानी में अथवा तालाबों में पाया जाता है। इसमें बारहों महीने सफेद रंग के फूल लगते हैं।
लडकिया या मॉनोकोरिया हेस्टाटा (Monochoria hastata)- यह पॉण्टिडेरिएसिई (Pontederiaceae) कुल का पौधा है और तालाब, बहते हुए पानी तथा धान के खेतों में मिलता है। इसमें हलके बैगनी रंग के फूल बरसात के मौसम में फूलते हैं।
जलकुंभी या आइकहॉर्निया क्रैसिप्स (Eichhoenia crassips)- यह पौधा तालाब में तथा धान के खेतों में पानी पर तैरता हुआ पाया जाता है। इसकी पत्तियों का डंठल फूला होता है, जिसमें हवा भरी होते के कारण पौधा पानी पर तैरता रहता रहता है। फूल सफेद अथवा नीले रंग के होते हैैं और एक डंठल पर लगे रहते हैं, जो कुछ समय बाद टेढ़ा होकर पानी के अंदर मुड़ जाता है और इसी अवस्था में इसपर फल लगते हैं।
बेवूल या अकेशा अरैबिका (Acacia arabica)- यह द्विदलीय वर्ग का पौधा है और शुष्क स्थानों में पाया जाता है। इसके पुष्प छोटे होते हैं औरश् एक गेंदाकार पुष्पगुच्छ मेें पाए जाते हैं। फूल का रंग पीला होता है और यह गर्मी तथा जाड़े के मौसम में फूलता है।
यूफॉर्बिया स्प्लेंडेंस (Euphorbiasplendens)- यह एक काँटेदार झाड़ी है। इसकी पत्तियाँ शीघ्र ही झड़ जाती हैं। पुष्प एक लिंगी तथा साइऐथियम (cyathium) पुष्प गुच्छ में पाए जाते हैं, जिसके सहपत्र (Bracts) लाल रंग के होते हैं।
यका ऐलॉइफोलिया (Yocca aloifilia)- यह लीलिएसिई (Liliaceae) कुल का पौधा है। इसकी पत्तियाँ रेशेदार तथा मोटी होती हैं और उनके किनारे काँटेदार होते हैं पेड़ में एक ही बार फूल लगते हैं। फूल सफेद रंग के होते हैं और उनमें छह सफेद पंखुड़ियाँ पाई जाती हैं।
सीरस पेरूविऐनस (Cereus Peruvinus)- यह कैक्टेसिई (Cactaceae) कुल का पौधा है। इसक तना पाँच धारीवाला काँटेदार होता है और फूल बड़े तथाश् सफेद रंग के होते हैं।
झरबेला या जिजिफस नमुलिरिया (Zizyphus nummularia)- यह रैमनेसिई (Rhamnaceae) कुल का पौधा है। इसके अनुपर्ण (stipul) काँटेदार होते हैं। फूल छोटे, सफेद तथा शीत ऋतु के प्रारंभ में सितंबर अक्टूबर तक पाए जाते हैं।
आक, मदार या कैलोट्रापिल प्रोसेरा (Calotropix procera)- यह पौधा एक, दो मीटर ऊँचा झाड़ीनुमा होता है। पत्तियों की निचली सतह छोटे छोटे मुलायम बेलों से ढँकी रहती है। फूल गरमी में तथा जाड़ों में होता है और सफेद अथवा हलके बैगनी रंग का होता है।
कांडियाली या सोलेनम जैंथोकार्पम (Solanum xahthocarpum)- यह एक काँटेदार पौधा है। सूखे स्थानों में अथवा कंकड़ीली पथरीली जमीन पर पाया जाता है। सफेद अथवा बैगनी रंग के फूल गरमी तथा बरसात के मौसम में होते हैं। इसका फल पकने पर पीले रंग का गोलाकार होता है।
गोरख इमली या ऐडैनसोनिया डिजिटेटा (Asansonia digitata)- यह मैलवेसिई (Malvaceae) कुल का पौधा है। इसमें फूल वर्षा ऋतु में लगता है। फूल एक बड़े डंठल से लटकता रहता है और उसमें सफेद पंखुड़ियाँ होती है। यह आधी रात के समय फूलता है तथा दूसरे दिन तक मुरझा जाता है।
अमलतास यह कैसिया फिस्चुला (Cassia fistula)- यह लेग्यूमिनोसी (Legnminoseae) कुल के सीजैल्पिनियाडिई (Caesalpinioideae) उप कुल का पौधा है। इसमें पीले पीले फूल मार्च या अप्रैल माह में लगते हैं (देखें फलक)
पलास या ब्यूटिया फ्रॉएडोसा (Butea frondosa)- लेग्यूमिनोसी कुल का पौधा है। इसमें पत्ते बड़े तथा गोलाकार होते हैं। फूल लाल रंग के तथा ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ (मार्च महीने) में फॅलते हैं (देखें फलक)।
निर्विषी या डलफीनियम अजासिस (Dulphinium ajacis)- यह रानंकुलेसिई (Ranunculaceae) कुल का मौसमी पौधाहै। इसके फूल शीतकाल में खिलते हैं तथा हलके नीले रग के होते हैं। यह बगीचों में सुदंरता के लिये लगाया जाता है।
आइपोमीया रुब्रो कीरूलिया (Ipomoea rubro caerulea)- यह कॉनवॉलवुलेसिई (Convolvulaceae) कुल की लता है। इसकी पंखुड़ियॉ कली की अवस्था में लाल होती है, पर जब फूल खिल जाता है तो वे नीले हो जाती हैं। यह सितंबर नवंबर मास में फूलता है (देखें फलक)।
सैल्विया ऑफिसिनेलिस (Salvia officinalis)- यह लेबिएटी (Labiatae) कुल का मौसमी पौधा है और शीतकाल में बगीचों में लगाया जाता है। फूल सुंदर लाल रंग का होता है।
टिकोमा ग्रैण्डीफलोरा (Tecoma grandiflora)- यह बिगनोनिएसिई (Bignoniaceae) कुल की लता है। इसके फूल गरमी तथा वर्षाकाल में पाए जाते हैं और लाल रंग के होते हैं।
इक्सोरा काक्सीनिया (Ixora coccinea)- यह रुबिएसिई (Rubiaceae) कुल का पौधा है। इसके फूल लाल रंग के होते हैं। प्राय: साल भर फूलता है।
रंगून क्रीपर, या माधुरी लता, या क्विसक्वैलिस इंडिका (Quis qualis indica)- यह कॉम्ब्रीटेसिई (Combretaceae) कुल का पौधा है। इसमें फूल बारहों महीने लगता है। शाम के समय सफेद फूल खिलता है और दिन में फूल लाल हो जाता है। इसमें अच्छी सुगंध होती है।
बोगनविलास या बूगिनविलिया ग्लैब्रा (Bougainvillea glabra)- यह निक्टाजिनेसिई (Nyctaginaceae) कुल की लता है और फूल बारहों महीने फूलता है। इसमें कई रंग के फूल पाए जाते हैं, जैसे सफेद, लाल, गुलाबी, बैंगनी इत्यादि।
अगस्त या सेस्बानिया ग्रैंडिफलोरा (Sesbania grandiflora)- यह पापिलिओनेसिई (Papilionaceae) कुल का छोटा पेड़ है। इसमें सफेद अथवा गुलाबी रंग के फूल शीत ऋतु में लगते हैैं।
पंगारा या एर्थ्राािइना इंडिका (Erythrina indica)- यह भी पापिलिओनेसिई कुल का पेड़ है। इसमें फरवरी और अप्रैल मास में लाल रंग का फूल लगता है।
रतनजोग या अनेमोनि ऑब्टूसिलोबा (Anemone obtusiloba)- यह रानकुलेसिई कुल की झाड़ी है। यह हिमालय पर्वत पर २,५०० से ४,००० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल सफेद अथवा हलके बैंगनी रंग के होते हैं।
कॉरनस कैपिटाटा या बैंथेमिडिया कैपिटाटा (Cornus capitata or benthe- midia Capitata)- यह कॉरनेसिई (Cornaceae) कुल का पौधा है। हिमालय पर १०००-२००० मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है फूल सफेद रंग के होते हैं और पेड़ ऊँचे नहीं होते।
एपिलोबियम लैटिफोलियम (Epilobium latifolium)- यह ऑनाग्रसिई (Onagraceae) कुल का पौधा है। यह हिमालय पर ३,००० मीटर से ऊपर ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल लाल रंग के वृताकार २ से ३ सेंमी० व्यास तक के होते हैं।
लाल जाहरी या जिरेनियम वालिशिऐनम (Geranium wallichianum)- यह जिरेनिएसिई कुल का पौधा है। हिमालय पर २,००० से ३,००० मीटर तक की ऊँचाई प पाया जाता है। फूल लाल रंग के ४ से ५ सेंमी० व्यास के होते हैं।
दुली चंपा या मैग्नोलिया ग्र्ैैंंडिफलोरा (Magnolia grandiflora)- यह मैग्नोलिएसि (Magnoliaceae) कुल का पौधा है। इसका फूल सफेद और ४ से १० सेंमी० व्यास तक का होता है।
ममीरी या कैल्था पॉलस्ट्रिस (Caltha palustris)- यह रानकुलेसिई कुल का पौधा है। हिमालय पर २,००० से ३,००० मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है। फूल पीला होता है। कुछ नम स्थानों में मिलता है।
सलाप या ऑरकिस लैटिफोलिया (Orchis latifolior)- यह ऑरकिडेसिई (Orchidaceae) कुल का पौधा है। २,५०० से ४,००० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल लाल होते हैं।
हिंद स्ट्राबेरी या फ्रागेरिया इंडिका (Fragaria indica)- यह रोजेसिई (Rosaceae) कुल का पौधा है। पहाड़ों पर २,००० से ३,००० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल पीले रंग के होते हैं। स्ट्राबेरी या फ्रजेरिया वेस्का में फूल सफेद होते हैं। यह भी पहाडी या शीत वातावरण में पाया जाता है।
चिमूल या रोडोडेड्रॉन आरबोरियम (Rhododendron arboreum)- यह एरिकेसिई (Ericaceae) कुल का पौधा है। फूल लाल रंग के मार्च से अप्रैल तक फूलते हैैं। (कै० चं० मि०)
उपर्युक्त पुष्पों के अतिरिक्त निम्नलिखित भारतीय पुष्प महत्व के हैं। इन पुष्पों का भारतीय साहित्य एवं संस्कति में अपूर्व स्थान है:
अड़हुल (Hibiscus rosa-sinensis Linn.)- यह सदाबहारी झाड़ी है, किंतु अनुकूल वतावरण में छोेटे वृक्ष का रूप धारण कर लेती है। इसके पुष्प साल भर खिलते हैं, किंतु अप्रैल से सितंबर तक अधिक संख्या में खिलते हैं। पुष्प चमकीले लाल रंग के होते हैं।
अर्जुन (Terminalia arjuna Bedd.)- यह सदाहरित वृक्ष है। इसके फूल प्याले के आकार के हलके पीले होते हैं। फूल मार्च से जून तक खिलते हैं।
अशोक (Saraca indica Linn.)- यह लिग्यूमिनोसी कुल का वृक्ष है। इसके पुष्प बड़े, सुगठित तथा नारंगी लाल रंग के होते हैं। फूल फरवरी मार्च में खिलते हैं। इसड्ढी पत्तियाँ छह इंच से लेकर लगभग एक फुट लंबी होती हैं।
कदंब (Anthocephalus cadamba Miq)- यह रूबिएसिई कुल का वृक्ष है। यह लगभग ३० फूट ऊँचा होता है। इसके पुष्प गेंद की आकृति के तथा पीले रंग के होते हैं। कदंब के फूल गंधयुक्त होते हैं।
कनेर - इस वृक्ष की तीन जातियाँ होती हैं, जिनमें क्रमश: लाल पीले और नीले पुष्प लगते हैं। इन पुष्पों में गंध नहीं होती।
जूही (Jasminum auriculatum Vahl)- यह झाड़ी अपने सुगंधवाले फूलों के करण बगीचों में लगाई जाती है। जूही के फूल छोटे तथा सफेद रंग के होते हैं और चमेली से मिलते जुलते हैं। फुल वर्षा ऋतु में फूलते हैं।
परिजात या हरसिंगार - इस वृक्ष के पुष्प सफेद, तथा सुगंध वाले होते हैं। फूलों के पुष्पवृंत नारंगी रंग के होते हैं। फूल शरद् ऋतु में फूलते हैं।
बेला (Jasminum arborescens Roxb.syn)- यह झाड़ी अपने सुगंधवाले फूलों के लिये प्रसिद्ध है। इसकी एक और जाति है, जिसको मोगरा या मोतिया (Jasminum Sambac Ait) कहते हैं बेला के फूल सफेद रंग के होते हैं। मोतिया के फूल मोती के समान गोल होते हैं।
मौलसिरी या बकुल (Mimusops Elengi linn)- इस वृक्ष के पीले रंग के सुगंधदार फूल होते हैं। फूल मार्च में फूलते हैं। यह वृक्ष ४० से ५० फुट तक ऊँचा होता है।
इनके अतिरिक्त कामिनी, केतकी, गंधराज, माधवी लता, रुक्मिनी, रात की रानी, आदि भारतीय पुष्प हैं, जो अपनी सुगंध के कारण पसंद किए जाते हैं।
निम्नलिखित फूलों का वर्णन यथास्थान किया गया है : अड़ूसा, कचनार, कमल, केवड़ा, खजूर, गुलमेंहदी, गुलदाउदी, गुलाबी, गेंदा, चंपक, चंपा, चमेली, नागफनी, नीम, मेंहदी, तथा सूर्यमुखी। वातावरण के अनुसार पुष्पों का वर्णन निम्नलिखित है:
जलीय वातावरणवाले कुछ पुष्प
बुल्फिया एराइजा (Wolffia arrhiza)- यह एक बीजपत्री वर्ग का बहुत छोटा पुष्पधारी पौधा है, जो तालाबों में हरी काई बनाता है। इसके पुष्प बालू के कण के बराबर होते हैं। नर पुष्प में केवल एक पुंकेसर और पुष्प में केवल अंडप (carpel) होता है। पंखुड़ियाँ नहीं पाई जाती हैं, अत: पुष्प नग्न और एकलिंगी होता है। इन पुष्पों में मादा पुष्प नर से पहले पूर्ण विकसित हो जाते हैं।
नील कुमुद या निंफीया स्टेलेटा (Nymphaea stellata)- यह द्विबीजपत्री वर्ग का पौधा है। इसकी कई जातियाँ भारत में पाई जाती हैं। यह बारहों महीने फूलता है, पर इसमें वर्षाऋतु मेें अधिक फूल लगते हैं। इसका पुष्प भी कमल ही की भाँति दिखाई देता है, पर बनावट में भिन्न प्रकार का होता है। प्राय: फूल सफेद, पीला, बैंगनी, अथवा गुलाबी होता है।
नैस्टर्शियन ऑफिसिनैल (Nasturtium officinale)- यह क्रुसिफेरई (cruciferae) कुल का पौधा है। इसक फूल सफेद रंग का होता है।
काठसोला या एस्किनॉमिनी इडिका (Aeschynomene indica)- यह लेग्यूमिनोसी कुल का पौधा है और तालाब के किनारों पर पाया जाता है फूल पीले रंग के होते हैं और पंखुड़ियों पर लाल धारी होती है। फूल बारहों महीने लगता है।
जसिया रिपेंस (Jussiae repens)- यह ऑनाग्रेसिई (Onagrceae) कुल का पौधा है। पानी में पाया जाता है। फूल सफेद या पीले रंग के होते हैं और अक्टूबर से जून तक फलता फूलता है।
सिंघाड़ा या ट्रेपा बाइस्पाइनोसा (Trapa bispinosa)- यह ट्रापेसिई (Trapaceae) कुल का पौधा है। इसे तालाबों में फल के लिये लगाया जाता है, जो खाने के काम आता है। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और दोपहर के बाद खिलते हैं। परागण के बाद फूल का डंठल मुड़ जाता है और फल पानी के अंदर बनता है। यह पौधा वर्षाऋतु में फूलता है और फल जाड़े तक तैयार हो जाते हैं।
निंफाइडीज इडिंकम (Nymphoides indicum)- यह जेशिआनेसिई (Gentianaceae) कुल का पौधा है। फूल सफेद तथा पंखुड़ियों का भीतरी भाग पीला होता है जाड़े में फूल लगता है।
नारी का साग या आइपोमीया ऐक्वैटिका (Ipomoea aquatica)- यह कॉन्वॉवुलेसिई (Convolvulaceae) कुल का पौधा है। तालाब के किनारे पर, अथवा पानी के ऊपर तैरता हुआ, पाया जाता है। फूल सफेद तथा बैंगनी रंग के होते हैं और वर्षा तथा शीतकाल में पाए जाते हैं।
लिम्नोफिला इंडिका (Limnophila indica)- यह स्क्रॉफुलेरिएसिई (Scrophulariaceae) कुल का पौधा है। यह पौधा तालाब के किनारे से लेकर छिछले पानी तक तथा धान के खेतों में भी पाया जाता है। फूल सफेद तथा गुलाबी रंग के होते है और वर्षा तथा जाड़े में फूलते हैं।
युट्रिकुलेरिया क्लेवसुओसा (Utricularia clexuosa)- यह कीटभक्षी जलीय पौधा है। इसकी पत्तियों में छोटे छोटे थैले होते हैं, जिनमें कीड़े फँस जाते हैं। फूल पानी के ऊपर डंठ में लगता है और पीले रंग का होता है। शीतकाल मेंश् यह फूलता है।
नीलकाँटा या हाइग्रोफिला स्पाइनोसा (Hydrophila spinosa)- यह एकैंथेसिई कुल का पौधा है। तालाब के किनारे अथवा धान के खेतों में पाया जाता है। फूल नीले रंग के होते हैं तथा शीतकाल में खिलते हैं।
सलिल कुंतल या वेलिसनीरिया स्पाइरैलि (Vallisneria spiralis)- यह हाइड्रोकेरिटेसिई (Hydrocaritaceae) कुलका पौधा है और पानी के अंदर, किनारे पर पाया जाता है। इसकी पत्ती लंबे फीते की भाँति होेती है और उसमें केवल पाँच शिराएँ (Veins) होती हैं। नर तथा मादा पुष्प अलग होते हैं। यह अक्टूबर से मार्च तक फूलता है। इन फूलों में परागण की क्रिया विचित्र है, जिसमें नर पुष्प टूटकर पौधे से अलग हो जाता है और पत्ती के सतह पर बहता हुआ मादा पुष्प के पास आ जाता है। मादा पुष्प एक बड़े डंठल से पौधों में लगा रहता है। और पानी की सतह पर परागण की प्रक्रिया सम्पन्न होती है, जिसमें नर पुष्प का पुंकेसर मादा के वर्तिकाग्र से होकर अंडाशय तक पहुँचता है।
ओटीलिया एलिसमॉयडिस (Ottelia alismoides)- यह धीमे बहते हुए पानी में अथवा तालाबों में पाया जाता है। इसमें बारहों महीने सफेद रंग के फूल लगते हैं।
लडकिया या मॉनोकोरिया हेस्टाटा (Monochoria hastata)- यह पॉण्टिडेरिएसिई (Pontederiaceae) कुल का पौधा है और तालाब, बहते हुए पानी तथा धान के खेतों में मिलता है। इसमें हलके बैगनी रंग के फूल बरसात के मौसम में फूलते हैं।
जलकुंभी या आइकहॉर्निया क्रैसिप्स (Eichhoenia crassips)- यह पौधा तालाब में तथा धान के खेतों में पानी पर तैरता हुआ पाया जाता है। इसकी पत्तियों का डंठल फूला होता है, जिसमें हवा भरी होते के कारण पौधा पानी पर तैरता रहता रहता है। फूल सफेद अथवा नीले रंग के होते हैैं और एक डंठल पर लगे रहते हैं, जो कुछ समय बाद टेढ़ा होकर पानी के अंदर मुड़ जाता है और इसी अवस्था में इसपर फल लगते हैं।
मरुस्थलीय वातावरणवाले कुछ पुष्प
बेवूल या अकेशा अरैबिका (Acacia arabica)- यह द्विदलीय वर्ग का पौधा है और शुष्क स्थानों में पाया जाता है। इसके पुष्प छोटे होते हैं औरश् एक गेंदाकार पुष्पगुच्छ मेें पाए जाते हैं। फूल का रंग पीला होता है और यह गर्मी तथा जाड़े के मौसम में फूलता है।
यूफॉर्बिया स्प्लेंडेंस (Euphorbiasplendens)- यह एक काँटेदार झाड़ी है। इसकी पत्तियाँ शीघ्र ही झड़ जाती हैं। पुष्प एक लिंगी तथा साइऐथियम (cyathium) पुष्प गुच्छ में पाए जाते हैं, जिसके सहपत्र (Bracts) लाल रंग के होते हैं।
यका ऐलॉइफोलिया (Yocca aloifilia)- यह लीलिएसिई (Liliaceae) कुल का पौधा है। इसकी पत्तियाँ रेशेदार तथा मोटी होती हैं और उनके किनारे काँटेदार होते हैं पेड़ में एक ही बार फूल लगते हैं। फूल सफेद रंग के होते हैं और उनमें छह सफेद पंखुड़ियाँ पाई जाती हैं।
सीरस पेरूविऐनस (Cereus Peruvinus)- यह कैक्टेसिई (Cactaceae) कुल का पौधा है। इसक तना पाँच धारीवाला काँटेदार होता है और फूल बड़े तथाश् सफेद रंग के होते हैं।
झरबेला या जिजिफस नमुलिरिया (Zizyphus nummularia)- यह रैमनेसिई (Rhamnaceae) कुल का पौधा है। इसके अनुपर्ण (stipul) काँटेदार होते हैं। फूल छोटे, सफेद तथा शीत ऋतु के प्रारंभ में सितंबर अक्टूबर तक पाए जाते हैं।
आक, मदार या कैलोट्रापिल प्रोसेरा (Calotropix procera)- यह पौधा एक, दो मीटर ऊँचा झाड़ीनुमा होता है। पत्तियों की निचली सतह छोटे छोटे मुलायम बेलों से ढँकी रहती है। फूल गरमी में तथा जाड़ों में होता है और सफेद अथवा हलके बैगनी रंग का होता है।
कांडियाली या सोलेनम जैंथोकार्पम (Solanum xahthocarpum)- यह एक काँटेदार पौधा है। सूखे स्थानों में अथवा कंकड़ीली पथरीली जमीन पर पाया जाता है। सफेद अथवा बैगनी रंग के फूल गरमी तथा बरसात के मौसम में होते हैं। इसका फल पकने पर पीले रंग का गोलाकार होता है।
गोरख इमली या ऐडैनसोनिया डिजिटेटा (Asansonia digitata)- यह मैलवेसिई (Malvaceae) कुल का पौधा है। इसमें फूल वर्षा ऋतु में लगता है। फूल एक बड़े डंठल से लटकता रहता है और उसमें सफेद पंखुड़ियाँ होती है। यह आधी रात के समय फूलता है तथा दूसरे दिन तक मुरझा जाता है।
अमलतास यह कैसिया फिस्चुला (Cassia fistula)- यह लेग्यूमिनोसी (Legnminoseae) कुल के सीजैल्पिनियाडिई (Caesalpinioideae) उप कुल का पौधा है। इसमें पीले पीले फूल मार्च या अप्रैल माह में लगते हैं (देखें फलक)
पलास या ब्यूटिया फ्रॉएडोसा (Butea frondosa)- लेग्यूमिनोसी कुल का पौधा है। इसमें पत्ते बड़े तथा गोलाकार होते हैं। फूल लाल रंग के तथा ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ (मार्च महीने) में फॅलते हैं (देखें फलक)।
नम वातावरणवाले कुछ पुष्प
निर्विषी या डलफीनियम अजासिस (Dulphinium ajacis)- यह रानंकुलेसिई (Ranunculaceae) कुल का मौसमी पौधाहै। इसके फूल शीतकाल में खिलते हैं तथा हलके नीले रग के होते हैं। यह बगीचों में सुदंरता के लिये लगाया जाता है।
आइपोमीया रुब्रो कीरूलिया (Ipomoea rubro caerulea)- यह कॉनवॉलवुलेसिई (Convolvulaceae) कुल की लता है। इसकी पंखुड़ियॉ कली की अवस्था में लाल होती है, पर जब फूल खिल जाता है तो वे नीले हो जाती हैं। यह सितंबर नवंबर मास में फूलता है (देखें फलक)।
सैल्विया ऑफिसिनेलिस (Salvia officinalis)- यह लेबिएटी (Labiatae) कुल का मौसमी पौधा है और शीतकाल में बगीचों में लगाया जाता है। फूल सुंदर लाल रंग का होता है।
टिकोमा ग्रैण्डीफलोरा (Tecoma grandiflora)- यह बिगनोनिएसिई (Bignoniaceae) कुल की लता है। इसके फूल गरमी तथा वर्षाकाल में पाए जाते हैं और लाल रंग के होते हैं।
इक्सोरा काक्सीनिया (Ixora coccinea)- यह रुबिएसिई (Rubiaceae) कुल का पौधा है। इसके फूल लाल रंग के होते हैं। प्राय: साल भर फूलता है।
रंगून क्रीपर, या माधुरी लता, या क्विसक्वैलिस इंडिका (Quis qualis indica)- यह कॉम्ब्रीटेसिई (Combretaceae) कुल का पौधा है। इसमें फूल बारहों महीने लगता है। शाम के समय सफेद फूल खिलता है और दिन में फूल लाल हो जाता है। इसमें अच्छी सुगंध होती है।
बोगनविलास या बूगिनविलिया ग्लैब्रा (Bougainvillea glabra)- यह निक्टाजिनेसिई (Nyctaginaceae) कुल की लता है और फूल बारहों महीने फूलता है। इसमें कई रंग के फूल पाए जाते हैं, जैसे सफेद, लाल, गुलाबी, बैंगनी इत्यादि।
अगस्त या सेस्बानिया ग्रैंडिफलोरा (Sesbania grandiflora)- यह पापिलिओनेसिई (Papilionaceae) कुल का छोटा पेड़ है। इसमें सफेद अथवा गुलाबी रंग के फूल शीत ऋतु में लगते हैैं।
पंगारा या एर्थ्राािइना इंडिका (Erythrina indica)- यह भी पापिलिओनेसिई कुल का पेड़ है। इसमें फरवरी और अप्रैल मास में लाल रंग का फूल लगता है।
पर्वतीय तथा शीत वातावरणवाले पुष्प
रतनजोग या अनेमोनि ऑब्टूसिलोबा (Anemone obtusiloba)- यह रानकुलेसिई कुल की झाड़ी है। यह हिमालय पर्वत पर २,५०० से ४,००० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल सफेद अथवा हलके बैंगनी रंग के होते हैं।
कॉरनस कैपिटाटा या बैंथेमिडिया कैपिटाटा (Cornus capitata or benthe- midia Capitata)- यह कॉरनेसिई (Cornaceae) कुल का पौधा है। हिमालय पर १०००-२००० मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है फूल सफेद रंग के होते हैं और पेड़ ऊँचे नहीं होते।
एपिलोबियम लैटिफोलियम (Epilobium latifolium)- यह ऑनाग्रसिई (Onagraceae) कुल का पौधा है। यह हिमालय पर ३,००० मीटर से ऊपर ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल लाल रंग के वृताकार २ से ३ सेंमी० व्यास तक के होते हैं।
लाल जाहरी या जिरेनियम वालिशिऐनम (Geranium wallichianum)- यह जिरेनिएसिई कुल का पौधा है। हिमालय पर २,००० से ३,००० मीटर तक की ऊँचाई प पाया जाता है। फूल लाल रंग के ४ से ५ सेंमी० व्यास के होते हैं।
दुली चंपा या मैग्नोलिया ग्र्ैैंंडिफलोरा (Magnolia grandiflora)- यह मैग्नोलिएसि (Magnoliaceae) कुल का पौधा है। इसका फूल सफेद और ४ से १० सेंमी० व्यास तक का होता है।
ममीरी या कैल्था पॉलस्ट्रिस (Caltha palustris)- यह रानकुलेसिई कुल का पौधा है। हिमालय पर २,००० से ३,००० मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है। फूल पीला होता है। कुछ नम स्थानों में मिलता है।
सलाप या ऑरकिस लैटिफोलिया (Orchis latifolior)- यह ऑरकिडेसिई (Orchidaceae) कुल का पौधा है। २,५०० से ४,००० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल लाल होते हैं।
हिंद स्ट्राबेरी या फ्रागेरिया इंडिका (Fragaria indica)- यह रोजेसिई (Rosaceae) कुल का पौधा है। पहाड़ों पर २,००० से ३,००० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। फूल पीले रंग के होते हैं। स्ट्राबेरी या फ्रजेरिया वेस्का में फूल सफेद होते हैं। यह भी पहाडी या शीत वातावरण में पाया जाता है।
चिमूल या रोडोडेड्रॉन आरबोरियम (Rhododendron arboreum)- यह एरिकेसिई (Ericaceae) कुल का पौधा है। फूल लाल रंग के मार्च से अप्रैल तक फूलते हैैं। (कै० चं० मि०)
उपर्युक्त पुष्पों के अतिरिक्त निम्नलिखित भारतीय पुष्प महत्व के हैं। इन पुष्पों का भारतीय साहित्य एवं संस्कति में अपूर्व स्थान है:
अड़हुल (Hibiscus rosa-sinensis Linn.)- यह सदाबहारी झाड़ी है, किंतु अनुकूल वतावरण में छोेटे वृक्ष का रूप धारण कर लेती है। इसके पुष्प साल भर खिलते हैं, किंतु अप्रैल से सितंबर तक अधिक संख्या में खिलते हैं। पुष्प चमकीले लाल रंग के होते हैं।
अर्जुन (Terminalia arjuna Bedd.)- यह सदाहरित वृक्ष है। इसके फूल प्याले के आकार के हलके पीले होते हैं। फूल मार्च से जून तक खिलते हैं।
अशोक (Saraca indica Linn.)- यह लिग्यूमिनोसी कुल का वृक्ष है। इसके पुष्प बड़े, सुगठित तथा नारंगी लाल रंग के होते हैं। फूल फरवरी मार्च में खिलते हैं। इसड्ढी पत्तियाँ छह इंच से लेकर लगभग एक फुट लंबी होती हैं।
कदंब (Anthocephalus cadamba Miq)- यह रूबिएसिई कुल का वृक्ष है। यह लगभग ३० फूट ऊँचा होता है। इसके पुष्प गेंद की आकृति के तथा पीले रंग के होते हैं। कदंब के फूल गंधयुक्त होते हैं।
कनेर - इस वृक्ष की तीन जातियाँ होती हैं, जिनमें क्रमश: लाल पीले और नीले पुष्प लगते हैं। इन पुष्पों में गंध नहीं होती।
जूही (Jasminum auriculatum Vahl)- यह झाड़ी अपने सुगंधवाले फूलों के करण बगीचों में लगाई जाती है। जूही के फूल छोटे तथा सफेद रंग के होते हैं और चमेली से मिलते जुलते हैं। फुल वर्षा ऋतु में फूलते हैं।
परिजात या हरसिंगार - इस वृक्ष के पुष्प सफेद, तथा सुगंध वाले होते हैं। फूलों के पुष्पवृंत नारंगी रंग के होते हैं। फूल शरद् ऋतु में फूलते हैं।
बेला (Jasminum arborescens Roxb.syn)- यह झाड़ी अपने सुगंधवाले फूलों के लिये प्रसिद्ध है। इसकी एक और जाति है, जिसको मोगरा या मोतिया (Jasminum Sambac Ait) कहते हैं बेला के फूल सफेद रंग के होते हैं। मोतिया के फूल मोती के समान गोल होते हैं।
मौलसिरी या बकुल (Mimusops Elengi linn)- इस वृक्ष के पीले रंग के सुगंधदार फूल होते हैं। फूल मार्च में फूलते हैं। यह वृक्ष ४० से ५० फुट तक ऊँचा होता है।
इनके अतिरिक्त कामिनी, केतकी, गंधराज, माधवी लता, रुक्मिनी, रात की रानी, आदि भारतीय पुष्प हैं, जो अपनी सुगंध के कारण पसंद किए जाते हैं।
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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
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संदर्भ
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