कुंभकोणम् तमिलनाडू कावेरी तट पर स्थित, मद्रास नगर से 194 मील दूर, दक्षिण रेलवे की मुख्य शाखा का एक स्टेशन है। इसकी गणना दक्षिण भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में की जाती है। पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार ब्रह्मा ने अमृत से एक कुंभ भर रखा था। उसकी नासिका में छिद्र हो जाने से बहुत सा अमृत बाहर टपक गया और उससे पाँच कोस तक की भूमि भींग गई। यह भूभाग यही है। जब भगवान् शंकर ने देखा कि अमृत गिरने से यह स्थान पवित्र हो गया है तो इस स्थान को तीर्थ समझकर लिंग रूप में यहाँ आविर्भूत हुए। इसी लिंग पर स्थापित कुंभेश्वर नामक मंदिर है। इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस स्थान का संबंध मलिकुर्रम से स्थापित किया जाता है जो लगभग 7वीं शताब्दी में चोल वंश की राजधानी था। यह ब्राह्मण सभ्यता का लौहस्तंभ रहा है। शंकराचार्य द्वारा स्थापित यहाँ एक मठ है, जिसमें संस्कृत पुस्तकों का बहुमूल्य पुस्तकालय है। नागेश्वर तथा सारंगपाणि यहाँ के प्रमुख देवालय हैं। (नृपेन्द्रकुमार सिंह.; परमेश्वरीलाल गुप्त)
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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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