कार्बोनिल

Submitted by Hindi on Tue, 08/09/2011 - 11:08
कार्बोनिल (धातु के) कार्बन मोनो-ऑक्साइड से संयोजित धातु के योगिक हैं। इनमें अति महत्वपूर्ण निकल कार्बोनिल है जिसे पहले पहल मॉड, लैंगर और क्विंके ने ज्ञात किया। उसके बाद ही दूसरी धातुओं, विशेषकर लोहा, कोबाल्ट, रूथेनियम इत्यादि, के कार्बोनिल बनाए गए। इस श्रेणी के कुछ यौगिक उद्योग में प्रयुक्त होने के कारण अधिक मात्रा में बनाए जाते हैं। साधारणतया सूक्ष्म रूप से विभाजित धातु पर कार्बन मोनोक्साइड गैस की प्रत्यक्ष क्रिया से कार्बोनिल प्राप्त होता है। अधिकतर उच्च दाब की गैस तथा ताँबे या चाँदी की उपस्थिति का प्रयोग होता है। विशेष परिस्थितियों में अन्य विधियों का भी उपयोग होता है। भारी धातुओं के महत्वपूर्ण कार्बोनिल अपने गुणधर्म के अनुसार दो भागों में विभक्त किए जा सकते हैं। पहला वाष्पशील पदार्थ जो बेज़ीन ऐसे अध्रुवीय विलायक में विलेय है, जैसे निकल का टेट्रा-कार्बोनिल Ni (C O)4 तथा लोहा, रूथेनियम और आसमियम के पेंटाकार्बोनिल तथा दूसरे अवाष्पशील ठोसपदार्थ, जैसे लोहा तथा रूथेनियम के नोनाकार्बोनिल और कोबाल्ट, इरीडियम इत्यादि के कार्बोनिल।

अवकृत निकल धातु को ठंडा कर, कार्बन मोनो-ऑक्साइड प्रविष्ट करने से गैस की अच्छी मात्रा शीघ्र ही शोषित हो जाती है तथा निकल कार्बोनिल बनता है :

Ni + 4 C O  Ni (C O)4

इस क्रिया में गर्मी निकलती है। इस रासायनिक संतुलन के अध्ययन से ज्ञात हुआ कि गैस की अधिक दाब का उपयोग कार्बोनिल बनने के पक्ष में है और साधारण से अधिक ताप पर भी बहुत विघटन नहीं होता। वास्तव में औद्योगिक उत्पादन के लिए 100 वायुमंडल या अधिक दाब का ही उपयोग होता है। निकल कार्बोनिल रंगहीन द्रव है। इसका क्वथनांक 43.2 सें. द्रवणांक –25° सें. है। ताप बढ़ने पर कार्बोनिल का विघटन होता है जिसमें निकल धातु तथा कार्बन प्राप्त हाते हैं। इस उष्मा विघटन की मांड विधि में अपद्रव्यों से निकल अलग करने तथा शुद्ध निकल (विशेषकर कोबाल्ट रहित) प्राप्त करने के लिए, महत्वपूर्ण है। निकल कार्बोनिल बहुत सी रासायनिक वस्तुओं से क्रिया करता है। हैलोजन की क्रिया से तुरंत विघटन होता है जिससे निकल का लवण तथा कार्बन मोनो-ऑक्साइड बनता है :

Ni (CO)4 + Br2 = NiBr2 + 4 CO

सूखे हाइड्रोजन क्लोराइड या दूसरे हाइड्रोजन हैलाइड से भी लवण प्राप्त होता है। ऑक्सीकारक वस्तुएँ अथवा नम हवा द्वारा भी इसका विघटन होता है। डेवर फ़्लास्क अथवा दूसरी वस्तुओं में शुद्ध निकल प्लेटिंग तथा इलेक्ट्रोप्लेटिंग में प्रयुक्त एलेक्ट्रोड के हेतु विशुद्ध निकल प्राप्त करने के लिए निकल कार्बोनिल के उपयोग का सुझाव प्रस्तुत किया गया है। इसकी कम मात्रा भी अति नशीली है।

सूक्ष्म रूप से विभाजित लोहे पर कार्बन मोनो-ऑक्साइड की क्रिया से लोहे का पेंटाकार्बोनिल प्राप्त होता है। गैस की उच्च दाब पर यह क्रिया संभव होती है। इसी कारण कार्बन मानो-ऑक्साइड या ईधंन की गैस को अधिक दाब पर संचित करने के लिए लोहे के बने भांडार या संचालन की नली में कुछ पेंटाकार्बोनिल रहता है। इसे अधिक मात्रा में बनाने के लिए 100-200 वायुमंडल तक दाब का उपयोग होता है। ताँबे की थोड़ी मात्रा की उपस्थिति में क्रिया कम ताप पर ही होती है।

लोहे का पेंटाकार्बोनिल साधारण ताप पर पीले रंग का द्रव है। इसका क्वथनांक 102º सें. तथा द्रवणांक –20º सें. है। कार्बोनिल के वाष्प को गर्म करने से विघटन होता है और स्वतंत्र लोहा सतह पर दर्पण के रूप में जमा हो जाता है। इसमें कुछ कार्बन भी (कार्बन मोनोऑक्साइड के विघटन से प्राप्त) रहता है। शुद्ध फ़ेरिक ऑक्साइड के साथ इस प्रकार प्राप्त लोहे को पुन: गलाकर अति शुद्ध लोहा प्राप्त होता है। ऐसे लोहे का उपयोग विविध रासायनिक प्रक्रियाओं में उत्प्रेरक के लिए तथा ट्रांसफ़ारमर के कोर एवं चुंबक बनाने मंग होता है।

प्रकाश के प्रभाव में लोहे के कार्बोनिल का फोटो-रासायनिक विघटन होता है जिसमें लोहे का नोनाकार्बोनिल बनता है। यह यौगिक भी गर्म करने पर विघटित होता है। लोहे के पेंटाकार्बोनिल के क्षारीय विलयन में अम्ल की क्रिया से अति शक्तिशाली अवकारक आयरन कार्बोनिल हाइड्राइड बनता है। हैलोजन की क्रिया से कार्बोनिल हैलाइड मिलता है। दोनों ही यौगिकों (कार्बोनिल तथा उसके हैलाइड) से पिरिडीन एथिलीन डाइ-एमिन या इसी प्रकार के दूसरे रासायनिक यौगिकों द्वारा कार्बन मोनो-ऑक्साइड प्रतिस्थापित होता है। कार्बन मोनो-ऑक्साइड का धातु से सीधा संवर्ग बंधक (कोआरडिनेट लिंक) द्वारा संबंध ज्ञात करने के विचार से यह क्रिया महत्वपूर्ण है। इस धातु का दूसरा कार्बोनिल (टेट्रा-कार्बोनिल) पेंटाकार्बोनिल की भाँति ही गुण देता है परंतु वह यौगिक कुछ अधिक क्रियाशील होता है।

कोबाल्ट कार्बोनिल CO2 (CO)8 नारंगी रंग का ठोस पदार्थ है जो गर्म करने पर विघटित होता है तथा 52º सें. पर कोबाल्ट का एक अन्य कोर्बोलि CO4 (CO)12 बनाता है। लोहे के कार्बोनिल हाइड्राइड के समान ही कोबाल्ट का यौगिक भी प्राप्त होता है। नाइट्रिक ऑक्साइड से कोबाल्ट का नाइट्रोसोकार्बोनिल मिलता है।

लोहे के यौगिक की भाँति रूथेनियम पेंट-कार्बोनिल, कार्बन मानो-ऑक्साइड गैस की अधिक दाब पर क्रिया द्वारा प्राप्त होता है। यह Ru I2, 2CO से भी चाँदी की उपस्थिति में इसी क्रिया द्वारा बनाया जा सकता है। प्रकाश द्वारा इस कार्बोनिल का भी विघटन होता है जिसमें रुथेनियम का नोनाकर्बोनिल बनता है।

ऊर्ध्वपात क्रोमियम के क्लोराइड या टंगस्टन हेक्सा-क्लोराइड पर कार्बन मोनो-ऑक्साइड की उपस्थिति में ग्रीनयार्ड प्रतिकर्मक की क्रिया द्वारा क्रमश: क्रोमियम या टंग्स्टन के कोर्बोनिल Cr (CO)6 और W (CO)6 बनते हैं। मालिब्डिनम कार्बोनिल भी इसी प्रकार अथवा अवकृत धातु पर कार्बन मोनो-ऑक्साइड की क्रिया से प्राप्त होता है। इन सभी कार्बोनिलों से, गर्म करने पर, विघटन से प्राप्त धातु का दर्पण मिलता है। इनमें क्रोमियम कार्बोनिल अधिक स्थायी है जो 140स् के ऊपर ही विघटित होता है।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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