मक्का ग्रामिनी

Submitted by Hindi on Sat, 08/27/2011 - 13:55
मक्का ग्रामिनी (Gramineae) कुल की लंबी उगनेवाली एकवर्षी घास है। मध्य अमरीका के मक्सिको की यह देशज है। इसकी जड़ें तंतुवत्‌ झकड़ा प्रकार की होती हैं। तना मोटा, गोल तथा जातियों के अनुसार चार से 10 फुट तक लंबा होता है। पौधे में शाखाएँ नहीं होतीं। तने में पर्वसंधि मोटी एवं पर्व ठोस होते हैं। पत्तियाँ लंबी, रेखीय तथा चौड़ी होती हैं। यह एकलिंगपुष्पी पौधा है, जिसके नर मादा पुष्प एक ही पौधे के विभिन्न भागों पर होते हैं। नर पुष्प सिरे पर एक गुच्छे में होते हैं, जिन्हें झब्बा कहते हैं। तने के एक ओर से, पत्तियों के कक्ष से बालियाँ या भुट्टे निकलते हैं, जो एक से चार तक प्रति पौधे तक हो सकते हैं। इन बालियों में मादा कोशिकाएँ पाई जाती हैं, जिन्हें रजकण कहते हैं। ये एक लंबी कुक्षिनाल द्वारा जुड़ी होती हैं। यह वायु द्वारा निषेचित पौधा है। मक्के की खेती उत्तरी अमरीका में सब देशों से अधिक होती है। वहाँ लगभग आठ करोड़ एकड़ भूमि में आठ करोड़ टन मक्का पैदा होती है जब कि भारत के 87,62,000 एकड़ में 30,64,000 टन ही मक्का पैदा होती है।

मक्का का दाना गोल, चपटा, तश्तरी की भाँति तथा कई रंग का, जैसे पीला, लाल, नारंगी, बैंगनी तथा मक्खन सदृश सफेद होता है। भारत में वर्षा के प्रारंभ होने के साथ साथ खरीफ में अधिकतर स्फट (flint) मक्का बोया जाता है। मक्का अधिकतर उष्ण कटिबंध के प्रदेशों में ही बोया जाता है, परंतु शीत कटिबंध में भी उगनेवाली जातियाँ होती हैं। मक्का के लिये अधिक उपजाऊ, भली प्रकार जलोत्सरित तथा हल्की दोमट भूमि की आवश्यकता होती है। मक्का की निराई तथा गुड़ाई अति आवश्यक हैं। इसकी रोपाई नहीं की जा सकती। पौधों तथा पंक्तियों की दूरी विभिन्न जातियों पर निर्भर है। अमरीका में निम्नलिखित प्रकार के मक्कों की बहुत सी जातियों की कृषि की जाती है :

(1) पौड़ मक्का -


प्रत्येक गिरी (बीज तत्व) भूसी से घिरी होती है। बालियाँ (भुट्टे) आवरण में बंद रहती हैं, जैसा अन्य फसलों में होता है। (2) स्फट मक्का -- इसका भ्रूणपोष मंड (starch) युक्त होता है, जिसमें मुलायम मंड बाहर की ओर से कड़े मंड द्वारा घिरा रहता है। मुलायम तथा कड़े मंड की तायदाद विभिन्न जातियों में काफी भिन्न होती हैं। (3) पॉप मक्का -- इसके भ्रूणपोष में थोड़े अनुपात में ही केवल मुलायम मंड होता है। इसके दाने छोटे होते हैं। (4) डैंट मक्का -- इसमें कड़ा मंड बीज के किनारे पर ही पाया जाता है तथा मुलायम मंड चोटी तक फैला रहता है। (5) फ्लोर मक्का -- इसमें कड़े मंड की बिल्कुल कमी होती है। इस वर्ग का विशिष्ट गुण यह है कि मुलायम मंड अधिक मात्रा में पाया जाता है। (6) मीठा मक्का -- इस वर्ग का विशिष्ट गुण यह है कि इसकी गिरी कड़ी तथा अर्धपारदर्शक होती है तथा सूखने पर झुर्रीदार हो जाती है। इसमें बहुत कम मंडकरण पाए जाते हैं; और (7) मोमिया (waxy) मक्का -- इसमें भ्रूणपोष मोम जैसा पाया जाता है।

आजकल मक्का का उन्नतिशील बीज 'मक्का वर्णसंकर' बीज के नाम से उत्पन्न किया जाता है। इसे अंत:प्रजात वंशक्रम (inbred line) के संकरण (crossing) से तैयार किया जाता है। ये बीज बहुत अधिक पैदावार देते हैं।

उपयोग -


भारत में मनुष्यों के लिये यह प्रमुख खाद्य फसल है। आटा रोटी के लिये, हरे भुट्टे भूनकर खाने के लिये, सूखा दाना खील तथा सत्तू बनाने के लिये उपयोग में लाया जाता है। संयुक्त राज्य, अमरीका, तथा मेक्सिको में भिन्न भिन्न मक्के की जातियाँ विभिन्न कामों के लिये उपयोग में लाई जाती हैं, जैसे मीठा मक्का भूनने के लिये, पॉप मक्का खील बनाने के लिये। संयुक्तराज्य, अमरीका, में यह प्राय: जानवरों के खिलाने के काम में भी लाया जाता है।

मक्का का औद्योगिक उपयोग भी अधिक है। बहुत सी वस्तुएँ इससे बनाई जाती हैं, जैसे मंड, चासनी या शरबत, ऐल्कोहॉल (स्पिरिट), सिरका, ग्लूकोज़, कागज, रेयन, प्लास्टिक, कृत्रिम रबर, रेज़िन, पावर ऐल्कोहॉल आदि।

[राजेंद्रप्रसाद सिंह ]

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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