कुवैत अरब के उत्तरीपश्चिमी किनारे पर ईराक और सऊदी अरब के बीच के रेगिस्तानी प्रदेश के सिरे पर स्थित 1950 वर्गमील का छोटा किंतु अत्यंत महत्व का अरब राज्य (स्थिति : 290.20’ उत्तर; 400.00’ पूर्व)। इसका नाम कुत शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है किला। इसे कुरैन भी कहते हैं। इसकी स्थापना शेख सबा (प्रथम) ने 1756 ई. में की थी। 1898 में तुर्की ने इस पर अधिकार करने का प्रयास किया था। फलस्वरूप 1899 ई. में शेख मुबारक ने अंग्रेजों से एक संधिकर सुरक्षा संरक्षण प्राप्त किया। 1914 ई. में अंग्रेजों ने अपने संरक्षण के अंतर्गत इसकी स्वतंत्र सत्ता स्वीकार की। 19 जून, 1961 में एक नई संधि हुई जिसमें 1899 की संधि समाप्त कर दी गई और आंतरिक एवं बाह्य सभी मामलों इसकी पूर्ण स्वतंत्रता की गई।
1938 ई. के पूर्व इसका कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक महत्व न था। यहाँ के निवासी समुद्री व्यापार पर निर्भर करते थे। नाव का निर्माण, नाविक कला, अरबी घोड़े, मोती, ऊन, भेड़ ही उनके व्यवसाय थे। किंतु अब तेल के उद्योग के कारण विश्व के आर्थिक जगत् में इसका एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है। तेल के शोध के लिए कुवैत आयल कंपनी ने, जिसमें अंग्रेजी ऐंग्लो-इरानियन आयल कंपनी और अमरीकी गल्फ आयल की समान साझेदारी थी, अनुमति प्राप्त की और 1946 से क्रू ड आयल का उत्पादन आरंभ हुआ। यह उत्पादन बड़ी तीव्रता से बढ़ा और इस क्षेत्र में यह देश ईरान और सऊदी अरब से बराबरी का दावा करता है। तेल की खानों से मीना-अल-अहमदी तक एक पाइप लाइन बिछा दी गई है और वहाँ तेल साफ करने का कारखाना लगा दिया गया है जिसकी क्षमता 1,90,000 बैरेल प्रति दिन है किंतु उत्पादन का 80 प्रतिशत बिना साफ किए ही निर्यात होता है। इस निर्यात के लिए मीना-अल-अहमदी में बंदरगाह का इस प्रकार विस्तार किया गया है कि एक साथ पाँच सुपरटैंकरों में तेल भरा जा सकता है।
कुवैत आयल कंपनी के अतिरिक्त, जिसमें अब कुवैत सरकार की आधे की साझेदारी है, 1948 में अमेरिकन इंडिपेंडेंट आयल कंपनी को कुवैत के तटस्थ प्रदेश में जो कुवैत और सऊदी अरब के बीच में हैं, तेलशोध का अधिकार दिया गया। वहाँ 1953 में तेल के श्रोत मिले और उसी वर्ष से वहाँ से भी तेल बड़ी मात्रा में निर्यात होता हैं। कुवैत ने अपने तटस्थ प्रदेश के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का अधिकार एक जापानी कंपनी को दे रखा है। वहाँ से 1961 से तेल निकल रहा है और जापान निर्यात किया जाता है। कुवैत के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का काम एक डच कंपनी भी कर रही है। अब एक स्पेन की कंपनी को भी तेल निकालने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इस प्रकार कुवैत में तेल उद्योग का निरंतर विकास हो रहा है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)
1938 ई. के पूर्व इसका कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक महत्व न था। यहाँ के निवासी समुद्री व्यापार पर निर्भर करते थे। नाव का निर्माण, नाविक कला, अरबी घोड़े, मोती, ऊन, भेड़ ही उनके व्यवसाय थे। किंतु अब तेल के उद्योग के कारण विश्व के आर्थिक जगत् में इसका एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है। तेल के शोध के लिए कुवैत आयल कंपनी ने, जिसमें अंग्रेजी ऐंग्लो-इरानियन आयल कंपनी और अमरीकी गल्फ आयल की समान साझेदारी थी, अनुमति प्राप्त की और 1946 से क्रू ड आयल का उत्पादन आरंभ हुआ। यह उत्पादन बड़ी तीव्रता से बढ़ा और इस क्षेत्र में यह देश ईरान और सऊदी अरब से बराबरी का दावा करता है। तेल की खानों से मीना-अल-अहमदी तक एक पाइप लाइन बिछा दी गई है और वहाँ तेल साफ करने का कारखाना लगा दिया गया है जिसकी क्षमता 1,90,000 बैरेल प्रति दिन है किंतु उत्पादन का 80 प्रतिशत बिना साफ किए ही निर्यात होता है। इस निर्यात के लिए मीना-अल-अहमदी में बंदरगाह का इस प्रकार विस्तार किया गया है कि एक साथ पाँच सुपरटैंकरों में तेल भरा जा सकता है।
कुवैत आयल कंपनी के अतिरिक्त, जिसमें अब कुवैत सरकार की आधे की साझेदारी है, 1948 में अमेरिकन इंडिपेंडेंट आयल कंपनी को कुवैत के तटस्थ प्रदेश में जो कुवैत और सऊदी अरब के बीच में हैं, तेलशोध का अधिकार दिया गया। वहाँ 1953 में तेल के श्रोत मिले और उसी वर्ष से वहाँ से भी तेल बड़ी मात्रा में निर्यात होता हैं। कुवैत ने अपने तटस्थ प्रदेश के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का अधिकार एक जापानी कंपनी को दे रखा है। वहाँ से 1961 से तेल निकल रहा है और जापान निर्यात किया जाता है। कुवैत के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का काम एक डच कंपनी भी कर रही है। अब एक स्पेन की कंपनी को भी तेल निकालने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इस प्रकार कुवैत में तेल उद्योग का निरंतर विकास हो रहा है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)
Hindi Title
विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
1 -
2 -
2 -
बाहरी कड़ियाँ
1 -
2 -
3 -
2 -
3 -