हिमाचल का दुर्गम क्षेत्र लद्दाख-चीन और तिब्बत की सीमाओं से सटी, स्पीती घाटी, पर्यटन के दृष्टिकोण से प्रकृति का एक अजूबा है। हिमालय की स्पीती घाटी जिसे बर्फीला रेगिस्तान कहा गया है अपने अप्रतिम सौंदर्य के अतिरिक्त विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है। सात-आठ माह तक बर्फ से ढकी रहने वाली यह घाटी अपने मुख्य आकर्षण-तीन विशाल झीलों के कारण पर्यटकों को सम्मोहित कर लेती है। उत्तर में लद्दाख, पश्चिम-उत्तर में चंबा जिला तथा पूर्व में तिब्बत जहां विश्व का सबसे ऊंचा गांव किब्बर है, ताबो गांव है जिसे हिमालय का अजंता कहा जाता है, से घिरी स्पीती घाटी का मुख्यालय काजा में समुद्रतल से 12,000 फुट (3,950 मी.) की ऊंचाई पर स्थित है जो शिमला से 432 कि.मी. की दूरी पर है। रोहतांग दर्रा पार करके भी यहां पहुंचा जा सकता है। मनाली से इसकी दूरी 51 कि.मी. है। जनश्रुति है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास का समय यहीं व्यतीत किया था।
स्पीती घाटी का मुख्य आकर्षण, तीनों झीलें समुद्र तल से 5,000 से 7,500 मी. की ऊंचाई पर स्थित हैं। मणि झील, ढकरछोह एवं चन्द्रताल नाम से जानी जाने वाली इन तीनों झीलों की नैसर्गिक छटा का रसापान करते हुए परम शांति की अनुभूति होती है।
चन्द्रताल झील, कुंजम दर्रे से 15 कि.मी. ऊपर एक कि.मी. लम्बाई तथा आधा कि.मी. चौड़ाई लिए लगभग 2 कि.मी. के क्षेत्र में फैली हुई है। स्वच्छ आसमानी रंग की इस झील के किनारे एक पावन मंदिर भी है यहां जून के महीने में प्रतिवर्ष एक मेले का आयोजन किया जाता है। तीन ओर से ऊंची-ऊंची पर्वतीय श्रृंखलाओं तथा नदी-घाटियों से घिरी, नीले स्वच्छ जल वाली इस झील के एक ओर विशाल मैदान है। इस झील के पानी का बदलता हुआ रंग विस्मयकारी है। इसका रंग प्रातःकाल से पहले भूरा, पारदर्शी, सूर्योदय के बाद नारंगी, फिर नीला तथा अंत में शाम को गहरा नीला होता रहता है। प्रायः इस झील में तीव्र वेग से भयंकर तूफान उठते रहते हैं। जो इसकी निस्तब्धता को भंग कर प्रकृति के रौद्र रूप का आभास कराती है, इसी से चंद्रा नदी का उद्गम हुआ है।
मणि झील, समुद्र तल से 16 हजार फुट की ऊंचाई पर ताबो गांव से बीस कि.मी. दूर मणि झील स्थित है। इस झील के ऊपर हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाएं मनोहारी लगती हैं। उनकी चोटियों की बर्फ पिघलने से स्पीती नदी का बहाव फैलता है। दिसम्बर-जनवरी में मणि झील जमकर बर्फ का मैदान बन जाती है।
ढकरछोह झील ढकरछोह झील बौद्ध मठ के ऊपर पक्की चट्टानों पर स्थित है। अक्तूबर में यहां साइबेरियन पक्षियों के झुंड दिखाई देते हैं। इन झीलों के आकर्षण के साथ-साथ ताबे गांव अपने रहस्यमयी बौद्ध मठों के लिए प्रसिद्ध हैं। 1400 ईं. की अद्भुत चित्रकारी एवम् अलभ्य पांडुलिपियों के लिए यह स्पीति घाटी का सबसे बड़ा और प्राचीन संग्रहालय माना जाता है।
स्पीती घाटी का मुख्य आकर्षण, तीनों झीलें समुद्र तल से 5,000 से 7,500 मी. की ऊंचाई पर स्थित हैं। मणि झील, ढकरछोह एवं चन्द्रताल नाम से जानी जाने वाली इन तीनों झीलों की नैसर्गिक छटा का रसापान करते हुए परम शांति की अनुभूति होती है।
चन्द्रताल झील, कुंजम दर्रे से 15 कि.मी. ऊपर एक कि.मी. लम्बाई तथा आधा कि.मी. चौड़ाई लिए लगभग 2 कि.मी. के क्षेत्र में फैली हुई है। स्वच्छ आसमानी रंग की इस झील के किनारे एक पावन मंदिर भी है यहां जून के महीने में प्रतिवर्ष एक मेले का आयोजन किया जाता है। तीन ओर से ऊंची-ऊंची पर्वतीय श्रृंखलाओं तथा नदी-घाटियों से घिरी, नीले स्वच्छ जल वाली इस झील के एक ओर विशाल मैदान है। इस झील के पानी का बदलता हुआ रंग विस्मयकारी है। इसका रंग प्रातःकाल से पहले भूरा, पारदर्शी, सूर्योदय के बाद नारंगी, फिर नीला तथा अंत में शाम को गहरा नीला होता रहता है। प्रायः इस झील में तीव्र वेग से भयंकर तूफान उठते रहते हैं। जो इसकी निस्तब्धता को भंग कर प्रकृति के रौद्र रूप का आभास कराती है, इसी से चंद्रा नदी का उद्गम हुआ है।
मणि झील, समुद्र तल से 16 हजार फुट की ऊंचाई पर ताबो गांव से बीस कि.मी. दूर मणि झील स्थित है। इस झील के ऊपर हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाएं मनोहारी लगती हैं। उनकी चोटियों की बर्फ पिघलने से स्पीती नदी का बहाव फैलता है। दिसम्बर-जनवरी में मणि झील जमकर बर्फ का मैदान बन जाती है।
ढकरछोह झील ढकरछोह झील बौद्ध मठ के ऊपर पक्की चट्टानों पर स्थित है। अक्तूबर में यहां साइबेरियन पक्षियों के झुंड दिखाई देते हैं। इन झीलों के आकर्षण के साथ-साथ ताबे गांव अपने रहस्यमयी बौद्ध मठों के लिए प्रसिद्ध हैं। 1400 ईं. की अद्भुत चित्रकारी एवम् अलभ्य पांडुलिपियों के लिए यह स्पीति घाटी का सबसे बड़ा और प्राचीन संग्रहालय माना जाता है।
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