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यमुना के पानी को निर्मल बनाने के नाम पर बार-बार करोड़ों रुपए पानी में बहाने के बावजूद उसका प्रदूषण कम होने की बजाए बढ़ता ही जा रहा है। यमुना नदी को साफ करने के लिए पिछले 14 सालों में दिल्ली सरकार भी कोई ठोस योजना नहीं बना पाई है। आलम यह है कि दिल्ली जल बोर्ड के 20 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता तो 544 एमजीडी की है , लेकिन इन प्लांटों में 350 एमजीडी ही गंदा पानी साफ हो पा रहा है। जल बोर्ड के अधिकारी भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं। दूसरी ओर पानी के क्षेत्र में काम करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं ने इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की क्वॉलिटी पर सवाल खड़े किए हैं। राजधानी में 20 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों में से 16 प्लांट किसी ना किसी रूप में प्राइवेट कंपनियां चला रही हैं और सबसे ज्यादा हालत इन्हीं प्लांटों की खराब है। उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित पानी नालों के जरिए सीधे यमुना में छोड़ा जा रहा है।