जल्ह्रास (Dehydration) वह दशा है जिसमें शरीर से पानी का निकास अंतर्ग्रहण से अधिक होता है और शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। जल्ह्रास के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं :
1. जलरिक्तता या प्रांरभिक जल्ह्रास यह मनुष्य को पानी न मिलने, ज्वर होने, बार बार वमन और दस्त आने से हो जाता है।
2. इलेक्ट्रोलाइट के कुल परिमाण में कमी तथा लवण का नि:शेषण (depletion) शरीर के बाह्य कोशिकाद्रवों तथा आंतर कोशिकाद्रवों के इलेक्ट्रोलाइटों के बीच जल के निरसन या अवरोधन द्वारा सांद्रण स्थायी रखा जाता है। कुल इलेक्ट्रोलाइटों की कमी या वृद्धि से शरीर में पानी की मात्रा घटती या बढ़ती रहती है।
3. अतिबली विलयन (Hypertonic solution) का अंत: शिरा इंजेक्शन इससे रक्त में रसाकर्षणदाब अस्थायी रूप से बढ़ जाती है और ऊतक द्रव बहकर उसमें चला जाता है। बाद में बढ़ा हुआ द्रव वृक्क द्वारा उत्सर्जित होता है और शरीर के जल में वास्तविक ह्रास होता है।
जल्ह्रास के संभव परिणाम निम्नलिखित हैं : शरीर के भार में कमी, अम्ल और क्षार के संतुलन में विक्षोभ, रक्त में प्रोटोनविहीन नाइट्रोजन की वृद्धि, क्लोराइड की प्लाविका प्रोटीनसांद्रण में वृद्धि, शरीर के ताप में वृद्धि, नाड़ी में वृद्धि और हृदय निपज (output) में कमी, प्यास लगना, त्वचीय और उपत्वचीय जल्ह्रास के कारण त्वचा का ढीलापन, शुष्कता और उसमें झुर्रियाँ पड़ना तथा परिक्लांति और पात।
1. जलरिक्तता या प्रांरभिक जल्ह्रास यह मनुष्य को पानी न मिलने, ज्वर होने, बार बार वमन और दस्त आने से हो जाता है।
2. इलेक्ट्रोलाइट के कुल परिमाण में कमी तथा लवण का नि:शेषण (depletion) शरीर के बाह्य कोशिकाद्रवों तथा आंतर कोशिकाद्रवों के इलेक्ट्रोलाइटों के बीच जल के निरसन या अवरोधन द्वारा सांद्रण स्थायी रखा जाता है। कुल इलेक्ट्रोलाइटों की कमी या वृद्धि से शरीर में पानी की मात्रा घटती या बढ़ती रहती है।
3. अतिबली विलयन (Hypertonic solution) का अंत: शिरा इंजेक्शन इससे रक्त में रसाकर्षणदाब अस्थायी रूप से बढ़ जाती है और ऊतक द्रव बहकर उसमें चला जाता है। बाद में बढ़ा हुआ द्रव वृक्क द्वारा उत्सर्जित होता है और शरीर के जल में वास्तविक ह्रास होता है।
जल्ह्रास के संभव परिणाम निम्नलिखित हैं : शरीर के भार में कमी, अम्ल और क्षार के संतुलन में विक्षोभ, रक्त में प्रोटोनविहीन नाइट्रोजन की वृद्धि, क्लोराइड की प्लाविका प्रोटीनसांद्रण में वृद्धि, शरीर के ताप में वृद्धि, नाड़ी में वृद्धि और हृदय निपज (output) में कमी, प्यास लगना, त्वचीय और उपत्वचीय जल्ह्रास के कारण त्वचा का ढीलापन, शुष्कता और उसमें झुर्रियाँ पड़ना तथा परिक्लांति और पात।
Hindi Title
विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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