क्लाउड वाचिंग, यूथ ग्रुप की नयी डिमांड

Submitted by Hindi on Wed, 08/31/2011 - 09:44
अविनाश शर्मा
बादलबादलयुवाओं में बर्ड वाचिंग की तरह अब क्लाउड वाचिंग भी हॉबी बनती जा रही है। बादलों के मौसम में किसी दिन चंद घंटों का समय निकालिए और निकल जाइये क्लाउड वाचिंग के लिए। मानसून का मौसम अपने साथ बौछारों की बहारें लेकर आता है तो इसके साथ ही आसमान के विस्तृत कैनवास पर बादलों की अद्भुत चित्रकारी का मौसम भी आ जाता है। कभी वर्षा से पहले तो कभी वर्षा के बाद अलग रूप, अलग रंग और अलग-अलग आकार के बादल उन्मुक्त गगन पर अजब अनोखी छवियां बनाते हैं। कई बार यह छवि इतनी आकर्षक होती हैं कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। जबकि कभी-कभी इनका स्वरूप भयावह नजर आता है। दोनों ही स्थितियों में इन्हें निहारने में एक अलग ही आनंद आता है। बादलों के निहारने के इस क्रम को ही क्लाउड वाचिंग कहते हैं। बर्ड वाचिंग की तरह यह भी एक अनोखा शौक आज युवाओं की हॉबी बन रहा है। दरअसल इस शौक में ना किसी तैयारी की आवश्यकता है और न किसी तरह के बड़े खर्च की जरूरत। बादलों के मौसम में किसी दिन चंद घंटों का समय निकालिए और निकल जाइये क्लाउड वाचिंग के लिए। प्रेमिका के साथ किसी पार्क में बैठें हैं तो यह शौक रोमांस से जुड़ जाता है। यदि दोस्तों के साथ हाइवे पर निकल जायें तो इसमें मस्ती भी शामिल हो जाती है। यही नहीं आप चाहें तो इस शौक को मानसून ट्रैवल के साथ भी जोड़ सकते हैं। वर्षा के बाद काले बादल छटते ही आसमान पर प्राय: सफेद बादलों का साम्राज्य छा जाता है। कभी यह रूई के विशाल ढेर से नजर आते हैं तो कभी रूई के फाहों की तरह बिखरे दिखाई देते हैं। ऐसे मंजर देखने में सचमुच अलग ही आनंद आता है लेकिन यह दृश्य उस समय रोमांचक बन जाते हैं जब घनघोर वर्षा लाने वाले बादल अपने स्याह या स्लेटी रूप में आसमान पर छा जाते हैं। तब इनका रूप कई बार भयानक नजर आता है।

क्लाउड वाचर तो जैसे बारिश को मौसम बनने का इंतजार कर रहे होते हैं। समय मिला नहीं कि किसी ऊंची बिल्डिंग की छत पर जा पहुंचे या निकट ही किसी फ्लाइओवर पर पहुंच जायें। जहां से दूर तक खुला आसमान नजर आता हो। 180 डिग्री से अधिक के नजारे में बादलों का विस्तार जैसे सम्मोहित ही कर देगा। युवाओं के लिए बरसात का मौसम रोमानियत की खुशगवार बहारें लाता है। सूरज बादलों के पीछे छिपा हो तो किसी पार्क में पेड़ की छाव तलाशने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में यह लोग अपने हमजोली के साथ बैठे घंटों बादलों को निहारते रहते हैं। देखा जाये तो बर्ड वाचिंग के समान क्लाउड वाचिंग के लिए किसी सेंचुरी आदि में जाने की जरूरत नहीं है। फिर भी यदि छुट्टी का दिन है और आपका पिकनिक या हाइवे पर लांग ड्राइव का मूड है तो क्लाउड वाचिंग के लिए घर से दूर भी जा सकते हैं। हाइवे पर तो हर 5-7 किलोमीटर के बाद बादलों के दृश्य बदलते दिखाई पडेंगे। मन चाहे तो कहीं सुरक्षित जगह गाड़ी खड़ी करके आप काफी पीते हुए बादलों की खूबसूरती में खो जाएं। ऐसे में अगर नदी का किनारा हो तो बादलों की छाया बहते पानी के दृश्य में एक अलग ही रंग भर देगी। बादलों के बनने का क्रम हर जगह अलग होता है। क्लाउड वाचिंग का आनंद हिलस्टेशन की यात्रा के दौरान भी मिल सकता है।

क्लाउड वाचिंग के आदर्श ठिकाने


• मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों की छत से फैमिली के साथ बादलों की छवि देख सकते हैं।
• फ्लाईओवर पर कुछ देर खड़े होकर भी बादलों को निहार सकते हैं।
• दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-आगरा या दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे पर खुले मैदानों में ठहरकर।
• दिल्ली के आसपास कई डीलें हैं। किसी डील या नदी के तट पर खड़े होकर भी क्लाउड वाचिंग का आनंद ले सकते हैं।
• पर्वतीय पर्यटन स्थलों पर मालरोड पर चहलकदमी करते हुए।
• समुद्रतटों पर लहरों के सामने गीली रेत पर घूमते हुए।
• बहुत से लोग किसी विशाल पार्क के बैंच पर बैठ इसका लुत्फ उठाते हैं।
• बच्चे तो अपने घरों की छत से ही बनते बदलते बादलों को देख प्रसन्न होते हैं।
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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)




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