खंभात

Submitted by Hindi on Tue, 08/09/2011 - 08:45
खंभात गुजरात राज्य में खंबात की खाड़ी के उत्तर में, माही नदी के मुहाने पर स्थित एक प्राचीन नगर (स्थिति : 220 18’ उ. अ. और 720 39’ पू. दे.)। टॉलमी नामक विद्वान ने भी इसका उल्लेख किया है। प्रथम शती में यह महत्वपूर्ण सागर पत्तन था। 15वीं शताब्दी में खंभात पश्चिमी भारत के हिंदू राजा की राजधानी था। जेनरल गेडार्ड ने 1700 ई. में इस नगर को अधिकृत कर लिया थ, किंतु 1783 ई. में यह पुन: मराठों को लौटा दिया गया। 1803 ई. के बाद से यह अंग्रेजी राज्य के अंतर्गत रहा। नगर के दक्षिण-पूर्व में प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावशेष विस्तृत प्रदेश में मिलते हैं।

प्राचीन काल में रेशम, सोने का समान और छींट यहाँ के प्रमुख व्यापार थे। कपास प्रधान निर्यात थी। किंतु नदियों के निक्षेपन से पत्तन पर पानी छिछला होता गया और अब यह जलयानों के रुकने योग्य नहीं रहा। फलत: निकटवर्ती नगरों का व्यापारिक महत्व खंभात की अपेक्षा अधिक बढ़ गया और अब यह एक नगर मात्र रह गया है।

खंभात की खाड़ी गुजरात और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य में स्थित है। इस खाड़ी में तृतीयक (Tertiary) युग के निक्षेप मिलते हैं। भूगर्भिक क्रियाओं का प्रभाव इस क्षेत्र पर रहा है, अत: यहाँ अनेक भ्रंश (Faults) पाए जाते हैं। बाद के युग में यह क्षेत्र ऊपर की ओर उठ गया। तटीय क्षेत्र में नदियों की पुरानी घाटियाँ तथा झीलें आज भी दृष्टीगत होती हैं। नर्मदा, ताप्ती, माही, साबरमती तथा काठियावाड की अन्य नदियों के वेगवान निक्षेपण के कारण विस्तृत तटीय क्षेत्र दलदल से परिपूर्ण हो गए हैं और खाड़ी के बीच कुछ द्वीप बन गए हैं। हाल में हुई खोज के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में मिट्टी के तेल के कई स्रोत मिले हैं। अनुमान है कि इस क्षेत्र में मिट्टी के तेल का विशाल भांडार निहित है। (प्रमिला वर्मा)

खंभावती भारतीय संगीत की एक रागिनी जिसका लक्षण इस प्रकार बताया गया है----------

धैवतांशग्रहन्यासा षाडवा त्यक्तपंचमा ।

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