जलनिकास (सड़कों का)

Submitted by Hindi on Fri, 08/12/2011 - 11:26
जलनिकास (सड़कों का) सड़क तथा संलग्न क्षेत्र के सतही तथा भूमिगत फालतू जल को दूर ले जाना है। सड़कों के दीर्घजीवन तथा उनके यातायात की सुविधा को बनाए रखने के लिये जलनिकास की समुचित व्यवस्था अत्यावश्यक है।

जलनिकास के संबंध में तीन बातें आवश्यक है: 1. सड़क में पड़नेवाले नालों तथा स्त्रोतों पर पुल का बनाना, 2. मार्ग से पृष्ठीय जल का संतोषजनक निकास होना और 3. भूपृष्ठ जल पर नियंत्रण होना।

सड़क के आर पार जल का निकास- मुख्य मार्ग के जलनिकास के लिये पुलिया, पुल तथा उपसेतु (causeway) होते हैं। इनका कार्य प्राकृतिक स्त्रोतों में बहते पानी, या सड़क पर, या सड़क के आसपास एकत्रित पानी को निकालना होता है। पुलियों और पुलों से पानी सड़क के नीचे से निकलता है, किंतु उपसेतु से पानी सड़क के पृष्ठ पर भी बह सकता है। इससे उपसेतु जल में डूब सकता है। पर ऐसी स्थिति कुछ महत्वहीन सड़कों पर ही या ऐसी सड़कों पर जहाँ यातायाता बहुत कम है, कुछ सीमा तक बरदाश्त की जा सकती है।

भूपृष्ठीय जलनिकास- सड़कों के पृष्ठीय जल के अच्छे निकास के लिये सड़कें ऐसी बनाई जाती हैं कि उनमें अल्प उभार हो, ताकि पानी किनारे की नालियों में बहकर निकल जाए। यदि सड़क पार्श्विक ढालू जमीन पर हो, तो उसकी ऊँची ढाल पर एक दूसरी निकास नाली बनाकर निकटतम्‌ पुलिया या पुल से मिला दी जाती है, ताकि पानी उससे निकल जाय। इन्हें जलरोक नाली (intercepting or catch drain) कहते हैं।

स्थलमंडलीय जलनिकास (subsurface drainage)- भूमिगत जल के निकास का यह उद्देश्य होता है कि सड़कों की मिट्टी अपेक्षया शुष्क दशा में बनी रहे। जलनिकास के लिये सड़क के नीचे सछिद्र नालियाँ (pipe) बैठाई जाती हैं, जिससे अधोभूमि जल की सतह को नीचा करने में सहायता मिलती है। दूसरी रीति में सड़क की बगल में गहरी नालियाँ खोदी जाती हैं। इन्हें फिर गीले पत्थर से भर देते हैं। सड़क के नीचे का अधोभूमि जल इन गहरी नालियों में रिसकर जाता और फिर दूर बह जाता है।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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