लेह बाढ़

Submitted by admin on Tue, 08/10/2010 - 12:00
पानी में बह कर कहीं पहुंचने की उम्मीद रहती है, कीचड़ में हाथ-पांव मारने की भी गुंजाइश नहीं रहती। कीचड़ हवा के सारे रास्ते सील कर देती है। वह व्यक्ति को सांस भी नहीं लेने देती है। इससे अनुमान लगाना आसान होगा कि लद्दाख की त्रासदी किसी आम बाढ़ की त्रासदी से कई गुना अधिक घातक और दर्दनाक है