कांगो (ज़ैरे गणराज्य)

Submitted by Hindi on Mon, 08/08/2011 - 15:29
कांगो (ज़ैरे गणराज्य) अफ्रीका महाद्वीप के मध्य भाग में स्थित यह एक स्वतंत्र गणराज्य है। 30, जून, 1960 के पूर्व यह देश बेल्जियम सरकार के आधिपत्य में रहा। सन्‌ 1971 में कांगों नदी का नाम 'ज़ैरे' रखने के लिए देशव्यापी विवाह खड़ा हो गया और उसी समय अक्टूबर मास के पश्चात्‌ कांगों नदी क नाम 'ज़ैरे' तथा राष्ट्र 'ज़ैरे गणराज्य' के नाम से पुकारा जाने लगा। सन्‌ 1966 में अनेक यूरोपीय और कांगोली नाम बदल दिए गए; जैसे, लियोपोल्डविले को किन्साशा, एलिज़ाबेथविले को लुबुंबासी, स्टैलेनविले को किसन गनाई, ऐल्बर्टविले को कालेमी, कोक्विलहाटविले को मांदाका, पाउलिस को इसिरो और वैनिगविले को वान्युन्यू नाम दिए गए। सन्‌ 1972 में ज़ैरे सरकार ने एक विधेयक पारित किया जिसमें सभी उच्च अधिकारियों के लिए 'ज़ैरीज़' नाम रखना आवश्यक हो गया। तत्पश्चात्‌ राष्ट्रपति जोसेफ़ डेसेर मोबुटु का नाम ज़ैरे में 'मोबुटु सेसे सेको' कर दिया गया।

ज़ैरे गणराज्य के उत्तर में मध्य अफ्रीका गणतंत्र और सूडान; पूर्व में युगांडा, रोआंडा, बुरुंडी, तंजानिया; दक्षिण में ज़ाबिया तथा अंगोला और पश्चिम में कैविंदा, ब्राजाविले, कांगो गणराज्य तथा अंध महासागर हैं। इस गणतंत्र का संपूर्ण क्षेत्रफल 23,44,885 वर्ग कि.मी. है। ज़ैरे गणराज्य की राजधानी किन्शासा है जहाँ 13,23,000 व्यक्ति निवास करते हैं। ज़ैरे गणराज्य आठ प्रांतों में विभक्त है जिनके क्षेत्रफल और जनसंख्या निम्न प्रकार हैं :-

राज्य क्षेत्रफल (वर्ग कि.मी.) जनसंख्या (1970)


1.वास ज़ैर 53,920 15,19,000
2. किन्शासा 9,965 13,23,000
3. इक्वेटर 4,03,293 24,32,000
4. हाटज़ैर 5,03,239 33,56,000
5. किवु 2,56,662 33,61,000
6. कटांगा 4,96,965 27,56,000
7. काशीपूर्वी 1,68,216
8. वान्युन्यु 2,95,658 26,01,000

यह प्रदेश ज़ैरे (कांगो) तथा उसकी सहायक नदियों की द्रोणी में बसा हुआ है। इसका कुछ उत्तरी भाग नील नदी के द्रोणीक्षेत्र में भी पड़ता है। इसके उत्तरी पूर्व में एल्बर्ट तथा एडवर्ड झीलों के मध्य का भूभाग ज्वालामुखी चोटियों से आवृत्त है। इसमें सबसे ऊँची चोटी माउंट रेवोज़ेरी है, जिसकी ऊँचाई 16,791 फुट है। प्रदेश का अधिकांश भूभाग अभेद्य जंगलों से ढका हुआ है। इन जंगलों में कहीं-कहीं उपजाऊ तथा कृषियोग्य भूमि भी उपलब्ध है। अत्यधिक गर्म तथा नम वातावरण होने के कारण इस प्रदेश की जलवायु शीत प्रदेश के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद नहीं है। इस भाग में अक्टूबर, नवंबर तथा फरवरी से मई तक पर्याप्त वर्षा होती हैं।

यहाँ के जंगलों में बहुमूल्य लकड़ियाँ जैसे कुदार (एवनी, सागौन, महोगनी) तथा रबर पर्यापत मात्रा में उपलब्ध हैं। जंगली पशुओं में जिराफ, हाथी, शेर, भैंसा तथा गोरिल्ला विशेष उल्लेखनीय हैं। यह प्रदेश अपनी खनिज संपदा के लिए विशेष स्थान रखता है। यहाँ मैंगनीज़, जस्ता, लोहा, सीसा, चाँदी, सोना, यूरेनियम और हीरा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। सन्‌ 1970 मी.टन ताँबा, 8,700 मी.टन टिन, 3,53,032 मी.टन मैंगनीज़, 1,10,280 मी.टन कोयला, 97,338 मी.टन जस्ता, 12,710 मी.टन औद्योगिक हीरा, 55,424 मी.टन चाँदी और 5,628 मी.टन सोने का उत्पादन किया गया। विश्व की सुप्रसिद्ध यूरेनियम की खदानों में यहाँ की भी एक खदान गिनी जाती है जो लुबुंबासी से 70 मील दूर उत्तर पश्चिम में शिकोलाबवे नाम से प्रसिद्ध है।

अन्य औद्योगिक पदार्थों में सिगरेट, 3,968 मिलियन, शराब 3,120 मि.हैं. ली. चीनी 360 मी.टन, गंधक का तेजाब 2,578 मी.टन, सोडा, 1,32,000 मी.टन, सादे कपड़े 64,200 मी.टन, छपे कपड़े 41,380 मी.टन तथा कंबल 1,552 मी.टन (1971में) तैयार किए गए।

खाद्य पदार्थ एवं फसलों में कहवा, कोको, रबर, कपास, नारियल, केला, चाय, कसाबा, मक्का, मटर, धान, कंदा, आलू और सारघम इत्यादि हैं जिनमें सन्‌ 1969 में इस प्रदेश ने 44,963 मी.टन कहवा, 4,624 मी.टन कोको, 40,796 मी.टन रबर, 6,704 मी.टन कपास के रेशे, 1,32,982 मी.टन नारियल का तेल, 399 मी.टन केला तथा 4,051मी.टन चाय का निर्यात विदेशों को किया। यहाँ से ताँबा, हीरा, सोना, कोबाल्ट एवं जस्ता भी विदेशों को निर्यात किए जाते हैं। यहाँ पर आयात की जानेवाली वस्तुओं में मुख्य रूप से मांस, मछली, अनाज, पेट्रोलियम के अन्य पदार्थों, दवाइयों के सामान, प्लास्टिक, रबर के समान, कपड़े, लोहे की छड़ें विद्युत्‌ की मशीनें तथा सड़कों पर चलनेवाली विभिन्न प्रकार की कारें और अन्य सवारियाँ हैं। सन्‌ 1969 में यहाँ कुल आयात 205.1 मिलियन ज़ैरे का तथा निर्यात 324.6 मि. ज़ैरे का हुआ जो देश के विकास का द्योतक है।

यहाँ के अधिकांश निवासी बांटू जाति के हैं। उत्तरी भाग में असल नीग्रों जाति के लोग निवास करते हैं। प्रदेश के पूर्वी भाग में कुछ सूडानी तथा बौनी जाति (पिग्मी) के लोग पाए जाते हैं। साम्राज्यवादी जातियों में बेल्जियमवासी, अंग्रेज तथा अरबनिवासी हैं जो अपनी-अपनी भाषा एवं संस्कृति के साथ निवास कर रहे हैं। ईसाई प्रचारमंडल यहाँ स्वास्थ्य एवं शिक्षाप्रसार के लिए कार्य कर रहे हैं। यहाँ की लगभग एक तिहाई जनसंख्या शिक्षित हो चुकी है।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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