महाराष्ट्र

Submitted by Hindi on Sat, 08/27/2011 - 16:20
महाराष्ट्र स्थिति : 15 45' से 22 5' उo अo तथा 72 5' से 80 55' पूo देo। यह भारत का एक नवीन राज्य है, जिसका आविर्भाव 1 मई, 1960 ईo को बंबई राज्य के गुजरात और महाराष्ट्र में बँट जाने से हुआ। यह मुख्य रूप से मराठीभाषी राज्य है, जिसमें विदर्भ प्रदेश सम्मिलित है। पूर्व बंबई राज्य के 26 जिले इसमें हैं। इसका क्षेत्रफल 1,18,717 वर्ग मील है। क्षेत्रफल के आधार पर इसका स्थान भारत के राज्यों में तीसरा है। इस राज्य के पश्चिम मे अरब सागर, उत्तर-पश्चिम में गुजरात, उत्तर में मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में आंध्र प्रदेश तथा दक्षिण में मैसूर एवं गोआ हैं।

प्राकृतिक दशाएँ -


सामान्यतया प्राकृतिक बनावट के आधार पर इसे तीन भागों में विभक्त किया जाता है : (1) पश्चिमी समुद्रतटीय भाग, (2) मध्यवर्ती पहाड़ी भाग तथा (3) पूर्वी पठारी भाग। समुद्रतटीय भग, जिसको कोंकण भी कहते हैं, उत्तर में दमण से दक्षिण में वेनगुर्ला तक लगभग 560 किमीo की लंबाई में फैला हुआ है, जिसकी चौड़ाई कहीं भी 100 किमीo से अधिक नहीं है। इसका निर्माण पश्चिमी घाट से निकलनेवाली उल्हास एवं वैतरणी आदि नदियों के द्वारा हुआ है। अरबसागर की ओर बलुई मिट्टी, बीच में उपजाऊ दुमट मिट्टी एवं पूर्व की ओर कुछ ऊँची भूमि है। मध्यवर्ती पहाड़ी भाग, उत्तर में ताप्ती नदी की घाटी से दक्षिण में मैसूर राज्य की सीमा तक तटीय प्रदेश के समांतर फैला हुआ है। उत्तर में पश्चिमी घाट की इन श्रृंखलाओं को सह्याद्रि पहाड़ियाँ कहते हैं। इन पहाड़ियों की ढाल पश्चिम की ओर अधिक तीव्र है। सर्वोच्च चोटी, काल्सूबाई, की ऊँचाई 1,646 मीटर है। बालघाट तथा भोरघाट नाम के दो पहाड़ी दर्रें हैं, जिनसे होकर रेलमार्ग जाते हैं। पूर्वी पठारी भाग दकन के पठारी भाग का ही अंश है, जिसके बीच से होकर ताप्ती नदी बहती है। दक्षिण-पूर्वी भाग में पश्चिमी घाट से गोदावरी, भीमा, वर्धा, वेनगंगा एवं पूर्णा आदि अनेक नदियाँ निकलकर पूर्व की ओर बहती हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र को अनेक भागों में बाँट दिया है। उत्तर में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ पूर्व से पश्चिम की ओर फैली हुई हैं। नासिक के पूर्व की ओर सातमाला तथा बालाघाट पहाड़ियाँ मिलती हैं। दकन पठार की मिट्टी काली है, जिसका निर्माण लावा से हुआ है।

जलवायु -


इस राज्य की जलवायु गरम तथा तर है। तटीय भाग का ताप आंतरिक भाग की अपेक्षा कम है। वर्षा मुख्यतया ग्रीष्म ऋतु में होती है, जिसकी मात्रा तटीय भाग में अंदर के वृष्टिछाया प्रदेश से अधिक है। वृष्टिछाया प्रदेश की वार्षिक वर्षा 50 सेंमीo के लगभग है। नागपुर में अवश्य यह 115 सेंमीo के लगभग है। पश्चिमी घाट के पश्चिम में वर्षा 100 सेंमीo से लेकर दक्षिण में 300 सेंमीo तक होती है। कहीं कहीं इसकी मात्रा 375 सेंमीo तक है।

प्राकृतिक वनस्पति -


यहाँ प्राकृतिक वनस्पति का भी बाहुल्य है। राज्य की 17.4 प्रतिशत भूमि वनाच्छादित है। सम्रद के निकट रेतीले भाग में नारियल के कुंज, पश्चिमी घाट के पहाड़ी भाग में मिश्रित वन एवं वृष्टिछाया प्रदेश में कँटीले वृक्षोंवाली शुष्क वनस्पति पाई जाती है, जिसमें बबूल, खैर आदि मिलते हैं। मानसूनी वनों में चंदन, हल्दू एवं सागौन आदि के पेड़ मिलते हैं।

कृषि -


कृषि के अंतर्गत राज्य की लगभग 58 प्रति शत भूमि है एवं 64 प्रतिशत जनसंख्या इसमें लगी है। कपास एवं तिलहन मुख्य व्यावसायिक फसलें हैं। इनके अतिरिक्त गेहूँ, चना, ज्वार, बाजरा, गन्ना, धान, तंबाकू आदि भी उत्पन्न होते हैं। आम, काजू, संतरा एवं केला आदि फल भी उपजते हैं। सिंचाई तालाबों तथा नहरों से होती है।

खनिज संपत्ति -


यह राज्य खनिज संपत्ति में धनी है। भंडारा एवं नागपुर जिलों में मैंगनीज़; चाँदा, नागपुर एवं यवतमाल आदि जिलों में कोयला; रत्नगिरि, चाँदा, नागपुर, भंडारा आदि जिलों में लोहा; कोल्हापुर, कोलाबा, सामली, रत्नगिरि एवं थाना आदि जिलों में बौक्साइट; यवतमाल एवं चाँदा जिलों के विंध्य शैलों में चूना; रत्नगिरि एवं भंडारा जिलों में क्रोमाइट और रत्नगिरि में काच एवं सिलिका बालू मिलता है। समुद्रतट के निकट नमक एवं अन्य क्षेत्रों में हल्मेनाइट तथा यूरेनियम के भंडार भी पाए जाते हैं। खोपाली, भिवपुरी एवं भीरा शक्तिगृहों में बिजली तैयार की जाती है।

उद्योग -


यहाँ सूती वस्त्र, इंजीनियरिंग, रासायनिक द्रव्य, चीनी, वानस्पतिक पदार्थ, कागज एवं साबुन के मुख्य कारखाने हैं। राज्य में लगभग 8,036 कारखाने हैं, जिनमें लगभग सात लाख श्रमिक कार्य करते हैं। सबसे अधिक महत्वपूर्ण उद्योग सूती वस्त्रों का है, जिसकी 97 मिलों में से अधिकांश बंबई एवं पूना में हैं। चीनी की 26, कागज की 4, तथा रूई साफ करने एवं दबाने की लगभग 600 मिलें हैं। बंबई के निकट कल्याण में नकली रेशम बनाने की दो मिलें तथा बंबई एवं थाना में ऊनी कपड़े की मिलें हैं। ट्राँबे में तेल साफ करने के दो कारखाने तथा एक अणुशक्ति केंद्र हैं। थाना तथा बंबई आदि में कॉस्टिक सोडा, अम्ल, लवण आदि की मिले हैं।

व्यापार एवं यातायात के साधन -


यह राज्य कपास, तिलहन, कपड़ा, मैंगनीज, बौक्साइट, चमड़ा, तथा तंबाकू आदि का निर्यात करता है। यहाँ रेलवे लाइनों एवं सड़कों का अच्छा विकास हुआ है। इन साधनों के द्वारा यह बंबई, दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास आदि से जुड़ा हुआ है। बंबई, पूना एवं नागपुर आदि मुख्य रेलवे जंकशन हैं। सड़कों की लंबाई 1961 ईo में 39,941 किमीo थी। तट के निकट जल यातायात की भी सुविधाएँ हैं।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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