दक्षिण भारत में प्रवाहित कृतमाला नदी का उद्गम मलय पर्वत पर हुआ है। इस नदी के तट पर तपस्यारत राजा सत्यव्रत को प्रसन्न करने के लिए भगवान मत्स्य प्रथम बार इसी नदी से प्रकट हुए थे। दक्षिण भारत का पावन नगर मदुरई इसी के तट पर बसा है जो दक्षिण भारत का मथुरा कहा जाता है। 29 गोपुरम वाला विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर यहीं पर स्थित है। इन्द्र को ब्रह्म हत्या के पाप से इसी नदी में स्नान करने पर मुक्ति मिली थी। कृतमाला के तट पर दूसरा दिव्य मंदिर सुन्देश्वर का है जिसे पृष्ठभूमि में लेकर नीलकंठ ने “शिवलीलार्णव” नामक सुंदर ग्रंथ की रचना की है। कहा जाता है कि पाण्डु नरेश की तपस्या से प्रसन्न हो कर पार्वती उन्हें पुत्री के रूप में प्राप्त हुई थी। पाण्डु नरेश के निधन के बाद रानी कांचनमाला ने पार्वती रूपा मीनाक्षी का विवाह सुंदरेश्वर से किया था। मत्स्य पुराण में इसका उल्लेख सर्वाधिक रूप से हुआ है।
Hindi Title
कृतमाला नदी
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
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