कराची

Submitted by Hindi on Mon, 08/08/2011 - 11:35
कराची सिंध नदी के त्रिभुज (डेल्टा) पर स्थित अविभाजित भारत का तृतीय बंदरगाह तथा संप्रति पाकिस्तान के सिंध प्रांत की राजधानी और उस देश का प्रथम बंदरगाह है । यह बंदरगाह एक लंबी शैलभित्ति (रीफ़) द्वारा अरब सागर की धाराओं तथा तीव्र पवनों से सुरक्षित है। जहाज कियामरी द्वीप के निकट रुकते हैं, जो नगर से तीन मील लंबे बाँध द्वारा, जिसे 'नेपियर मोल' कहते हैं, जुड़ा है।

कराची की जलवायु शुष्क है। यहाँ की वार्षिक वर्षा केवल 5फ़फ़ है। जो दो महीने, जुलाई एवं अगस्त में, होती है, पर दिसंबर में दो एक अच्छे फुहारे पड़ जाते हैं। नवंबर से मार्च तक का जाड़े का समय बड़ा सुहावना होता है। शेष मास तर समुद्री हवाओं के प्रभाव के कारण नम होते हैं। गर्मी के महीनों में तापमान फिर भी अधिक होता है।

सन्‌ 1750 ई. के पूर्व इस स्थान पर किसी नगर के स्थापित होने के चिह्न नहीं मिलते। सिंध के प्राचीन बंदरगाह, शाह बंदर, के पट जाने के कारण इस स्थल पर स्थित एक गाँव के व्यापार को काफी सहायता मिली। धीरे-धीरे यह नर के रूप में आया, जिसे तालपुर के मीरों ने अपने अधिकार में कर लिया। उन्होंने 'बंदरगाह' के मुख्य द्वार, मनोरा पर एक दुर्ग भी बनाया। सन्‌ 1843 ई. में जब अंग्रजों ने इस नगर पर आधिपत्य जमाया, इसकी जनसंख्या केवल 14,000 थी।

कराची के उत्थान में सर चार्ल्स नेपियर का काफी हाथ रहा जिनके योजनानुसार 1854 ई. में नेपियर मोल का निर्माण हुआ और वर्तमान पत्तन की रूपरेखा स्थापित हुई। कुछ ही वर्ष बाद अमरीका के गृहयुद्ध के कारण रुई का भाव अधिक बढ़ गया और नगर को इस व्यापार से काफी आय हुई। सन्‌ 1863-64 ई. के कराची व्यापार का मूल्य 1857-58 ई. के व्यापार के मूल्य का 28 गुना हो गया। 1878 ई. में निर्मित रेलों द्वारा नगर का संबंध पंजाब के भीतरी भागों में भी हो गया जिससे यहाँ के व्यापार में उत्तरोत्तर वृद्धि हाती गई। सक्खर बाँध से सिंचाई का प्रबंध होने पर कराची की निकटवर्ती पृष्ठभूमि अधिक उपजाऊ सिद्ध हुई और उसने नगर की उन्नति को विशेष प्रभावित किया।

कराची को व्यापार संबंधी एक और सुविधा थी। यह पत्तन निकटवर्ती पत्तन बंबई की अपेक्षा, स्वेज मार्ग मार्ग द्वारा, लंदन से करीब 200 मील निकट था। इस कारण उत्तर-पश्चिमी भारत के आयात-निर्यात का एक बड़ा भाग इस पत्तन से होता था। 1918 ई. और 1939 ई. के बीच अंतर्राष्ट्रीय वायुमार्ग की वृद्धि के कारण नगर की महत्ता और भी बढ़ी। मिट्टी के तेल की खानों की निकटता, समुद्रतल से कम ऊँचाई पर स्थित विस्तृत मैदान, तथा बाढ़ आदि से सुरक्षा, कम ऊँचाई पर के बादलों की प्राय: न्यूनता, इत्यादि बातें इसे वायुमार्ग का केंद्र बनाने में यथेष्ट सहायक सिद्ध हुई हैं।

कराची का औद्योगिक विकास अधिक नहीं हो पाया है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में मौरीपुर में नमक बनाने का उद्योग, आटे की मिलें तथा सीमेंट के कारखाने मुख्य हैं। परंतु अब लोहे के कई कल कारखाने तथा रुई की गाँठें बाँधने के कारखाने भी खुल गए हैं।

नगर की सबसे बड़ी कठिनाई पीने के पानी का दुर्लभत्व है। पानी नलकूपों द्वारा प्राप्त किया जाता है। परंतु विभाजन के कुछ दिन पूर्व सिंधु नदी पर 90 मील लंबा एक बाँध बनाकर पानी की समस्या सुलझाने का प्रयत्न किया गया था। पानी की कमी के कारण नगर की सफाई करने तथा धरातल के नीचे नालियों द्वारा गंदगी बहाने में भी कठिनाई होती है।

कराची आधुनिक युग का नगर है। सड़कें अपेक्षाकृत चौड़ी हैं, तथा इमारतों में नवीनता है। कुछ इमारते अच्छी हैं। कॉटन एक्सचेंज, एसेंबली हाउस, हवाई अड्डा आदि का निर्माण अर्वाचीन शैली पर हुआ है।

पंजाब के नहरी क्षेत्रों में गेहूँ के उत्पादन की वृद्धि से कराची से गेहूँ का निर्यात अधिक बढ़ गया। गेहूँ के अतिरिक्त तेलहन, रुई, ऊन, चमड़े तथा खाल, हड्डी आदि वस्तुएँ यहाँ से निर्यात की जाती हैं। आयात की वस्तुओं में मशीनें, मोटर गाड़ियाँ पेट्रोल, चीनी, लोहा तथा लोहे के समान मुख्य हैं।

विभाजन के कारण कराची में शरणार्थी बड़ी संख्या में पहुँचे जिन्हें अस्थायी तथा स्थायी रूप से बसाना नगर के लिए कठिन समस्या बन गई। अस्थायी तथा स्थायी रूप से बसाना नगर के लिए कठिन समस्या बन गई थी। नगर के विस्तार, कई नियोजित उपनगरों की स्थापना, उद्योग धंधों की वृद्धि आदि से भी इस समस्या का पूरी तरह समाधान नहीं हो पाया। अत: आजकल भी कराची की सड़कों पर सोनेवालों की संख्या बहुत बड़ी है। बहुतों ने सड़कों पर ही टेढ़े सीधे घेर घारकर मकान बना लिए हैं तथा दुकानें खोल रखी हैं, जिसके कारण नगर का स्वरूप बड़ा विकृत हो गया है।

बंदरगाह की पृष्ठभूमि विशेष विस्तृत है। इसके अंतर्गत संपूर्ण सिंध, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान तथा पश्चिमी पंजाब के क्षेत्र सम्मिलित हैं।

Hindi Title


विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)




अन्य स्रोतों से




संदर्भ
1 -

2 -

बाहरी कड़ियाँ
1 -
2 -
3 -