जेठ मास जो तपै निरासा

Submitted by Hindi on Thu, 03/18/2010 - 11:18
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घाघ और भड्डरी

जेठ मास जो तपै निरासा।
तो जानौ बरखा की आसा।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठ मास में गर्मी खूब पड़े तो वर्षा निश्चित होगी।