ककड़ी

Submitted by Hindi on Sat, 08/06/2011 - 16:28
ककड़ी विश्वास किया जाता है कि ककड़ी की उत्पत्ति भारत से हुई। इसकी खेती की रीति बिलकुल तरोई के समान है, केवल उसके बोने के समय में अंतर है। यदि भूमि पूर्वी जिलों में हो, जहाँ शीत ऋतु अधिक कड़ी नहीं होती, तो अक्टूबर के मध्य में बीज बोए जा सकते हैं, नहीं तो इसे जनवरी में बोना चाहिए। ऐसे स्थानों में जहाँ सर्दी अधिक पड़ती हैं, इसे फरवरी और मार्च के महीनों में लगाना चाहिए। इसकी फसल बलुई दुमट भूमियों से अच्छी होती है। इस फसल की सिंचाई सप्ताह में दो बार करनी चाहिए। ककड़ी में सबसे अच्छी सुगंध गर्म शुष्क जलवायु में आती है। इसमें दो मुख्य जातियाँ होती हैं-एक में हलके हरे रंग के फल होते हैं तथा दूसरी में गहरे हरे रंग के।

इनमें पहली को ही लोग पसंद करते हैं। ग्राहकों की पसंद के अनुसार फलों की चुनाई तरुणावस्था में अथवा इसके बाद करनी चाहिए। इसकी माध्य उपज लगभग 75 मन प्रति एकड़ है। ककड़ी 'कुकुमिस मेंलो वैराइटी यूटिलिसिमय' (Cucumis melo var. utilissimus) कहते हैं जो 'कुकुरबिटेसी' (Cucurbitaceae) वंश के अंतर्गत आती है।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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