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रोजगार समाचार
खाद्य प्रसंस्करण खाद्य विज्ञान की एक शाखा है और यह ऐसी पद्धतियों तथा तकनीकों का मिला जुला रूप है जिसके द्वारा कच्ची सामग्रियों (raw ingredients) को मनुष्यों तथा पशुओं के उपयोग के लिए भोजन में परिवर्तित किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण खाद्य को परिरक्षित करता है, उसके सुस्वाद में वृद्धि करता है और खाद्य-उत्पाद में टॉक्सिन्स को कम करता है। आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों ने आज के सुपर-मार्केट्स के विकास की संभावनाओं को बल दिया है विकसित तथा विकासशील देशों के समाजों में उभर रहे उपभोक्तावाद ने स्प्रे ड्राइंग, जसू कन्सन्ट्रटेस, फ्रीज ड्राइगं जैसी तकनीकों वाले खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास तथा कृत्रिम मिठाइयों कलरेंट्स एवं प्रिजर्वेटिव्स प्रारंभ करने में योगदान दिया है। बीसवीं सदी के अंत में मध्यम वर्गीय परिवारों माताओं और विशेष रूप से कार्यशील महिलाओं के लिए ड्राइडइन्स्टेंट सूप्स, रिकंस्टीट्यूटेड फ्रूटस, जूस तथा सेल्फ कुकिगं मील्स जैसे उत्पादों का विकास किया गया।
आज भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्यागे उपभोक्ता-खाद्य उद्यागे के रूप में गति पकड़ रहा है। एक रिपार्टे के अनुसार देशों में प्रसंसाधित एवं डिब्बाबदं खाद्य के लगभग 300 मिलियन उच्च वगीर्य तथा मध्यम वर्गीय उपभोक्ता हैं और अन्य 200 मिलियन उपभोक्ताओं के इनमें शामिल होने की संभावना है। पूरे देश में 500 खाद्य स्थल स्थापित करने की योजना है। इससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास को और बल मिलेगा व इस कार्य के प्रति अभिरुचि रखने वालो के लिए रोजगार के व्यापक अवसर सृजित होंगे खाद्य सामगिय्रों को उद्यागे एवं सरकार की विनिर्दिष्टियों के अनुसार संसाधित, परिरक्षित एवं डिब्बाबदं किया जाता है और रखा जाता है। आज खाद्य प्रसंस्करण उद्यागे का भारत के उद्योगों में पांचवा स्थान है ।
भारतीय खाद्य निगम, जो खाद्यान्न तथा अन्य खाद्य मदों के क्रय, भंडारण, परिवहन एवं वितरण का कार्य करता है, व्यक्तियों की एक बडी़ संख्या को रोजगार देता है। निजी उद्यम ब्रडे , फलों का जूस खाद्य तेल एवं सॉफ्ट ड्रिकं कन्सन्ट्रटे बेचते हैं ।
खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां और खाद्य अनुसंधान प्रयोगशालाएं, खाद्य थोक विक्रेता, अस्पताल, खानपान संस्थापनाएं, रिटेलर, रेस्तरां आदि गृह विज्ञान में डिग्री रखने वालों और खाद्य प्राद्योगिकी, आहार या खाद्य सेवा प्रबंधन में विशेषज्ञता धारी उम्मीदवारों को रोजगार के अवसर देते हैं। बैक्टीरियालोजिस्ट, टोक्सिकालोजिस्ट तथा पैकेजिंग प्रौद्योगिकी, कार्बनिक रसायन विज्ञान, जैव रसायन विज्ञान एवं विश्लेषिक रसायन विज्ञान में प्रशिक्षित व्यक्ति खाद्य प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाओं या गुणवत्ता नियत्रंण विभागों में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं। इस उद्योग में बेकरी, मीट, कुक्कटु पालन, ट्रीमर्स तथा फिश कटर्स, स्लॉटरर्स, मीट पेकर्स, फूड बैच मेकर्स, फूड मेकिंग मशीन ऑपरेटर्स तथा टेंडर्स, खाद्य एवं तम्बाकू रोस्टिंग, बेकिंग एवं ड्राइंग मशीन ऑपरेटर्स एवं टेंडर्स आदि रोजगार शामिल हैं ।
जो अपना निजी कार्य चलाना चाहते हैं, उनके लिए डिलीवरी नेटवर्क के रूप में स्व-रोजगार के अवसर भी विद्यमान हैं ।
विभिन्न खाद्य उत्पादों के विनिर्माण या उत्पादन, परिरक्षण एवं पैकेजिंग, प्रसंस्करण तथा डिब्बाबंदी के लिए इस उद्योग में खाद्य प्रौद्योगिकिविदों, तकनीशियनों, जैव प्रौद्योगिकीविदों तथा इंजीनियरों की आवश्यकता होती है। खाद्य प्रसंस्करण के लिए कच्चा माल तैयार करने की आवश्यकता होती है, जिसमें कच्चे माल का चयन या सफाई और उसके बाद उसका वास्तविक प्रसंस्करण करना शामिल है। प्रसंस्करण का कार्य कच्चे माल को काट कर, ब्लेंच करके, पीस कर या मिला कर अथवा पका कर किया जाता है। खाद्य उत्पादों को स्वास्थ्यवर्धक तथा गुणवत्ता पूर्ण बनाए रखने के लिए उनमें परिरक्षण सामग्री को मिलाया जाना और डिब्बाबंद करना आवश्यक होता है ।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कार्य के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों की आवश्यकता होती है:-
• यह निर्धारित करने के लिए कि क्या कोई विशेष प्रक्रिया एक निर्दिष्ट रूप में निष्पादित की जा रही है या नहीं ।
• खाद्य परिरक्षण, संरक्षण एवं प्रसंस्करण के लिए नए तरीके विकसित करने तथा पुराने तरीकों में सुधार लाने के लिए ।
• संसाधित किए जाने वाले खाद्य उत्पादों में संदूषण, मिलावट की जांच करने और उनके पोषण-मूल्यों पर नियंत्रण रखने के लिए ।
• बाजार में भेजे जाने वाले खाद्य-उत्पादों के लिए सयंत्र तथा खाद्य में उपयोग में लाई जाने वाली कच्ची सामग्रियों की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए ।
• भडांरण स्थितियों तथा स्वास्थ्य विज्ञान पर निगरानी रखने के लिए ।
कॉर्बनिक रसायन विज्ञानी: उन पद्धतियों पर परामर्श देते हैं जिनके द्वारा कच्ची सामग्रियों को संसाधित खाद्य में परिवर्तित किया जाता है ।
जैव रसायन विज्ञानी: स्वाद, संरचना, भंडारण एवं गुणवत्ता में सुधार लाने संबंधी सुझाव देते हैं ।
विश्लेषिक रसायन विज्ञानी: खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उनका विश्लेषण करते हैं ।
गृह अर्थशास्त्री: आहार विज्ञान तथा पोषण विशेषज्ञ होते हैं और कंटनेर्स के विनिर्देशों के अनुसार वे खाद्य तथा नुस्खों की जाचं करते हैं ।
इंजीनियर: प्रसंस्करण प्रणालियों के नियोजन, डिजाइन, सुधार एवं रखरखाव के लिए रासायनिक, यांत्रिक, औद्योगिक, वैद्युत कृषि एवं सिविल इंजीनियरों की भी आवश्यकता होती है ।
अनुसंधान वैज्ञानिक: डिब्बाबदं खाद्य के गुण स्वाद, पोषक मूल्यों तथा सामान्य रूप से उसकी स्वीकार्यता में सुधार लाने के लिए प्रयागे करते हैं ।
प्रबंधक एवं लेखाकार: प्रसंस्करण कार्य के पर्यवेक्षण कार्य के अतिरिक्त प्रशासन एवं वित्त-प्रबंधन का कार्य करते हैं ।
ये ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने और कंपनी के लाभपूर्ण तथा कुशल विपणन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उत्पादन की संकल्पना से लेकर उन्हें अंतिम रूप देने की दृष्टि से नए तथा नवप्रवर्तित उत्पादों के विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं ।
कन्फेक्शनरी : तैयार किए जाने वाले उत्पाद के बारे में संकल्पना व अनुभव होना चाहिए और मशीनों के बारे में कुछ तकनीकी ज्ञान होना चाहिए ।
सहायक महाप्रबंधक/वरिष्ठ प्रबंधक-खाद्य प्रसंस्करण: फल एवं सब्जी प्रसंस्करण एकक स्थापित करने के लिए उच्च इंजीनियरी तकनीकों को प्रयोग में लाते हैं और ऐसे विषय क्षेत्र के अंतर्गत उसका विश्लेषण करते हैं जिसमें न्यूनतम पर्यवेक्षण के साथ विकास, डिजाइन, नवप्रवर्तन तथा प्रवीणता आवश्यक होती है ।
खाध्य उद्योग में अपेक्षित व्यक्तिगत गुण: श्रमशीलता, सतर्कता, संगठनात्मक क्षमताएं, विशेष रूप से स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में बुद्धिमानी एवं परिश्रम तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम देश के विभिन्न भागों में कई ऐसे खाद्य एवं आहार विस्तार केंद्र हैं जो फलों एवं सब्जियों के गृह आधारित परिरक्षण, बेकरी एवं कन्फेक्शनरी मदें राइस-मिलिगं, तिलहन प्रसंस्करण तथा ऐसे ही अन्य अल्प-कालीन पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण देते हैं ।
भारत में कुछ विश्वविद्यालय खाद्य प्रौद्योगिकी एवं खाद्य विज्ञान में डिग्री पाठ्यक्रम चलाते हैं। कुछ ऐसे संस्थान भी हैं जो खाद्य प्रसंस्करण के विशेषज्ञता पूर्ण पहलुओं में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाते हैं। 10+2 स्तर पर भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित (पी.सी.एम.) या भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान (पी.सी.बी) के उम्मीदवारों को खाद्य प्रौद्योगिकी, खाद्य विज्ञान तथा गृह विज्ञान में अधिस्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश दिया जाता है। खाद्य प्रौद्योगिकिविदों के पास स्नातक/ स्नातकोत्तर डिग्रियां होती हैं। ये डिग्रियां भारत में स्थित विभिन्न संस्थानों द्वारा चलाई जाती हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों में खाद्य एवं आहार, गृह विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी तथा जैव प्रौद्योगिकी में भी एम.एस.सी. एवं पी.एच.डी पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। खाद्य प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में उपलब्ध विभिन्न कार्यक्रमों में बी.टेक., बी.एस.सी., एम.टेक, एम.एससी. और पीएच.डी शामिल हैं। खाद्य प्रौद्योगिकी में बी.टेक., बी.एससी. के लिए पात्रता मानदण्ड में विज्ञान के साथ 10+2 या समकक्ष शामिल है। यह चार/तीन-वर्षीय पूर्णकालिक पाठ्यक्रम हैं। खाद्य प्रौद्योगिकी में एम.एससी करने के इच्छुक उम्मीदवारों के पास रसायन विज्ञान के साथ विज्ञान में स्नातक डिग्री होनी चाहिए। यह एम.एससी. पाठ्यक्रम दो वर्षीय पूर्णकालिक पाठ्यक्रम है। एम.एससी. पूरी करने के बाद, उम्मीदवार खाद्य प्रसंस्करण इंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी में पी.एचडी कार्यक्रम कर सकता है। बी.टेक डिग्री वाले उम्मीदवार खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी में एम.टेक. पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं, जिसकी अवधि दो वर्ष होती है। खाद्य प्रौद्योगिकीविदों की चुनौतियों में, व्यक्तियों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली खाद्य मदों की किस्मों में वृद्धि करना और उनकी गुणवत्ता तथा पोषक मूल्यों में सुधार लाना और साथ ही साथ कुशल निर्माण के माध्यम से इन्हें वहन योग्य स्थिति में बनाए रखना भी शामिल है ।
कारुण्य विश्वविद्यालय, कोयम्बत्तूर- 641114 खाद्य प्रसंस्करण इंजीनियरी में बी.टेक. एवं एम.टेक कराता है ।
एम.एस. विश्वविद्यालय, वड़ोदरा, गुजरात ।
केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर ।
कृषि विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश ।
फल प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ ।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, बंगलौर ।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ।
इग्नू (आई.जी.एन.ओ.यू) खाद्य तथा आहार में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाता है ।
एस.आर.एम. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान-प्रौद्योगिकी स्नातक (बी.टेक ) ।
खाद्य एवं प्रसंस्करण इंजीनियरी ।
अन्ना-विश्वविद्यालय, चेन्नै -प्रौद्योगिकी स्नातक (बी.टेक) खाद्य प्रौद्योगिकी ।
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली-110007।
गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, सरदार कृषि नगर-385506।
कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड- 580005।
मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर-570005।
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, प्रियदर्शिनी हिल्स डाकघर, कोट्टयम-686560।
चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, जिला- सतना-485331।
डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद-431004।
बंबई विश्वविद्यालय, फार्टे, मुबंई-400032।
एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, 1, नाथीबाई ठाकरसे रोड, मुंबई-400020।
लक्ष्मी नारायण प्रौद्योगिकी संस्थान, महात्मा गांधी मार्ग, नागपुर-440010।
मणिपुर विश्वविद्यालय, इम्फाल-795003।
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर- 143005।
मद्रास विश्वविद्यालय, मद्रास-600005।
अविनाशीलिगं म महिला गृह विज्ञान एवं उच्चतर शिक्षा संस्थान, काये म्बत्तूर-641043।
जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, पंतनगर-263145।
हारकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर-208002।
कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता- 700073, पश्चिम बंगाल।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खडगपुर, कृषि इंजीनियरी विभाग, खडगपुर-721302।
(यह सूची उदाहरण मात्र है)
(डॉ. पी उमा देवेवी एवं डॉ. एस. मुरुगन, जैव प्रौद्योगिकी विद्यालय, कारुण्य विश्वविद्यालय, कोयम्बत्तूर-641114, ई-मेल आईडी: umadevipongiya@rediffmail.com)
आज भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्यागे उपभोक्ता-खाद्य उद्यागे के रूप में गति पकड़ रहा है। एक रिपार्टे के अनुसार देशों में प्रसंसाधित एवं डिब्बाबदं खाद्य के लगभग 300 मिलियन उच्च वगीर्य तथा मध्यम वर्गीय उपभोक्ता हैं और अन्य 200 मिलियन उपभोक्ताओं के इनमें शामिल होने की संभावना है। पूरे देश में 500 खाद्य स्थल स्थापित करने की योजना है। इससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास को और बल मिलेगा व इस कार्य के प्रति अभिरुचि रखने वालो के लिए रोजगार के व्यापक अवसर सृजित होंगे खाद्य सामगिय्रों को उद्यागे एवं सरकार की विनिर्दिष्टियों के अनुसार संसाधित, परिरक्षित एवं डिब्बाबदं किया जाता है और रखा जाता है। आज खाद्य प्रसंस्करण उद्यागे का भारत के उद्योगों में पांचवा स्थान है ।
भारतीय खाद्य निगम, जो खाद्यान्न तथा अन्य खाद्य मदों के क्रय, भंडारण, परिवहन एवं वितरण का कार्य करता है, व्यक्तियों की एक बडी़ संख्या को रोजगार देता है। निजी उद्यम ब्रडे , फलों का जूस खाद्य तेल एवं सॉफ्ट ड्रिकं कन्सन्ट्रटे बेचते हैं ।
खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां और खाद्य अनुसंधान प्रयोगशालाएं, खाद्य थोक विक्रेता, अस्पताल, खानपान संस्थापनाएं, रिटेलर, रेस्तरां आदि गृह विज्ञान में डिग्री रखने वालों और खाद्य प्राद्योगिकी, आहार या खाद्य सेवा प्रबंधन में विशेषज्ञता धारी उम्मीदवारों को रोजगार के अवसर देते हैं। बैक्टीरियालोजिस्ट, टोक्सिकालोजिस्ट तथा पैकेजिंग प्रौद्योगिकी, कार्बनिक रसायन विज्ञान, जैव रसायन विज्ञान एवं विश्लेषिक रसायन विज्ञान में प्रशिक्षित व्यक्ति खाद्य प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाओं या गुणवत्ता नियत्रंण विभागों में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं। इस उद्योग में बेकरी, मीट, कुक्कटु पालन, ट्रीमर्स तथा फिश कटर्स, स्लॉटरर्स, मीट पेकर्स, फूड बैच मेकर्स, फूड मेकिंग मशीन ऑपरेटर्स तथा टेंडर्स, खाद्य एवं तम्बाकू रोस्टिंग, बेकिंग एवं ड्राइंग मशीन ऑपरेटर्स एवं टेंडर्स आदि रोजगार शामिल हैं ।
स्व-रोजगार के अवसर:
जो अपना निजी कार्य चलाना चाहते हैं, उनके लिए डिलीवरी नेटवर्क के रूप में स्व-रोजगार के अवसर भी विद्यमान हैं ।
विभिन्न खाद्य उत्पादों के विनिर्माण या उत्पादन, परिरक्षण एवं पैकेजिंग, प्रसंस्करण तथा डिब्बाबंदी के लिए इस उद्योग में खाद्य प्रौद्योगिकिविदों, तकनीशियनों, जैव प्रौद्योगिकीविदों तथा इंजीनियरों की आवश्यकता होती है। खाद्य प्रसंस्करण के लिए कच्चा माल तैयार करने की आवश्यकता होती है, जिसमें कच्चे माल का चयन या सफाई और उसके बाद उसका वास्तविक प्रसंस्करण करना शामिल है। प्रसंस्करण का कार्य कच्चे माल को काट कर, ब्लेंच करके, पीस कर या मिला कर अथवा पका कर किया जाता है। खाद्य उत्पादों को स्वास्थ्यवर्धक तथा गुणवत्ता पूर्ण बनाए रखने के लिए उनमें परिरक्षण सामग्री को मिलाया जाना और डिब्बाबंद करना आवश्यक होता है ।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कार्य के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों की आवश्यकता होती है:-
खाद्य प्रौध्योगिकीविद् :
• यह निर्धारित करने के लिए कि क्या कोई विशेष प्रक्रिया एक निर्दिष्ट रूप में निष्पादित की जा रही है या नहीं ।
• खाद्य परिरक्षण, संरक्षण एवं प्रसंस्करण के लिए नए तरीके विकसित करने तथा पुराने तरीकों में सुधार लाने के लिए ।
• संसाधित किए जाने वाले खाद्य उत्पादों में संदूषण, मिलावट की जांच करने और उनके पोषण-मूल्यों पर नियंत्रण रखने के लिए ।
• बाजार में भेजे जाने वाले खाद्य-उत्पादों के लिए सयंत्र तथा खाद्य में उपयोग में लाई जाने वाली कच्ची सामग्रियों की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए ।
• भडांरण स्थितियों तथा स्वास्थ्य विज्ञान पर निगरानी रखने के लिए ।
कॉर्बनिक रसायन विज्ञानी: उन पद्धतियों पर परामर्श देते हैं जिनके द्वारा कच्ची सामग्रियों को संसाधित खाद्य में परिवर्तित किया जाता है ।
जैव रसायन विज्ञानी: स्वाद, संरचना, भंडारण एवं गुणवत्ता में सुधार लाने संबंधी सुझाव देते हैं ।
विश्लेषिक रसायन विज्ञानी: खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उनका विश्लेषण करते हैं ।
गृह अर्थशास्त्री: आहार विज्ञान तथा पोषण विशेषज्ञ होते हैं और कंटनेर्स के विनिर्देशों के अनुसार वे खाद्य तथा नुस्खों की जाचं करते हैं ।
इंजीनियर: प्रसंस्करण प्रणालियों के नियोजन, डिजाइन, सुधार एवं रखरखाव के लिए रासायनिक, यांत्रिक, औद्योगिक, वैद्युत कृषि एवं सिविल इंजीनियरों की भी आवश्यकता होती है ।
अनुसंधान वैज्ञानिक: डिब्बाबदं खाद्य के गुण स्वाद, पोषक मूल्यों तथा सामान्य रूप से उसकी स्वीकार्यता में सुधार लाने के लिए प्रयागे करते हैं ।
प्रबंधक एवं लेखाकार: प्रसंस्करण कार्य के पर्यवेक्षण कार्य के अतिरिक्त प्रशासन एवं वित्त-प्रबंधन का कार्य करते हैं ।
खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र में वरिष्ठ खाद्य प्रौद्योगिकीविद् एवं प्रधान अभियंताः
ये ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने और कंपनी के लाभपूर्ण तथा कुशल विपणन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उत्पादन की संकल्पना से लेकर उन्हें अंतिम रूप देने की दृष्टि से नए तथा नवप्रवर्तित उत्पादों के विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं ।
उत्पादन प्रबंधक:
कन्फेक्शनरी : तैयार किए जाने वाले उत्पाद के बारे में संकल्पना व अनुभव होना चाहिए और मशीनों के बारे में कुछ तकनीकी ज्ञान होना चाहिए ।
सहायक महाप्रबंधक/वरिष्ठ प्रबंधक-खाद्य प्रसंस्करण: फल एवं सब्जी प्रसंस्करण एकक स्थापित करने के लिए उच्च इंजीनियरी तकनीकों को प्रयोग में लाते हैं और ऐसे विषय क्षेत्र के अंतर्गत उसका विश्लेषण करते हैं जिसमें न्यूनतम पर्यवेक्षण के साथ विकास, डिजाइन, नवप्रवर्तन तथा प्रवीणता आवश्यक होती है ।
खाध्य उद्योग में अपेक्षित व्यक्तिगत गुण: श्रमशीलता, सतर्कता, संगठनात्मक क्षमताएं, विशेष रूप से स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में बुद्धिमानी एवं परिश्रम तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम देश के विभिन्न भागों में कई ऐसे खाद्य एवं आहार विस्तार केंद्र हैं जो फलों एवं सब्जियों के गृह आधारित परिरक्षण, बेकरी एवं कन्फेक्शनरी मदें राइस-मिलिगं, तिलहन प्रसंस्करण तथा ऐसे ही अन्य अल्प-कालीन पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण देते हैं ।
भारत में कुछ विश्वविद्यालय खाद्य प्रौद्योगिकी एवं खाद्य विज्ञान में डिग्री पाठ्यक्रम चलाते हैं। कुछ ऐसे संस्थान भी हैं जो खाद्य प्रसंस्करण के विशेषज्ञता पूर्ण पहलुओं में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाते हैं। 10+2 स्तर पर भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित (पी.सी.एम.) या भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान (पी.सी.बी) के उम्मीदवारों को खाद्य प्रौद्योगिकी, खाद्य विज्ञान तथा गृह विज्ञान में अधिस्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश दिया जाता है। खाद्य प्रौद्योगिकिविदों के पास स्नातक/ स्नातकोत्तर डिग्रियां होती हैं। ये डिग्रियां भारत में स्थित विभिन्न संस्थानों द्वारा चलाई जाती हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों में खाद्य एवं आहार, गृह विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी तथा जैव प्रौद्योगिकी में भी एम.एस.सी. एवं पी.एच.डी पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। खाद्य प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में उपलब्ध विभिन्न कार्यक्रमों में बी.टेक., बी.एस.सी., एम.टेक, एम.एससी. और पीएच.डी शामिल हैं। खाद्य प्रौद्योगिकी में बी.टेक., बी.एससी. के लिए पात्रता मानदण्ड में विज्ञान के साथ 10+2 या समकक्ष शामिल है। यह चार/तीन-वर्षीय पूर्णकालिक पाठ्यक्रम हैं। खाद्य प्रौद्योगिकी में एम.एससी करने के इच्छुक उम्मीदवारों के पास रसायन विज्ञान के साथ विज्ञान में स्नातक डिग्री होनी चाहिए। यह एम.एससी. पाठ्यक्रम दो वर्षीय पूर्णकालिक पाठ्यक्रम है। एम.एससी. पूरी करने के बाद, उम्मीदवार खाद्य प्रसंस्करण इंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी में पी.एचडी कार्यक्रम कर सकता है। बी.टेक डिग्री वाले उम्मीदवार खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी में एम.टेक. पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं, जिसकी अवधि दो वर्ष होती है। खाद्य प्रौद्योगिकीविदों की चुनौतियों में, व्यक्तियों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली खाद्य मदों की किस्मों में वृद्धि करना और उनकी गुणवत्ता तथा पोषक मूल्यों में सुधार लाना और साथ ही साथ कुशल निर्माण के माध्यम से इन्हें वहन योग्य स्थिति में बनाए रखना भी शामिल है ।
खाध्य प्रसंस्करण इंजीनियरी एवं प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थान
कारुण्य विश्वविद्यालय, कोयम्बत्तूर- 641114 खाद्य प्रसंस्करण इंजीनियरी में बी.टेक. एवं एम.टेक कराता है ।
एम.एस. विश्वविद्यालय, वड़ोदरा, गुजरात ।
केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर ।
कृषि विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश ।
फल प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ ।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, बंगलौर ।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ।
इग्नू (आई.जी.एन.ओ.यू) खाद्य तथा आहार में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाता है ।
एस.आर.एम. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान-प्रौद्योगिकी स्नातक (बी.टेक ) ।
खाद्य एवं प्रसंस्करण इंजीनियरी ।
अन्ना-विश्वविद्यालय, चेन्नै -प्रौद्योगिकी स्नातक (बी.टेक) खाद्य प्रौद्योगिकी ।
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली-110007।
गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, सरदार कृषि नगर-385506।
कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड- 580005।
मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर-570005।
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, प्रियदर्शिनी हिल्स डाकघर, कोट्टयम-686560।
चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, जिला- सतना-485331।
डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद-431004।
बंबई विश्वविद्यालय, फार्टे, मुबंई-400032।
एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, 1, नाथीबाई ठाकरसे रोड, मुंबई-400020।
लक्ष्मी नारायण प्रौद्योगिकी संस्थान, महात्मा गांधी मार्ग, नागपुर-440010।
मणिपुर विश्वविद्यालय, इम्फाल-795003।
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर- 143005।
मद्रास विश्वविद्यालय, मद्रास-600005।
अविनाशीलिगं म महिला गृह विज्ञान एवं उच्चतर शिक्षा संस्थान, काये म्बत्तूर-641043।
जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, पंतनगर-263145।
हारकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर-208002।
कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता- 700073, पश्चिम बंगाल।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खडगपुर, कृषि इंजीनियरी विभाग, खडगपुर-721302।
(यह सूची उदाहरण मात्र है)
(डॉ. पी उमा देवेवी एवं डॉ. एस. मुरुगन, जैव प्रौद्योगिकी विद्यालय, कारुण्य विश्वविद्यालय, कोयम्बत्तूर-641114, ई-मेल आईडी: umadevipongiya@rediffmail.com)