मथुरा जनपद की भूजल-संपदा का आंकलन एवं विकास

Submitted by Hindi on Fri, 01/06/2012 - 16:24
Source
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान
कहा गया है “जल ही जीवन है” । यह सत्य भी है क्योंकि किसी भी जीवन के लिये चाहे वह पेड़, पौधा, जानवर या मनुष्य हो जल अत्यंत आवश्यक है। जल की उपलब्धता मनुष्यों के जीवन में उनके घरेलू उपयोग तथा सिंचाई के लिए अत्यंत आवश्यक है। मथुरा जिले की भूजल-संपदा मूलरुप से कठोर लवण युक्त तथा खारेपन के कारण समस्या मूलक है। इस स्वच्छ भूजल के निष्कासन में भूजलीय, भूभौतिकीय एवं सुदूर-संवेदन तकनीकी का प्रयोग किया जाता है।

मथुरा जनपद उत्तर प्रदेश के पश्चिमी किनारे पर राजस्थान के भरतपुर जिले से लगा है यहां पर प्रमुख नदी यमुना है, जो उत्तर से दक्षिण को बहती है, तथा इसका जल प्रदूषण युक्त है। यमुना का पश्चिमी प्रभाग कछार की असमेकित रेतीले एवं कुछ चट्टानों द्वारा बना है। इसकी मोटाई बहुत कम है क्योंकि नीचे बेसमेंट के पत्थर पाये जाते हैं। यहां स्वच्छ भूजल 20मी. से 50 मी. की गहराई में केवल उपयुक्त स्थानों में ही उपलब्ध है।

यह लेख मथुरा जिले में उलब्ध भूजल संपदा (929 मी.क्यू.मी.) तथा उसके उपयोग (472 मी.क्यू.मी.) में सहायक तकनीकों से दर्शाए प्रक्षेत्र तथा उपलब्ध भूजल संसाधन (363 मी.क्यू.मी.) का वर्णन करता है।

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