भारत में पर्यावरण संरक्षण और नदी बचाने पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जा रहा है। पर्यावरण बचाने के लिए सरकार की घोषणाएं और कार्य अधिकांशतः सरकारी फाइलों की शोभा बढ़ाते हैं, जिस कारण हमारी नदियां लगातार प्रदूषित होती जा रही है। वोट बैंक की राजनीति के चलते पर्यावरण को ताक पर रखकर नदियों के किनारे अतिक्रमण किए जाते हैं और कार्रवाई के नाम पर केवल कोर्ट के चक्कर लगते हैं। ऐसे में पर्यावरण और नदी संरक्षण भारत में चुनौती बन गया है। इसी क्रम में एक मामला झिंझरिया नदी का है।
10 जून, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदूषित हो रही झिंझरिया नदी के मामले पर एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है|
साथ ही इसके मुहाने पर मौजूद धोबिया तालाब अवैध अतिक्रमण का शिकार हो रहा है| यह तालाब हजारीबाग, झारखंड में है| कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार इस नदी धारा की लम्बाई करीब 5 किलोमीटर और चौड़ाई 30 फीट है| अवैध अतिक्रमण और निर्माण के चलते यह अब विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी है| इसके साथ ही धोबिया तालाब की स्थिति भी बहुत ख़राब है| कभी 12 एकड़ में फैला यह तालाब अब सिकुड़ कर केवल 5 से 6 एकड़ का रह गया है|
गौरतलब है कि प्रदूषित झिंझरिया धारा के कारण कोनार नदी का जल भी प्रदूषित हो रहा है| जोकि हजारीबाग शहर के लिए पानी का मुख्य स्रोत है|
ट्रिब्यूनल ने इस नदी और तालाब के आसपास निर्माण और अतिक्रमण पर रोक लगा दी है| साथ ही यह भी आदेश दिया है कि इन जल स्रोतों में ठोस अपशिष्ट को नहीं डाला जायेगा| साथ ही प्रदूषण को रोकने के लिए तालाब और नदी में सीवेज के डालने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है| इसके साथ ही उसके आदेश पर सख्ती से पालन करने का भी निर्देश दिया है|