श्रीनगर से 30 कि.मी. दूर सिंध घाटी में मानसबल नामक मनोहारी झील है, जो चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी है। निर्मल जल से युक्त इस झील को ये पहाड़ियां अंगूठी में जड़े हीरे की शोभा प्रदान करती हैं। इस झील पर नूरजहां द्वारा निर्मित किया गया मुगल गार्डन भी दर्शनीय है। मानसबल शब्द मानसरोवर से लिया गया है। यह प्रसिद्ध मानसरोवर कैलाश के नाम पर है। साम्राज्ञी नूरजहां द्वारा निर्मित महल के भग्नावशेष जिसे जोरवा या जोरगा अर्थात् खाड़ी का झरोखा कहा जाता है, साम्राज्ञी वहीं से झील के सौंदर्य को निहारती थीं। पास ही एक विशाल चिनार और मंदिर के भग्नावशेष भी दृष्टिगोचर होते हैं। झील के पास ही घोड़ाबाग नामक सुंदर पर्यटन स्थल है। संभवतः वह किसी काजी द्वारा लगाया गया है।
मानसबल के उत्तरी और पूर्वी किनारे पर छोटे-छोटे झरने हैं। पास ही हलधर पहाड़ी है, जिसके साथ एक चमत्कारी कथा जुड़ी है। उसी परिप्रेक्ष्य में आज भी निर्जला एकादशी वाले दिन पहाड़ी के एक हिस्से में मेला जुड़ता है और यात्रियों के स्वर गूंजते हैं-
'बलभद्रो हलदारो पाला ताला पानी त्रेव'
(ओ बलभद्र हलधर पहाड़ी से पानी को बहने की अनुमति दो) और पानी बहने लगता है जिसमें श्रद्धालु भक्ति भावना से स्नान करते हैं।
मानसबल के उत्तरी और पूर्वी किनारे पर छोटे-छोटे झरने हैं। पास ही हलधर पहाड़ी है, जिसके साथ एक चमत्कारी कथा जुड़ी है। उसी परिप्रेक्ष्य में आज भी निर्जला एकादशी वाले दिन पहाड़ी के एक हिस्से में मेला जुड़ता है और यात्रियों के स्वर गूंजते हैं-
'बलभद्रो हलदारो पाला ताला पानी त्रेव'
(ओ बलभद्र हलधर पहाड़ी से पानी को बहने की अनुमति दो) और पानी बहने लगता है जिसमें श्रद्धालु भक्ति भावना से स्नान करते हैं।
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