जार्डन स्थिति

Submitted by Hindi on Wed, 08/10/2011 - 15:18
जार्डन स्थिति : यह अरब प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित एक स्वतंत्र देश है। 26 अप्रैल, 1949 ई. से पूर्व इसका नाम ट्रैंसजार्डन था। देश की सीमाएँ दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्वं में सऊदी अरब, उत्तर पूर्व में ईराक, उत्तर में सीरिया एवं पश्चिम में इजरायल हैं। क्षेत्रफल 36, 715 वर्ग मील है, जिसमें जार्डन नदी के पश्चिम की 2,500 वर्ग मील भूमि भी सम्मिलित है (यह पहले ब्रिटेन द्वारा संरक्षित क्षेत्र पैलेस्टज्ञइन के अंतर्गत थी), जिसपर इस देश का अधिकार 24 अप्रैल, 1950 ई. से हुआ है।

यह देश जार्डन नदी की घाटी से पूर्व दिशा की ओर फैलकर सीरिया तथा अरब मरुस्थल प्रदेशों से मिल जाता है। देश प्रधानत: पठार है, जिसकी ऊँचाई समुद्रतल से 1,500 से 4,500 फुट तक है। जो अनेक स्थानों पर गरी घाटियों के रूप में कटा फटा है। जलवायु मुख्यत: उष्ण-मरुस्थलीय है तथा औसत वाषिक वर्षा 10'' से भी कम है। जार्डन नदी के पश्चिम में स्थित प्रदेश के कुछ भाग का जलवायु भूमध्यसागरीय है तथा वार्षिक वर्षा 10'' 20'' तक है।

जार्डन देश की राजधानी ऐम्मैन [जनसंख्या 2,45000 (1952)] है जो मृत सागर (डेट सी) से 25 मील उत्तर-पूर्व स्थित है। देश की जनसंख्या 16, 90, 123 (डेड सी) से 25 मील उत्तर-पूर्व स्थित है। देश की जनसंख्या 16, 90, 123 (सन्‌ 1961) अनुमानित है, जिसका आधे से कुछ कम भाग इजरायल से आए हुए अरब शरणार्थियों का है। अधिकांश जनता अरब जातीय है। राष्ट्रीय धर्म इस्लाम है। स्थिर जनसंख्या (जिसके अंतर्गत अरबों से भिन्न अन्य सभी जातिवासी आते हैं) जार्डन नदी के पश्चिम भाग में तथा देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में फैली है। अर्धअस्थिरवासी जातियाँ खेतिहर हैं, जो तंबुओं में रहती है तथा ऐम्मैन उच्च प्रदेश, केकर और मान के समीप मिलती हैं। अस्थिरवासी जातियाँ देश के समस्त शेष भाग पर फैली हैं तथा जीविकोपार्जन के निमित्त अपने पशुसमूहों पर निर्भर रहती हैं।

देश की अर्धव्यवस्था मुख्यत: यहाँ के कृषि तथा पशुपालन उद्योगों पर निर्भर है। खाद्यान्न की उपज में देश आत्मनिर्भर है। यहाँ जैतून, अंगूर इत्यादि फलों का उत्पादन होता है। जार्डन नदी का तटीय प्रदेश तथा मृत सागर के पूर्व का भाग कृषि की दृष्टि से अधिक उपजाऊ है। देश के औद्योगिक विकास की गति अब तक सामान्य ही रही है। खनिजों के अन्वेषण की ओर ध्यान दिया गया है। सीमेंट, आटा पीसना, तंबाकू, जैतून से तेल निकालना तथा मछली पकड़ना महत्वपूर्ण उद्योग हैं।

इतिहास- साउदी अरब के उत्तर पश्चिम में एक राज्य। इसके उत्तर में सीरिया (शाम) और पश्चिम में इजराएल प्रदेश हैं। ई. पू. 6,0000 की बस्ती के प्रमाण उपलब्ध हुए हैं। प्राचीन इजराएल के एडम, गिलियड और मोआब इसी जार्डन के अंतर्गत थे, जबकि यहाँ ग्रीस और रोम की मिली जुली सभ्यता पनप रही थी। 7 वीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण हुए। जार्डन वासियों के अल्प प्रतिरोध के पश्चात्‌ जार्डन वासियों के अल्प प्रतिरोध के पश्चात्‌ जार्डन परतंत्र हो गया और वहाँ इस्लाम का प्रसार द्रुत गति से हुआ। आटोमान राज्य में (1517-1817) में जार्डन अलग अलग डेमास्कस ओर बेरुत के तुर्को द्वारा शासित था। प्रथम विश्वयुद्ध (1918) में अंग्रेजी सेनाओं ने तुर्को को जार्डन के बाहर निकाल दिया और हेजाज के शासक हुसेन इब्न अली का बेटा फैजल राजा हुआ। 1920 में फ्रांसीसियों ने फैजल को पदच्युत किया। किसी प्रकार अंग्रजी की सहायता से फैजल ईराक का शासक हो गया और उसका भाई अब्दुल्ला जार्डन का। 1828 में राष्ट्रसंघ की मान्यता के साथ साथ ब्रिटेन ने भी जार्डन को अब्दुल्ला इब्न हुसेन के अधिनायकत्व में मान्यता दे दी। 1946 में अब्दुल्ला इब्द हुसेन के शासकत्व में जार्डन स्वतंत्र घोषित हुआ। यह अरबसंघ का सदस्य बना। 1948 के फिलिस्तीन युद्ध के पश्चात्‌ सम्राट् ने फिलिस्तीन के पश्चिमी किनारे अपने राज्य में मिला लिए। 1953 में अब्दुला का पुत्र हुसेन सम्राट् के सिंहासन पर प्रतिष्ठित हुआ। इसके पश्चात्‌ जार्डन ने ग्रेट ब्रिटेन से अपने संबंध बराबर मैत्रीपूर्ण रखे। अरब संघ में संमिलित होने के लिये मिस्र के प्रस्ताव पर देश में भेद उत्पन्न हो गया। 1955 में सरकार के बगदाद पैक्ट में सम्मिलित करने के विरोध में दंगे भी हुए, किंतु सेना ने स्थिति पर अधिकार कर दिया। राष्ट्रवादियों ने अरब संघ में राज्य को सम्मिलित करने के यथा संभव सभी प्रयत्न किए हैं। सुलेमान नाबुल्सी के प्रधान मंत्रित्व, मिस्र पर इजराएली आक्रमण और स्वेज पर आंग्ल फ्रांसीसी हस्तक्षेप ने राष्ट्रवादियों की शक्ति और बढ़ा दी। इस घटनाओं से जार्डन का संबंध ग्रेट ब्रिटेन से विच्छिद होना स्वाभाविक था। मिस्र, साउदी अरब और सीरिया ने इस संबंधविच्छेद पर अपना मत प्रकट किया। इधर जार्डन के राष्ट्रवादियों ने अपनी कार्यप्रणाली की गति बढ़ा दी। 25 अक्टूबर, 1956 के समझौते के अनुसार सीरिया, मिस्र ओर जार्डन की कमान मिस्री जनरल के हाथ में थी, इसलिये प्रधान मंत्री नाबुल्सी ने जार्डन की सेना को राष्ट्रवादियों के अधिपत्य में लाना चाहा, इसपर 10 अप्रैल 1957 में शाह हुसेन ने नावुल्सी को सेवा-मुक्त कर दिया।

इसके पश्चात्‌ यद्यपि शाह हुसेन की स्थिति दृढ़ हो गई, किंतु उसे शासनच्युत करने के प्रत्यन्त निरंतर होते रहे। संयुक्त अरब गणतंत्र के निर्माण तथा ऐसी ही कुछ घटनाओं ने जार्डन के शाह का पुन: पश्चिमी सहायता की ओर जाने के लिये बाध्य किया। किसी प्रकार 1958 के पश्चात्‌ स्थिति कुछ सुधरी। ईराक के शाह कासिम ने सं.अ. गणतंत्र का विरोध किया और वह संधि टूट गई। इन घटनाओं के बाद शाह ने देश की आर्थिक उन्नति की ओर ध्यान दिया। पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा देश ने प्रगति के पथ पर अग्रसर होना आरंभ किया। पड़ोसी इजराएल से जार्डन की स्थायी शत्रुता स्थापित हो चुकी है। पिछली घटनाओं की गंभीरता ने संबंध सुधारने की कोई आशा नहीं छोड़ी है।

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