जर्मनी

Submitted by Hindi on Fri, 08/12/2011 - 10:52
जर्मनी 8 मई, 1945 के बाद संयुक्त राष्ट्र, रूस, ग्रेट ब्रिटेन तथा फ्रांस द्वारा प्राचीन जर्मंनी के चार विभाग कर दिए गए। इसी समय फेडरल रिपब्लिक ऑव जर्मनी का निर्माण हुआ जिसे पश्चिमी जर्मनी भी कहते हें। 5 मई, 1955 की लंदन पेरिस संधि द्वारा जर्मनी का यह भाग स्वतंत्र कर दिया गया, किंतु इसके भूभाग पर अमरीका, ब्रिटेन, और फ्रांस के सैनिकों के रहने का आदेश भी प्रदान किया गया। इस भाग की जनसंख्या 5,37,56,100 (1961), क्षेत्रफल 95,918 वर्ग मील तथा राजधानी बॉन (Bonn) है।

जर्मनी का एक और भाग जिसे पूर्वी जर्मनी कहते हें, जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (German Democratic republic) के नाम से विख्यात है। यह गणतंत्र पूर्वी जर्मनी के प्रांतों को सम्मिलित करता है। इस भाग एवं रूस के बीच सन्‌ 1955 की संधि के अनुसार इसको स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इस भाग का क्षेत्रफल 41,635 वर्ग मील, जनसंख्या 1,70,79,306 (1961) तथा राजधानी पूर्वी बर्लिन है।

भौगोलिक दृष्टि से जर्मनी के निम्नलिखित विभाग किए गए हैं : 1. जर्मनी का उत्तरी मैदान, 2. मध्य जर्मनी, 3. दक्षिणी-पश्चिमी जर्मनी, 4. मोड़दार पर्वतों का प्रदेश।

1. जर्मनी का मैदान  इस प्रदेश की अधिकतम चौड़ाई लगभग 150 मील है। हिमयुग का प्रभाव यहाँ के भूपटल पर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। जलप्रवाह का विकास अच्छा नहीं है एवं भूमि हिम कटाव के कारण अनुपजाऊ है। इस भाग की मुख्य नदियाँ एल्बे (Elbe) तथा वेजर (Weser) हैं। अनुपजाऊ भागों को पोलैंड के आधार पर उपजाऊ बनाया जा रहा है।

इस प्रदेश के मुख्य नगरों में बर्लिन (32,57,483) तथा हैमवर्ग (18,36,950) हैं। यहाँ से जर्मनी के प्रत्येक क्षेत्र के लिये आवागमन के साधन सुलभ हैं।

2. मध्य जर्मनी  यह संपूर्ण देश का अत्यधिक विकसित प्रदेश है। यहाँ जर्मनी के विशाल उद्योग, खनिज तथा अन्य संबंधित उद्योगों का विकास हुआ है। युद्धों के कारण इस भाग की अत्यधिक क्षति हुई थी। किंतु पुन: उद्योग धंधों का विकास किया गया है। यहाँ कपड़ा, रेशम, लोहा, इस्पात, कांच, बरतन, रसायनक तथा चमड़े के अनेक कारखाने हैं।

प्रमुख नगरों में ड्रेसडेन (जनसंख्या 4,91,699) एल्बे के तट पर स्थित है। लाइपसिग (Leipzig, जनसंख्या 5,85,258) महत्वपूर्ण आवागमन का केंद्र है, जो उत्तरी एवं मध्य जर्मनी के मुख्य औद्योगिक नगरों को मिलाता है। इस भौगोलिक विभाग के अंतर्गत सैक्सनी एवं वेस्टफेलिया हैं। वेस्टफेलिया क्षेत्र खनिजों के लिये विश्वप्रसिद्ध है। इसी क्षेत्र में रूर (Ruhr) कोयला क्षेत्र स्थित हे, जहाँ प्रति वर्ष लगभग 8,00,00,000 टन कोयले का उत्खनन होता है। इस प्रदेश के मुख्य औद्योगिक नगरों में एसेन (Essen) जनसंख्या 7,29,500 तथा डार्टमंट (6,40,800) है। इन नगरों के क्षेत्र में कच्छा लोहा प्राप्त होता है। युद्ध के पहले लोहे इस्पात का उत्पादन यहाँ ग्रेट ब्रिटेन के उत्पादन से भी अधिक था।

3. दक्षिणी पश्चिमी जर्मनी  इस भौगोलिक विभाग के अंतर्गत राइन घाटी तथा समीपवर्ती प्रदेश आते हैं। यहाँ राइन नदी गहरी घाटी से होकर प्रवाहित होती है। यह क्षेत्र कृषि तथा आवागमन के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस घाटी से आवागमन के मार्ग दक्षिणी यूरोप के लिये बेसेल से होकर स्विटसरलैंड एवं इटली की ओर जाते हैं तथा पश्चिमी यूरोप के लिये सेवर्न गेट से होकर पेरिस जाते हैं।

राइन घाटी के पूर्व की ओर त्रिकोणात्मक रूप में ब्लैक फारेस्ट का विस्तृत प्रदेश है। इस प्रदेश की ऊँचाई 2,000 से 3,000 फुट तक है। यहाँ के प्रमुख नगरों में न्यूरेनवर्ग एवं स्टटगॉर्ट (Stuttgart) हैं।

4. मोड़दार पर्वतप्रदेश  इसके अंतर्गत बवेरिया (Bavaria) का भाग आता है। यहाँ की भूमि अनुपजाऊ है। बवेरिया प्रमुख नगर तथा क्षेत्रीय राजधानी है। यह नगर आइज़र नदी के तट पर स्थित है। सन्‌ 1955 में इसकी जनसंख्या 9,00,000 थी। पर्वतीय भागों का प्रदेश अत्यंत ऊँचा नीचा है। यहाँ ओबरामरगोउ (Oberammergau) प्रसिद्ध दर्शनीय क्षेत्र है।

जर्मनी की जलवायु कई प्रकार की है। उत्तरी जर्मनी मुख्यत: उत्तरी-पश्चिमी यूरोपीय जलवायु प्रदेश के अंतर्गत आता है। मध्य एवं दक्षिणी जर्मनी महाद्वीपी प्रकार की जलवायु के क्षेत्र में सम्मिलित किए जाते हैं।

जर्मनी के विभाजन तथा युद्धों के परिणामस्वरूप यहाँ कई समस्याएँ खड़ी हो गई हैं जैसे शरणार्थी तथा कृषि समस्या। भूमि के विभाजन के कारण प्रति व्यक्ति कृषिभूमि कम हो गई तथा उत्पादन का परिमाण घट गया। निम्नलिखित तालिका में उपज मीटरीटन प्रति हजार हेक्टेयर (एक हेक्टेयर 2.47 एकड़) में दी गई है :

उपज पश्चिमी जर्मनी पूर्वी जर्मनी
गेहूँ 858 490
राई 1,398 1,130
जौ 500 300
जई 1,202 785
आलू 1,119 800
चुकंदर 160 206

इससे जर्मनी में उपज का वितरण स्पष्ट हो जाता है। पश्चिमी जर्मनी में राई, जई, और आलू मुख्य तथा गेहूँ और चुकंदर गौण उपज हैं तथा पूर्वी जर्मनी की राई और जई मुख्य फसलें हैं।

जाति, भाषा और धर्म  पूर्वी जर्मनी के निवासी प्राय: समजातीय हैं, यद्यपि स्वैबियनों (Swabians), थुरिंजियनों (Thuringians) सैक्सनियनों (Saxonians), प्रशियनों (Prussians) आदि में कुछ परस्पर भेदमूलक विशेषताएँ हैं। पश्चिमी में लगभग 99 मूल जर्मन हैं। अल्पसंख्यकों में केवल डेनी (Danes) हैं। हाल में पूर्वी यूरोप से कुछ लोग आकर बसे हैं।

जर्मन दोनों राज्यों की राजभाषा है। भिन्न भिन्न भागों में प्रयोग होनेवाली बोलियाँ जर्मन के ही अंतर्गत हैं।

दोनों राज्यों में संविधान द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता मान्य है। प्राय: रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट लोग ही बसते हैं। पूर्वी जर्मन की 'सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी' का उद्देश्य नास्तिक समाज की रचना है।

इतिहास  दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में पश्चिमी यूरोप में जर्मन जातियों के अभ्युदय का उल्लेख मिलता है। कुछ जातियाँ जैसे अलामन्नी (Alamanni) बरगंडियाई (Burgundians), फ्रांक (Franks) लंबार्ड (Lombards) ओस्ट्रोगोथ (Ostrogoths) और विज़ीगोथ (Visigoths) पूर्व में राइन नदी के मुहाने, पश्चिम में एल्बे नदी और दक्षिण में उत्तरी इटली के भागों के बीच धीरे धीरे बसीं। उनमें से कुछ ने इटली पर आक्रमण किया और रोम साम्राज्य का विनाश किया, अन्य फ्रांस और ब्रिटेन में बस गई। राइन नदी के दोनों ओर का क्षेत्र कुछ दिन विवाद में रहने के पश्चात्‌ फ्रांकों के रोमन सम्राट् शार्लमेन द्वारा नवीं शताब्दी में अधिकृत किया गया। लेकिन शताब्दी के अंतिम दिनों जर्मन साम्राज्य तीन भागों में बँट गया।

सैस्कन सम्राट् ओटो प्रथम ने 962 ई. में इटली और जर्मनी को एक सूत्र में बाँधा। आगे चलकर अशांतिपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई। फ्रैडरिक द्वितीय ने अपने शासन को सिसली में ही केंद्रित रखा, इस प्रकार जर्मनी लगभग उपेक्षित रहा। 1273 में हप्सबर्ग का रुडाल्फ सम्राट् निर्वाचित हुआ, किंतु उसके लिये भी बड़े साम्राज्य को कायम रखना असाध्य हो गया था।

रोमन साम्राज्य जिस समय लड़खड़ा रहा था इंग्लैंड, फ्रांस ओर स्पेन शक्तिशाली राज्य बन रहे थे। जर्मनी उस समय समृद्ध था इसके विरुद्ध उपर्युक्त तीनों राज्यों ने संधि की।

लेकिन जर्मनी की राजनैतिक अस्थिरता के कारण वहाँ 16वीं शताब्दी में मार्टिन लूथर के नेतृत्व में आंदोलन हुआ। अंत में इस आंदोलन ने 30 वर्षीय धर्मयुद्ध (1618-1648) का रूप लिया। इसमें जर्मनी के लगभग 300 टुकड़े हुए। 18वीं शताब्दी में इन छोटी छोटी स्वतंत्र इकाइयों ने प्रशा में अत्यधिक उन्नति की।

फ्रांसीसी क्रांति ओर नेपोलियन के युद्धों के समय से जर्मनी में राष्ट्रीयता की चेतना का आविर्भाव हुआ। यह चेतना आगे चलकर उदारवादी आंदोलन के रूप में बदली। 1618 से 1671 तक तत्कालीन चाँसलर ओटाबान बिसमार्क ने आस्ट्रिया, डेनमार्क, और फ्रांस से युद्ध करके जर्मन राज्य को संगठित किया। फ्रांस की पराजय के बाद जर्मनी ने सैनिक, औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की। विसमार्क ने इस स्थिति में अन्य यूरोपीय शक्तियों से संबंध स्थापित किया। 1888 ई. में विलियम द्वितीय सम्राट् हुआ। देश की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में पुन: अशांति उत्पन्न हुई, जिसने 20वीं शताब्दी में प्रथम विश्वयुद्ध का रूप लिय। इस युद्ध में जर्मन सेनाएँ पराजित हुई। इस पराजय से उत्पन्न आर्थिक और सामाजिक अव्यवस्थाओं तथा 'मित्र राष्ट्रों' की 'वार्सा-संधि' के अनुसार आर्थिक दबावों की परिस्थिति में एडाल्फ हिटलर तथा नेशनल सोशलिस्ट पार्टी (नाजी दल) ने 1933 में जर्मनी की सत्ता ग्रहण की। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद वीमर (Weimer) संविधान के अनुसार गणराज्य घोषित जर्मनी में हिटलर ने अपना अधिनायकत्व स्थापित किया। उसने अपने शासनकाल में जर्मनी को सभी क्षेत्रों में सुदृढ़ किया। उसकी साम्राज्यवादी नीति ने, जिससे उसने यूरोप का बड़ा भाग 1939 तक कुछ संधियों से और कुछ सैनिक तरीकों से जर्मनी में जोड़ लिया, द्वितीय विश्वयुद्ध की परिस्थितियाँ मित्र राष्ट्रों के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा। रूस, ब्रिटेन, संयुक्तराज्य अमरीका और फ्रांस ने जर्मनी के चार भाग करके परस्पर बाँट लिए। 1949 में शांति समझौते के अनुसार जर्मनी की फेडरल जर्मन रिपब्लिक (पश्चिमी) और जर्मन डिमाक्रेटिक रिपब्लिक (पूर्वी) दो भाग हुए। पूर्वी भाग, जिसमें पूर्वी प्रशा भी संमिलित है, जो कि 1937 के पूर्व जर्मनों के और अब पोलैंड और रूस के अधिकार में हैं।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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