इराक

Submitted by Hindi on Mon, 11/08/2010 - 10:36
इराक दक्षिण पश्चिम एशिया का एक स्वतंत्र राज्य है जो प्रथम महायुद्ध के बाद मोसुल, बगदाद एवं बसरा नामक आटोमन्‌ साम्राज्य के तीन प्रांतों को मिलाकर १९१९ ई. में बरसाई की संधि द्वारा स्थापित हुआ तथा अंतरराष्ट्रीय परिषद् द्वारा ब्रिटेन को शासनार्थ सौंपा गया। सन्‌ १९२१ ई. में हेज़ाज के राजा हुसेन का तृतीय पुत्र फैज़ल जब इराक का राजा घोषित किया गया तब यह एक सांवैधानिक राजतंत्र बन गया। अक्टूबर, १९३२ ई. को ब्रिटेन की शासनावधि समाप्त होने पर यह राज्य पूर्णत: स्वतंत्र हो गया। हाल में ही (जुलाई, १९५९ ई. में) सैनिक क्रांति के बाद यह गणतंत्र राज्य घोषित किया गया है। सैनिक क्रांति के पूर्व यह राज्य बगदाद-सैनिक-संधि द्वारा ब्रिटेन, संयुक्त राज्य (अमरीका), तुर्की, जॉर्डन, ईरान एवं पाकिस्तान से संबद्ध था, किंतु क्रांति के बाद यह स्वतंत्र एवं तटस्थ नीति का अनुसरण करने लगा है। इसके उत्तर में तुर्की, उत्तर पश्चिम में सीरिया, पश्चिम में जॉर्डन, दक्षिण पश्चिम में सऊदी अरब, दक्षिण में फारस की खाड़ी एवं कुवैत हैं। निनेवे एवं बैबिलोन के भग्नावशेष आज भी इसके प्राचीन वैभव के प्रतीक हैं। क्षेत्रफल १,६९,२४० वर्ग मील है और जनसंख्या ८८,००,००० (१९६८)। बगदाद (जनसंख्या २१,२४,३२३) प्रमुख नगर एवं राजधानी है। बसरा (जनसंख्या ६,७३,६२३), मोसूल (जनसंख्या ९,५४,१५७), किरकक (जनसंख्या ४,६२,०२७) तथा नजफ (जनसंख्या ५,४८,८३०) अन्य मुख्य नगर हैं। जनसंख्या के ९६ प्रतिशत लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं जिनमें शीया मतानुयायी आधे से कुछ अधिक हैं। राज्यभाषा अरबी है।

इराक तीन भौगोलिक खंडों में विभक्त है:

(१) कुर्दिस्तान (इराक के उत्तर पूर्व का पर्वतीय भाग) जिसके शिखर इराक-ईरान-सीमा पर लगभग १०,००० फुट ऊँचे हैं। इसके अंतर्गत अलसुलेमानियाँ का उर्वर एवं ऊँचा मैदान है। यहाँ के निवासी कुर्द लोग बड़े उपद्रवी हैं।

(२) मेसोपोटेमिया का उर्वर मैदान: मेसोपोटेमिया फरात एवं दजला नदियों की देन है। ये नदियाँ आर्मीनिया के पठार से निकलती हैं तथा क्रमश: १४६० एवं ११५० मील तक प्रवाहित हो शत-अल-अरब के नाम से फारस की खाड़ी में गिरती हैं। १०,०००-५,००० ई. पूर्व में ये नदियाँ अलग अलग फारस की खाडी में गिरती थीं। इसका दक्षिणी भाग, बगदाद से बसरा तक, जो लगभग ३०० मील लंबा है, ऐतिहासिक काल में प्राकृतिक कारणों से निर्मित हुआ है। यह भाग दलदली है। यहाँ की मुख्य उपज चावल एवं खजूर है। शत-अल-अरब के दोनों तटों पर एक से दो मील चौड़े क्षेत्र में खजूर के सघन वन मिलते हैं। मेसोपोटेमिया के उत्तरी भाग में गेहूँ, जौ एवं फल की खेती है।

(३) स्टेप्स एवं मरुस्थली खंड, जो दक्षिण पश्चिम में ५० से १०० फुट का तीव्र ढाल द्वारा मेसोपोटेमिया के मैदान से पृथक्‌ हैं। इराक की जलवायु शुष्क है। यहाँ का दैनिक एवं वार्षिक तापांतर अधिक तथा औसत वर्षा केवल १० है। कुर्दिस्तान के पर्वतीय भाग में अल्पाइन जलवायु मिलती है जहाँ वर्षा २५ से ३० तक होती है। फरात एवं दजला की घाटी में रूमसागरीय जलवायु मिलती है तथा फारस की खाड़ी के समीप दुनिया का एक बहुत ही उष्ण भाग स्थित है। इसके दक्षिण पश्चिम में उष्ण मरुस्थलीय जलवायु है। बगदाद का उच्चतम ताप १२३ फा. तथा न्यूनतम ताप १९ फा. तक पाया गया है। यहाँ वर्षा केवल ६ होती है। उत्तरी मेसोपोटेमिया में वर्षा १५ तथा दक्षिण पश्चिम में मरुस्थल में ५ से भी कम होती है।

उत्तरी इराक में रूमसागरीय वनस्पति मिलती है। इसके अधिक भाग वृक्षविहीन हैं। यहाँ चिनार, अखरोट एवं मनुष्यों द्वारा लगाए गए अन्य फलों के पेड़ मिलते हैं। दक्षिणी इराक के कम वर्षावाले भाग में केवल कँटीली झड़ियाँ मिलती हैं। नदियों की घाटियों एवं सिंचित क्षेत्र में ताड़, खजूर एवं चिनार के पेड़ मिलते हैं।

इराक कृषिप्रधान एवं पशुपालक देश है जिसके ९० प्रति शत निवासी अपनी जीविका के लिए भूमि पर आश्रित हैं। फिर भी इसके केवल तीन प्रतिशत भाग में कृषि की जाती है। इसकी मिट्टी अत्यधिक उर्वरा है, किंतु अधिकांश क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सिंचाई के बिना कृषि संभव नहीं हैं। सिंचाई नहर, डीजल इंजन द्वारा चालित पंप आदि साधनों द्वारा की जाती है। लगभग ७४,५०,००० एकड़ भूमि सिंचित है। जाड़े में जौ एवं गेहूँ तथा गर्मी में धान, मक्का, ज्वार एवं बाजरा की खेती होती है। मक्का एवं ज्वार बाजरा मध्य इराक की मुख्य उपज है। अंजीर, अखरोट, नाशपाती, खरबूजे आदि फल विशेष रूप से शत-अल-अरब के क्षेत्र में होते हैं। इराक संसार का ९० प्रति शत खजूर उत्पन्न करता है। यहाँ लगभग ६४० लाख के पेड़ हैं जिनसे लगभग ३,५०,००० टन खजूर प्रति वर्ष प्राप्त होता है। कुछ रूई नदियों की घाटियों में तथा तंबाकू एवं अंगूर कुर्दिस्तान की तलहटी में होता है।

यहाँ की खानाबदोश एवं अर्ध खानाबदोश जातियाँ ऊँट, भेड़ तथा बकरे चराती हैं। दुग्धपशु फरात एवं दजला के मैदान में, भेड़ जजीरा एवं कुर्दिस्तान में, बकरे उत्तर पूर्व की पहाड़ियों में तथा ऊँट दक्षिण पश्चिम के मरुस्थल में पाले जाते हैं।

मानचित्र
खनिज तेल के लिए इराक जगत्प्रसिद्ध है। सन्‌ १९५६ में खनिज तेल का उत्पादन ३०६ लाख टन था। यहाँ तेल के तीन क्षेत्र हैं: (१) बाबागुजर, किरकर के निकट, जो तेल का अत्यधिक धनी क्षेत्र हैं; (२) नत्फखाना, ईरान की सीमा के निकट, खानकीन से ३० मील दक्षिण; (३) ऐन ज़लेह, मोसूल के उत्तर। बगदाद के निकट दौरा तथा मसूल जिले में गय्याराह नामक स्थानों में तेल साफ करने के कारखाने हैं। सन्‌ १९५५ ई. में इराक को तेल कंपनियों द्वारा ७,३७,४०,००० इराकी डालर राज्यकर के रूप में मिला। खनिज तेल के अतिरिक्त भूरा कोयला (लिग्‌नाइट) कफ्रीि में तथा नमक एवं जिप्सम अन्य स्थानों में प्राप्त होता है।

इराक में केवल छोटे उद्योगों का विकास हुआ है। १९५४ ई. में औद्योगिक श्रमिकों की जनसंख्या ९०,००० थी। बगदाद में ऊनी कपड़े एवं दरी बुनने के अतिरिक्त दियासलाई, सिगरेट, साबुन तथा वनस्पति घी के उद्योग हैं। मोसूल में कृत्रिम रेशम एवं मद्य के कारखाने हैं। इराक के मुख्य निर्यात खनिज तेल, खजूर जौ, कच्चा, चमड़ा, ऊन एवं रूई हैं तथा आयात कपड़ा, मशीन, मोटरगाड़ियाँ, लोहा, चीनी एवं चाय हैं। (न.कि.प्र.सिं.)

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