लहटन चौधरी ने भी पुनर्वास की बात उठाई

Submitted by Hindi on Wed, 09/05/2012 - 10:39
Author
डॉ. दिनेश कुमार मिश्र
Source
डॉ. दिनेश कुमार मिश्र की पुस्तक 'दुइ पाटन के बीच में'
1957 के आम चुनाव का गुबार जब ठंडा पड़ा तब नेताओं में कोसी तटबन्ध के पीड़ितों के बीच थोड़ी सहानुभूति जगी। इन लोगों की पीड़ा को देखते हुये लहटन चौधरी (1957) ने बहुत सी अन्य बातों के साथ इस बात का सुझाव दिया कि,

(1) अविलम्ब सरकार को घोषणा द्वारा इस बात को स्पष्ट कर देना चाहिये कि सारी जवाबदेही उसकी होगी और वह समुचित प्रबन्ध करेगी।
(2) पर्याप्त संख्या में सर्वे पार्टियों में जाकर हर परिवार के निवास एवं खेती बारी आदि के सम्बन्ध में पूरा आंकड़ा तैयार करवा लिया जाना चाहिये ताकि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें हर तरह से उचित मुआवजा दिया जा सके। यह कार्य जून के पहले ही समाप्त कर लेना चाहिये नहीं तो बाढ़ आ जाने पर यह असम्भव हो जायेगा और हर बाढ़ के बाद जमीन की हैसियत बदल जाने की संभावना रहती है।
(3) इस बात का पता लगाना चाहिये कि किन-किन गाँवों में हालत तुरन्त बिगड़ सकती है। ऐसे गाँवों के पुनर्वास का प्रबन्ध बाढ़ के पहले ही हो जाना चाहिये तथा लोगों को इसकी सूचना दे दी जानी चाहिये।
(4) जो लोग निकलना नहीं चाहें अथवा जिनका निकलना सरकार जरूरी नहीं समझती, ऐसे मध्यवर्ती लोगों के ऊपर के सरकारी कर्ज, मालगुजारी, चैकीदारी टैक्स आदि में आवश्यक छूट देने एवं बाढ़ के वक्त समुचित सहायता पहुँचाने के लिए एक अलग अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिये ताकि इन कामों में अनावश्यक विलम्ब न होने पाये।”