मंदसौर 1. जिला, स्थिति: 23 33श् से 25 19 उ0अ0 तथा 7411 से 75 54 पू0 दे0। भारत के मध्य प्रदेश राज्य में एक जिला है। इसके दक्षिण में रतलाम जिला तथा शेष सभी ओर राजस्थान राज्य पड़ता है। इसका क्षेत्रफल 3,966 वर्ग मील है।श् मंदसौर, नीमच तथा जावद प्रमुख नगर हैं। यहाँ काली मिट्टी पाई जाती है जिसमें कपास पैदा होती है।
2. नगर, स्थिति: 24उ0अ0 तथा 75 5 पू0 दे0। मंदसौर जिले में सिप्रा की सहायक सिउना नदी के किनारे स्थित है। यहाँ मुसलमानों की जनसंख्या अधिक है। अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 14वीं शती में बनवाया गया यहाँ एक किला है।
[रमेशचंद्र दुबे]
पहले यह ग्वालियर राज्य के अंतर्गत पड़ता था। इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से इसका विशेष महत्व है। इसका प्राचीन नाम दशपुर अर्थात् दस गाँवों का शहर था। नासिक से प्राप्त एक प्राचीन लेख में, जिसका समय ईसा की प्रारंभिक सदी है, इसका उल्लेख मिलता है। मंदसौर से प्राप्त एक ऐतिहासिक लेख से ज्ञात होता है कि यहाँ कुमारगुप्त प्रथम के राज्यकाल में एक सूर्यमंदिर की स्थापना की गई थी एवं 36 साल बाद 473 ई0 में इस मंदिर की मरम्मत की गई। मुसलमानी शासनकाल में मंदसौर की और भी उन्नति हुई। 14वीं शताब्दी के आरंभ में अलाउद्दीन खिलजी ने शहर के पूरब में एक दुर्ग का निर्माण करवाया। आगे चलकर मालवा के शासक हौसंग शाह (1405-1434) ने इस दुर्ग का विस्तार किया। इस शहर के बाहर एक बड़ा तालाब है जहाँ मुगल सम्राट् हुमायूँ ने गुजरात के बादशाह बहादुरशाह के विरूद्ध घेरा डालकर उसे पराजित किया था। सम्राट् अकबर ने जब मालवा पर आधिपत्य जमाया तब मंदसौर शहर को मालवा प्रदेश व मंदसौर सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र बनाया गया। 18वीं सदी में यह सिंधिया के आधिपत्य में आया। सन् 1812 में मालवा की संधि (अंग्रेजों और होलकर के मध्य) पर हस्ताक्षर मंदसौर में ही किया गया। सन् 1857 के विद्रोह में भी मंदसौर ने हिस्सा लिया था।
मंदसौर के तीन मील दक्षिण-पूरब में दो स्तंभ पाए गए हैं। उनमें से प्रत्येक एक एक पत्थर को तराश कर बनाया गया है। उनपर खुदे लेख से पता चलता है कि मालवा के राजा यशोधर्मा ने इसी जगह हूण सरदार मिहिरकुल को पराजित किया था। इस लेख का महत्व इस बात में भी है कि इससे गुप्त संवत् के प्रति खोज में सहायता मिलती है।[शांतिप्रकाश रोहतगी]
2. नगर, स्थिति: 24उ0अ0 तथा 75 5 पू0 दे0। मंदसौर जिले में सिप्रा की सहायक सिउना नदी के किनारे स्थित है। यहाँ मुसलमानों की जनसंख्या अधिक है। अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 14वीं शती में बनवाया गया यहाँ एक किला है।
[रमेशचंद्र दुबे]
इतिहास -
पहले यह ग्वालियर राज्य के अंतर्गत पड़ता था। इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से इसका विशेष महत्व है। इसका प्राचीन नाम दशपुर अर्थात् दस गाँवों का शहर था। नासिक से प्राप्त एक प्राचीन लेख में, जिसका समय ईसा की प्रारंभिक सदी है, इसका उल्लेख मिलता है। मंदसौर से प्राप्त एक ऐतिहासिक लेख से ज्ञात होता है कि यहाँ कुमारगुप्त प्रथम के राज्यकाल में एक सूर्यमंदिर की स्थापना की गई थी एवं 36 साल बाद 473 ई0 में इस मंदिर की मरम्मत की गई। मुसलमानी शासनकाल में मंदसौर की और भी उन्नति हुई। 14वीं शताब्दी के आरंभ में अलाउद्दीन खिलजी ने शहर के पूरब में एक दुर्ग का निर्माण करवाया। आगे चलकर मालवा के शासक हौसंग शाह (1405-1434) ने इस दुर्ग का विस्तार किया। इस शहर के बाहर एक बड़ा तालाब है जहाँ मुगल सम्राट् हुमायूँ ने गुजरात के बादशाह बहादुरशाह के विरूद्ध घेरा डालकर उसे पराजित किया था। सम्राट् अकबर ने जब मालवा पर आधिपत्य जमाया तब मंदसौर शहर को मालवा प्रदेश व मंदसौर सरकार का मुख्य प्रशासनिक केंद्र बनाया गया। 18वीं सदी में यह सिंधिया के आधिपत्य में आया। सन् 1812 में मालवा की संधि (अंग्रेजों और होलकर के मध्य) पर हस्ताक्षर मंदसौर में ही किया गया। सन् 1857 के विद्रोह में भी मंदसौर ने हिस्सा लिया था।
मंदसौर के तीन मील दक्षिण-पूरब में दो स्तंभ पाए गए हैं। उनमें से प्रत्येक एक एक पत्थर को तराश कर बनाया गया है। उनपर खुदे लेख से पता चलता है कि मालवा के राजा यशोधर्मा ने इसी जगह हूण सरदार मिहिरकुल को पराजित किया था। इस लेख का महत्व इस बात में भी है कि इससे गुप्त संवत् के प्रति खोज में सहायता मिलती है।[शांतिप्रकाश रोहतगी]
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संदर्भ
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