मोरॉको

Submitted by Hindi on Thu, 09/01/2011 - 10:28
मोरॉको (मोरक्को) अफ्रीका महाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी सिरे पर स्थित एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं। 1912 से 1956 ई. तक यह फ्रासीसी तथा स्पेनी मोरॉकों एवं टेंजियर नामक तीन भागों में विभक्त था, किंतु सन्‌ 1956 में यह पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया। यहाँ के निवासी इसे ऐल मग्रिव ऐल अक्सा (El Moghreb El Aksa) नाम से जानते हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग 2,19,027 वर्ग मील हैं। इससे स्पेन नौ मील चौड़े जिब्राल्टर जलडमरूमध्य द्वारा अलग है। इसके उत्तर में भूमध्यसागर, पश्चिम में ऐटलैंटिक महासागर, दक्षिण में सहारा तथा दक्षिण पूर्व में ऐल्जिरिया स्थित है। प्राकृतिक तौर पर इसे चार भागों में बाँटा जा सकता है:

1. भूमध्यसागर तटीय प्रदेश- इसका अधिकांश पर्वतीय है, जिसमें नदियों के तेज बहाव के कारण गहरी घाटियाँ बन गई हैं।

2. पश्चिमी मोरॅकों का पठारी एवं मैदानी भाग-यह ऐटलैंटिक महासागर से लेकर ऐटलस पर्वत तक फैला है। फेज और मराकेश यहीं पर स्थित हैं। तटीय मैदान काली मिट्टी युक्त उपजाऊ प्रदेश है। इसके बाद स्टेप्स का क्षेत्र आता है।

3. ऐटलस एवं अन्य पहाड़ी भाग- यह पर्वत दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व को फैला है। इसकी तीन श्रेणियाँ हैं। संपूर्ण उत्तरी अफ्रीका की सबसे ऊँची चोटियाँ यहाँ पर स्थित हैं।

4. सहारा का भाग- यह देश के दक्षिण में स्थित है। कहीं कहीं सिंचाई का प्रबंध कर, शुष्क भागों को मरूद्यानों में बदल दिया गया है।

ऐटलस पर्वत तथा उत्तरी समुद्री किनारे पर स्थित पहाड़ी क्षेत्र के मध्य एक उपजाऊ मैदानी भाग स्थित है। यह पिछड़ा, जंगली, किंतु सुंदर देश है। ऐटलस पर्वत के पश्चिम की जलवायु आनंददायक हैं। यहाँ साल भर सागर से ठंढी हवाएँ चला करती हैं। पर्वत की पूर्वी ढाल की जलवायु जाड़ों में और भी अधिक ठंढी हो जाती है। मैदान तथा दक्षिणी भाग की जलवायु गर्मियों में असह्य हो जाती है। औसत ताप गरमियों में 27 सें. तथा जाड़ों में 7 सें. रहता है। उत्तरी भाग में औसत वर्षा 27 इंच तथा सहारा की सीमा पर पाँच इंच या इससे भी कम होती है। चोटियों पर बर्फ जमी रहती है। यहाँ भूमध्यसागरीय वनस्पति पाई जाती हैं, जिसमें बांज, देवदार, जुनिपर, ताड़ एवं खजूर के पेड़ प्रमुख हैं। गेहूँ, जौ, फलियाँ, तिलहन, की कृषि होती हैं, तथा नीबू, संतरा, जैतून, बादाम आदि फल उगाए जाते हैं। स्टेप्स भाग में ऐल्फा घास मिलती है। खनिजों में यह देश घनी है, प्रमुख खनिज फ़ॉस्फेट, कोबाल्ट, मोलिब्डेनम, जस्ता, लोहा, मैंगनीज, ऐंथ्रोसाइट, तेल तथा सीसा हैं। प्रमुख धर्म इस्लाम है। गाँव के लोग कृषक या चरवाहे हैं। चरवाहे घास की गोल झोपड़ियों में तथा ऊन के बने तंबुओं में भी रहते हैं। सागर के किनारे मछली का शिकार किया जाता है। सफी नगर मत्स्य उद्योग का केंद्र हैं। यहां के आदिवासी लकड़ी, चमड़ा तथा रेशे से सामान तैयार करते हैं। शहरों में सीमेंट, आटा, अन्य खाद्य सामग्री, शराब, रासायनिक खादें, ऊनी कपड़े, जूते आदि उद्योग हैं। शिक्षा की उन्नति कम हुई है, केवल कुछ मस्जिदों में पढ़ाई होती है। यहाँ की राजधानी राबात है। अन्य प्रमुख नगर कैसाब्लैंका मराकेश, फेज, औज्दा आदि हैं। कामकाज की भाषा अरबी है, किंतु फ्रांसीसी एवं स्पेनी भाषा का प्रयोग भी होता हैं। राजेंद्रप्रसाद सिंह

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संदर्भ
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