वास्तव में डल झील कश्मीर का नगीना है। डल का शाब्दिक अर्थ होता है- जल का विस्तार। मारसर झील के नाम पर इसकी मुख्य धारा मार कहलाती है। विलो वृक्ष की पत्तियां जो इसके छोटे-छोटे द्वीपों पर हैं यदि पानी में भिगोकर छिड़क दी जायें तो ठंडक और स्फूर्ति प्रदान करती हैं। इन्हें शुद्ध करके एनिमा के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। डल झील पर बना नयदनार पुल महेश चौधरी द्वारा बनवाया गया है, जिसे अकस्मात इस झील में ढेरों सोना मिला था। किंवदंती है कि पुल के निर्माण में एक जलपरी ने काफी सहयोग दिया था जो महेश चौधरी को एक नागिन के रूप में मिली थी।
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