राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने उत्तम सिंह भंडारी और विमल भाई की याचिका पर अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड श्रीनगर बांध के पावर चैनल में हो रहे लीकेज को समय सीमा के अंदर रोकने का आदेश दिया है। प्राधिकरण के मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, न्यायाधीश एसपी वागडी तथा विशेषज्ञ सदस्य नवीन नंदा ने अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड जल्दी ही समयबद्ध रूप में अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करने तथा ऊर्जा विभाग टिहरी जिलाधीश और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निगरानी करने का आदेश दिया है।
याचिका में कहा गया था कि उत्तराखंड में अलकनंदा के किनारे बनी श्रीनगर जल विद्युत परियोजना का पावर चैनल (खुली नहर) 4 किलोमीटर लंबा है। जो अलकनंदा का पानी पावर हाउस तक बिजली बनाने के लिए ले जाता है। 2015 में इसमें बहुत बुरी तरह रिसाव हुआ था। जिससे टिहरी गढ़वाल में इस परियोजना से प्रभावित मंगसू, सुरासु व नोर थापली गांवो की फसलें और मकानो को नुकसान हुआ था।
प्राधिकरण ने 23 मई 2019 को अगली सुनवाई से पहले उत्तराखंड सरकार के ऊर्जा विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल से 1 महीने में ई-मेल पर इस संदर्भ में रिपोर्ट मांगी थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस काम के समन्वयन और अनुपालन की जिम्मेदारी भी दी गई थी। जिसके अनुपालन में जिलाधिकारी टिहरी ने 11 जून को एक समिति का गठन किया था। इस समिति में विभिन्न विभागों के 4 अधिकारी रहे जो क्रमशः उप जिलाधिकारी कीर्ति नगर, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड श्रीनगर, अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड नरेंद्र नगर और अमित पोखरियाल क्षेत्रीय अधिकारी उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि 18 जून 2019 को नहर का निरीक्षण किया गया, जिसमें 6 अधिकारी मौजूद थे। निरीक्षण में पाया गया कि ग्राम सुपाना में लीकेज हो रहा है। ग्राम सुपाना, ग्राम मंगसू, ग्राम नोर आदि के विभिन्न नागरिकों ने मौके पर बताया कि कई सालों से श्रीनगर बांध के पॉवर चैनल के रिसाव से हमारे गांव में खतरा है। हमें यहां से रिसाव के समय कहीं और जाना पड़ता है। सुरक्षा को देखते हुए हमें कहीं और पुनर्वासित करना चाहिए।
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रिपोर्ट के अंतिम दसवें बिंदु में लिखा है कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जूलॉजी देहरादून द्वारा अपनी रिपोर्ट 30 दिसंबर 2015 द्वारा इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रेषित की गई। जिसमें उनके द्वारा पावर चैनल को पुनः सुदृढ़ीकरण करने हेतु निर्देशित किया गया था। विमल भाई ने बताया कि हम माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के इस आदेश को बांध कंपनी सहित उत्तराखंड सरकार के ऊर्जा विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल को अनुपालन के लिए भेज रहे हैं। हमारी अपेक्षा है कि वे तुरंत वाडिया इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट लागू करने की कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो। साथ ही अधिवक्ता राहुल चैधरी एवं मीरा गोपाल का आभार व्यक्त करेंगे जिन्होंने जनहित की इस याचिका के वादियों का पक्ष में एनजीटी में रखा।