क्यों हो रहा है जलवायु परिवर्तन

Submitted by Hindi on Mon, 11/21/2016 - 14:46
Source
विज्ञान आपके लिये, जनवरी-मार्च, 2014

पिछले कुछ वर्षों से मौसम के बारे में कई तरह की बड़ी अजीब-अजीब बातें सुनने को मिल रही हैं, जैसे कि ‘इस बार बहुत अधिक गर्मी पड़ी’ या ‘अत्यधिक सर्दी पड़ी’। कभी-कभी ऐसा भी सुनते हैं कि ‘इस बार तो लगा ही नहीं कि सर्दी पड़ी।’ इसी तरह बारिश की भी कोई निश्चितता नहीं रह गई है। इस तरह का मौसमी बदलाव निश्चित ही चिंता का विषय है। ये मौसमी परिवर्तन हमारे-आपके आस-पास ही नहीं हो रहा है, बल्कि यह एक विश्वव्यापी जलवायु परिवर्तन है, जिसके कारण न केवल वैश्विक ताप परिवर्तन हो रहा है, बल्कि मौसम के प्राकृतिक चक्र में भी बदलाव आ रहा है।

इसके फलस्वरूप ऐसी अप्रत्याशित घटनाएँ हो रही हैं जो कि प्रकृति एवं पर्यावरण के लिये बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं। सुनने को मिलता है कि पेड़-पौधों पर समय से पहले फूल आने लगे हैं, फसल कम समय में ही पकने लगी है, ध्रुवों की बर्फ पिघलने लगी है, समुद्रों का जल स्तर बढ़ने लगा है, आदि-आदि। जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी ही बहुत सी घटनाएँ हो रही हैं जो कि संपूर्ण सृष्टि के लिये नुकसानदेय हो सकती हैं।

जलवायु परिवर्तनलेकिन सवाल यह पैदा होता है कि आखिर जलवायु परिवर्तन हो क्यों रहा है? वैसे तो जलवायु परिवर्तन के कई कारण हो सकते हैं, परंतु मुख्य कारण यह है कि जब किसी भी कारण से सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा या विकिरणों का पृथ्वी पर अवशोषण कम या ज्यादा होने लगे अथवा पृथ्वी से विकरित ऊष्मा की मात्रा कम या ज्यादा हो जाय तो उससे जलवायु परिवर्तन होता है।

पृथ्वी पर अथवा इसके वायुमंडल में ऊष्मा के अवशोषण अथवा विकिरण को प्रभावित करने वाले कई कारण होते हैं। इनमें उद्योगों और जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाली जहरीली ग्रीन हाउस गैसों की मुख्य भूमिका होती है। वे गैसें जो ऊष्मा को पृथ्वी के वायुमंडल में ही रोके रखती हैं या अवशोषित कर लेती हैं, ग्रीन हाउस गैसें कहलाती हैं। ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाइ आक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन हाइड्रोफ्लोरो कार्बन तथा सल्फर हैक्साफ्लोराइड प्रमुख हैं। खनिज ईंधनों के दहन से कल-कारखानों से निकलने वाले धुएँ से तथा कई ऐसी ही गतिविधियों से इन ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता रहता है, तथा अन्य पर्यावरण प्रदूषक पैदा होते रहते हैं जिनके कारण वायुमंडल का ताप अवांछनीय रूप से बदल रहा है, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है।

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डॉ. ओउम प्रकाश शर्मा