कावेरी

Submitted by Hindi on Fri, 08/05/2011 - 16:53
कावेरी दक्षिणी भारत की 475 मील लंबी एक नदी है जो पश्चिमी घाट में (अरब सागर से केवल 20 मील दूर) कुर्ग की पहाड़ियों से निकलकर दक्षिण-पूर्व में कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्यों से प्रवाहित होकर डेल्टा बनाती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। कुर्ग एवं पश्चिमी मैसूर नगर से 12 मील उत्तर-पश्चिम कावेरी तथा इसकी सहायक हेमवती और लक्ष्मणतीर्थ की त्रिवेणी पर एक बाँध बनाकर कृष्णराजसागर जलतड़ाग का निर्माण किया गया है, जिससे 92,000 एकड़ भूमि की सिंचाई होती है। कापिनी तथा शमशा नदियाँ पठार की अन्य सहायक नदियों में प्रमुख हैं। आगे चलकर कावेरी मैसूर नगर से 35 मील पूर्व शिवसमुद्रम्‌ द्वीप द्वारा दो भागों में विभक्त हो जाती है। यहाँ 320 फुट ऊँचे जलप्रपात हैं जिनके द्वारा जलविद्युत्‌ उत्पन्न की जाती है। मद्रास राज्य में प्रवेश करने पर भवानी नदी, जो नीलगिरि पर्वत से निकलती है, कावेरी की सहायक बनती है। त्रिचनापल्ली के निकट यह पुन: सेरिंगम (Seringam) द्वीप द्वारा दो प्रमुख शाखाओं में विभक्त हो जाती है। इसकी दक्षिणी शाखा का नाम 'कोलरून' है। यहाँ से तंजौर का सुप्रसिद्ध उर्वर डेल्टा प्रदेश आरंभ होता है जो दक्षिण भारत का उद्यान कहा जाता है। यह उत्तम प्रकार का चावल उत्पन्न करने के लिए प्रसिद्ध है।

डेल्टा प्रदेश की सिंचाई प्रणाली अत्यंत प्राचीन है। ईसा से 400 वर्ष पूर्व निर्मित एक बाँध अभी तक अच्छी स्थिति में विद्यमान है। सन्‌ 1934 ई. में 'कालरून' पर 176 फुट ऊँचे तथा 2,250 फुट लंबे मेंटूर बाँध का निर्माण कर 60,00,000 एकड़ भूमि सींचने की व्यवस्था की गई थी। दोनों राज्यों में कावेरी नदी से लगभग 13 लाख एकड़ भूमि सींची जाती है। नहरों एवं प्रशाखाओं की कुल लंबाई क्रमश: 1,500 मील तथा 2,000 मील है। कावेरी का औसत वार्षिक जलसंचार 120 लाख एकड़ फुट है जिसमें से सन्‌ 1960 ई. तक लगभग 200 लाख एकड़ फुट जल उपयोग में लाया जा चुका है। सिंचाई के अतिरिक्त जोग, कृष्णराजसागर, शिवसमुद्रम्‌, मेंटूर आदि स्थानों पर जलविद्यत्‌ उत्पन्न की जाती है। यह नदी बहुत ही पवित्र मानी जाती है अत: इसे दक्षिणी गंगा कहते हैं।

Hindi Title


विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)




अन्य स्रोतों से




संदर्भ
1 -

2 -

बाहरी कड़ियाँ
1 -
2 -
3 -