जर्मनी में यूं तो तेज़ रफ़्तार ट्रेनें और सस्ती एयरलाइंस भी हैं लेकिन नदी की धारा और उस पर हिचकोले खाते हुए आगे बढ़ने वाले जहाज़ में बैठने का मज़ा सबसे निराला है। आपको इतिहास भी दिखेगा, तकनीक भी और संस्कृति भी।
आप जर्मनी को जानना चाहते हैं और आप पैदल चलकर अपने पांवों को दर्द में कांपते नहीं सह सकते। बसों और ट्रामों की यात्राओं से उकता गए हैं। साइकल से भी सवारी के पक्ष में कतई नहीं। तो चिंता किस बात की। आपके लिए एक विकल्प है, एक शाही विकल्प। आप बैठिए किसी छोटे जहाज़ या एक बड़ी सैलानी नौका यानी क्रूज़ में और निकल पड़िए जर्मनी की कुदरत की सैर पर। नहीं, आप कहीं मत निकलिए! आप तो बस बैठिए! दिल थामकर बैठिए। आप जर्मनी को जानने निकले हैं उसके जल मार्गों के रास्ते से और बैठे हैं एक सैलानी जहाज पर।
जर्मनी के पास एक दूसरे से जुड़ी नदियों, नहरों और झीलों का सात हज़ार किलोमीटर से भी लंबा जलमार्ग है। इस जलराशि पर निरंतर विचरण करते हैं यात्री जहाज, नावें और कायाक नैकाएं। ये जलमार्ग टूरिस्टों के लिए भी हैं और जर्मनी के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों की समृद्धि के लिए भी। क्रूज़ की सैर का एक ख़ास आनंद है। रीसलिंग वाइन या पिल्स बीयर की चुस्कियां लेते हुए सामने से गुज़रते नज़ारों का बैठ कर अवलोकन करने का अलग लुत्फ़ है। ये महज़ दूर से देखना भर नहीं है। आप चाहें तो रूकें। किलों की सैर करें। महलों में घूमें और अंगूरों की खेती का विस्तार निहारें। राइन नदी हो या वेज़र, डैन्यूब हो या मोज़ल, हर नदी एक अनोखी सैर कराती है और अपने भौगोलिक आकर्षण से रूबरू कराती है।
लोरेलाई के पास
ये एक निर्विवाद तथ्य है कि राइन जर्मनी की सबसे मशहूर नदी है। सदियों से इसने कलाकारों और कवियों को रिझाया है। 19वीं शताब्दी के मध्यकालीन रचनाकर्मियों पर तो इसका जादू कुछ गहरा ही रहा। उसी दौर में सामने आयी एक दंतकथा, लोरेलाई की। राइन के किनारे ये एक ऊंची पहाड़ी है।
किंवदंती के मुताबिक, लोरेलाई नाम की एक कुमारी राइन नदी के सबसे संकरे, गहरे और तेज़ मोड़ के ऊपर एक पहाड़ी पर बैठी रहती थी। वो अपने सुनहरे बाल संवारती रहती थी और अपने गीतों से नदी पर से गुज़रने वाले नाविकों के दिलों में उत्पात मचाती रहती थी। सुधबुध भूलकर जब वे उस मनमोहक आवाज़ की तरफ़ देखते, तो उतनी देर में उनकी नावें पहाड़ी से टकरा कर डूब जातीं। वो एक मदहोश ज़िंदगी के खात्मे का मोड़ होता।
अगर आपका क्रूज़ इस लोरेलाई पहाड़ी के पास से गुज़र पाए तो एक झलक ऊपर देखने की हिम्मत कर लीजिएगा। यकीन मानिए, आपका या आपके जहाज के चालकदल का कुछ नहीं बिगड़ेगा। एक ज़माने में ख़तरनाक रहा ये मोड़ अब चेतावनी सूचक निशानों से महफ़ूज़ कर दिया गया है।
राइन के तटों का लंबा विस्तार अंगूर के सीढ़ीदार बगानों से पटा है। पहाड़ियों पर किले हैं। घाटी के पैदलपथ और जंगली रास्ते अद्भुद दृश्यों की तरफ़ ले जाते हैं। वाइन के शौकीनों के लिए तो ये घाटी स्वर्ग के सामान है। इसी घाटी में देश के बेहतरीन होटल और रेस्तरां हैं, जहां एक से एक लज़ीज़ व्यजंन उपलब्ध हैं।
इतिहास का झरोखा
वाइन से इतर या उसके साथ साथ अगर आपकी दिलचस्पी इतिहास में भी है, तो आप डैन्यूब नदी का सफ़र कर सकते हैं। ये यूरोप की दूसरी सबसे लंबी नदी है। राइन की तरह इसके किनारे इतने लुभावने और किलेदार नहीं हैं, लेकिन इन किनारों का ख़ामोश आकर्षण और उनकी विविधता भरी ऐतिहासिक निशानियां इसके सफ़र को ख़ास बना देती हैं। जर्मन इतिहास के रोमन कालीन निशान यहां बिखरे पड़े हैं। नदी यात्रा में आप मध्ययुगीन रेगेन्सबुर्ग शहर से गुज़रते हुए पासाऊ तक पहुंचते हैं, जो डैन्यूब, इन और इल्त्स नदियों की त्रिवेणी पर बसा हुआ है। आगे की जलधारा आपको जर्मन सीमा से बाहर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियेना और हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट तक ले जाती है। मध्य यूरोप के किलों, महलों और वाइनयार्डों की झलक दिखाती हुई।
ओडर नदी जर्मनी के एकदम पूर्व में बहती है। इस पर गुज़रते हुए आप जर्मनी और पोलैंड की सीमारेखा पर से गुज़रते हैं। ओडर घाटी की प्राकृतिक संपदा देखने लायक है, क्योंकि भूतपूर्व पूर्वी जर्मनी (जीडीआर) के 40 वर्षों के अस्तित्व के दौरान वह मानवीय गतिविधियों से लगभग अछूती रही। वन संपदा से भरा ओडर घाटी नैशनल पार्क और ओडरब्रुख़ मार्शलैंड (दलदल) यहां की खासियतें हैं।
ओडर नदी घाटी पोलैंड के साथ का सीमांत इलाका है। यहां दूसरे विश्व युद्ध के अनेक निशान मौजूद हैं। यहीं से रूसी फौजों ने बर्लिन पर निर्णायक हमला बोला था।
अगर आप वाकई महत्वाकांक्षी हैं और आपके पास भरपूर वक़्त है, तो आप एल्बे नदी पर जर्मनी में माग्डेबुर्ग से चेक गणराज्य की राजधानी प्राग तक का जहाज़ी सफ़र कर सकते हैं। एल्बे नदी दक्षिणपूर्वी यूरोप को पूर्वोत्तर यूरोप से जोड़ने वाली प्रमुख नदी है। चेक गणराज्य में अपने उद्गम से लेकर उत्तर सागर में अपने मुहाने तक एल्बे नदी एक हज़ार किलोमीटर लंबी है।
एल्बे के रास्ते में विविधता और विशिष्टतापूर्ण प्राकृतिक दृश्यावली पड़ती है। बलुई चट्टानों वाली पहाड़ियों से शुरू हो कर और अंगूरी बगानों से होते हुए वह हरे भरे मैदानों तक फैली हुई है। बाऊहाउस नाम की निर्माण शैली के लिए प्रसिद्ध देसाऊ, ईसाई धर्म में प्रोटेस्टैंट आन्दोलन के प्रवर्तक मार्टिन लूथर का गृहनगर विटेनबेर्ग और चीनी मिट्टी वाले बर्तनों व कलाकृतियों के लिए विख्यात माइसन एल्बे के किनारों पर बसे हुए हैं, बरोक स्थापत्यकला का शहर ड्रेस्डन भी, जो अब पूर्वी जर्मन राज्य सैक्सनी की राजधानी है, एल्बे नदी पर ही बसा हुआ है।
ग्रिम बंधुओं से मुलाकात
जर्मन परीकथाओं के दीवानों को वेज़र नदी के रास्ते से नौकाविहार करना चाहिये। इसी नदी के तट पर उन ग्रिम भाइयों का जन्मस्थल है, जो अपनी परीकथाओं के लिए विख्यात हैं। परीकथा धारा कहलाने वाली वेज़र नदी आपको लकड़ी के बने कलापूर्ण मकानों वाले पुराने शहरों, कस्बों और ऐतिहासिक किलों के नज़ारे दिखाती है। सैलानी सिंड्रेला (पोले शहर), हांज़ेल और ग्रेटल (ह्यौक्स्टर शहर) और हैमलिन के पीड पाइपर (हामेल्न शहर) की कहानियों में डुबकी लगा सकते हैं।
खेतिहर भूमि के चौड़े विस्तारों से होते हुए वेज़र नदी पहुंचती है ब्रेमन। ग्रिम बंधुओं की कहानी द ब्रेमन टाउन म्युज़िशियन आपको अनायास याद आ जाएगी। आज ये शहर अपने स्तर पर जर्मनी के अग्रणी बंदरगाहों में एक है।
अगर आपके पास पूरे देश के जल भ्रमण के लिए बहुत सारे दिन नहीं है तो कोई हर्ज़ नहीं। आप एक दिन या कुछेक घंटों का जलविहार भी कर सकते हैं। जर्मनी के ज़्यादातर बड़े शहर नदियों पर बसे हैं। मसलन एल्बे नदी पर बसा है हैम्बुर्ग। राइन पर बसा है कोलोन। इज़ार नदी पर म्युनिख। और श्प्रे नदी पर बर्लिन बसा है जो देश की राजधानी है। ये सभी जगहें नौकाविहार का आनंद देती हैं। आप पानी के शांत बहाव में एक उद्दाम जीवन की कई रंगीनियां अपने सामने और अपने आसपास बिखरी हुईं, फैली हुई और तैरती हुई देख सकते हैं।